सारांश : हरियाणा चुनाव के बीच भाजपा और बसपा की तरफ से कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा को अपने खेमे में लाने की कोशिश की गई, जिससे कांग्रेस के खेमे में हलचल मच गई। हालांकि, कुमारी शैलजा ने कांग्रेस से अपनी वफादारी जताते हुए भाजपा और बसपा के सभी प्रयासों को नाकाम कर दिया। कांग्रेस ने यह साफ संदेश दिया कि शैलजा पार्टी के साथ मजबूती से खड़ी हैं और हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने के लिए आगे बढ़ेंगी।
हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज है। हाल ही में, केंद्रीय मंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने का प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव से कांग्रेस में अफरातफरी मच गई, लेकिन जल्द ही कांग्रेस ने संकटमोचक के रूप में रणदीप सुरजेवाला और अन्य नेताओं को सक्रिय किया, जिन्होंने इस संकट का समाधान निकाला और पार्टी समर्थकों को राहत दी।
भाजपा और बसपा की रणनीति:
कुमारी शैलजा को भाजपा में शामिल करने की कोशिश केवल भाजपा तक सीमित नहीं रही। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी सक्रिय हो गई और पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद ने शैलजा को पार्टी में शामिल होने का खुला निमंत्रण दिया। इसके बाद मायावती ने भी शैलजा को बसपा में आने का ऑफर दिया। हरियाणा में दलित राजनीति के केंद्र में शैलजा के होने से दोनों पार्टियां उन्हें अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रही थीं।
लेकिन, इन सभी अटकलों और प्रयासों के बीच, शैलजा ने कांग्रेस के साथ अपनी निष्ठा बरकरार रखी। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उनकी रगों में कांग्रेस का खून बहता है और वे अपने पिता की तरह कांग्रेस के साथ खड़ी रहेंगी। कांग्रेस की इस निष्ठा को देखते हुए भाजपा और बसपा के सभी दांव फेल हो गए।
कांग्रेस का पलटवार:
कुमारी शैलजा की वफादारी को लेकर जब चर्चाएं तेज हुईं, तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा पर तीखा हमला किया। खड़गे ने कहा कि भाजपा को दूसरों के घरों में ताक-झांक करने की बजाय अपनी पार्टी की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा में ही अंदरूनी कलह चल रही है और कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं, इसलिए भाजपा को दूसरों की चिंता नहीं करनी चाहिए।
इसके अलावा, खड़गे ने तिरुपति मंदिर विवाद पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले की जांच कर रही है और अगर किसी प्रकार की धोखाधड़ी हो रही है, तो इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मंदिरों में भक्तों की आस्था को धोखा देना किसी भी सूरत में सही नहीं है।
जम्मू-कश्मीर चुनाव और रोजगार का मुद्दा:
खड़गे ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव और वहां की सरकारी नौकरियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि पिछले 10 साल से वहां उनकी सरकार है, फिर भी अब तक एक लाख सरकारी नौकरियों को भरने का काम नहीं किया गया। खड़गे ने कहा कि भाजपा सरकार केवल वादे करती है, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं करती। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस सत्ता में आने पर इन खाली पदों को भरने का काम करेगी।
हरियाणा की राजनीति और शैलजा का महत्व:
हरियाणा की राजनीति में कुमारी शैलजा का परिवार हमेशा से दलित राजनीति का केंद्र रहा है। उनके पिता चांदगी राम का राजनीतिक योगदान हरियाणा की दलित राजनीति में महत्वपूर्ण रहा है। यही वजह है कि भाजपा और बसपा दोनों ही उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही थीं। लेकिन, शैलजा ने साफ कर दिया कि वह कांग्रेस के साथ मजबूती से खड़ी हैं और पार्टी छोड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है।
हरियाणा की राजनीति में 'आया राम गया राम' की कहावत मशहूर है, जो अक्सर नेताओं के पाला बदलने पर बनाई गई थी। हालांकि, इस बार शैलजा ने अपनी नाराजगी भले ही दिखाई हो, लेकिन उन्होंने पाला नहीं बदला और कांग्रेस के साथ अपनी वफादारी दिखाई। हरियाणा चुनाव के मद्देनजर यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा।
निष्कर्ष:
हरियाणा चुनाव के बीच कुमारी शैलजा को लेकर भाजपा और बसपा की ओर से किए गए तमाम प्रयास विफल रहे। शैलजा ने अपनी पार्टी कांग्रेस के साथ निष्ठा बनाए रखी और विरोधी दलों के सभी प्रयासों को ध्वस्त कर दिया। कांग्रेस के लिए यह जीत केवल चुनावी नहीं, बल्कि नैतिक जीत भी है, जिससे पार्टी का मनोबल और अधिक बढ़ा है। अब हरियाणा में चुनावी जंग और भी दिलचस्प हो गई है, जहां भाजपा और बसपा को कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशी के सामने चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
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