सारांश : भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थाई सदस्यता दिलाने की मांग पुरानी है, लेकिन चीन समेत एक 50 देशों का गुट इसका विरोध कर रहा है। यह समूह, जिसे "यूनाइटिंग फॉर कंसेंशस" (UFC) के नाम से जाना जाता है, भारत के साथ जापान, जर्मनी और दक्षिण अफ्रीका की स्थाई सदस्यता का भी विरोध करता है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की इस समूह के प्रमुख सदस्य हैं। इन देशों का तर्क है कि अगर इन चार देशों को स्थाई सदस्यता मिलती है, तो वैश्विक शक्ति संतुलन बिगड़ जाएगा।
UNSC में भारत की स्थाई सदस्यता: मुश्किलों का सफर
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) दुनिया की सबसे प्रभावशाली संस्थाओं में से एक है, जिसमें भारत की स्थाई सदस्यता की मांग लंबे समय से की जा रही है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन के दौरान, अमेरिका ने एक बार फिर से भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन किया। अमेरिका समेत चार स्थाई सदस्य देश इस पर सहमति जता चुके हैं, लेकिन चीन इसका सबसे बड़ा विरोधी है। इसके अलावा एक और गुट है, जो भारत के इस प्रयास को लगातार रोकने की कोशिश कर रहा है। इस गुट का नाम है "यूनाइटिंग फॉर कंसेंशस" (UFC), जो लगभग 50 देशों का समूह है और इसके पीछे का एजेंडा सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अन्य प्रमुख देशों को UNSC में स्थाई सदस्य बनने से रोकना है।
UNSC में भारत की सदस्यता क्यों महत्वपूर्ण है?
UNSC दुनिया की सुरक्षा और शांति बनाए रखने का प्रमुख संस्थान है। इसकी स्थाई सदस्यता के लिए भारत कई सालों से प्रयासरत है। भारत के लिए इस सदस्यता का मतलब वैश्विक स्तर पर उसकी बढ़ती ताकत का आधिकारिक मुहर लगाना होगा। इसके साथ ही, वीटो पावर मिलने से भारत अंतरराष्ट्रीय फैसलों में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकता है। जैसे कि पड़ोसी देशों द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के मुद्दे पर भारत को कूटनीतिक ताकत मिलेगी, जिससे वह इन समस्याओं से और अधिक प्रभावी ढंग से निपट सकेगा।
लेकिन इस महत्वपूर्ण सदस्यता के लिए रास्ता बिल्कुल आसान नहीं है। पांच स्थाई सदस्यों में से चीन भारत की स्थाई सदस्यता का पुरजोर विरोध करता है। चीन को डर है कि अगर भारत को स्थाई सदस्यता मिलती है, तो उसकी अपनी वैश्विक ताकत में कमी आएगी। इसके अलावा भारत की अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के साथ गहराती संबंधों से चीन और अधिक चिंतित है।
यूनाइटिंग फॉर कंसेंशस: भारत के खिलाफ संगठित विरोध
"यूनाइटिंग फॉर कंसेंशस" (UFC) कोई औपचारिक संगठन नहीं है, लेकिन इसमें शामिल देश मिलकर UNSC के स्थाई सदस्यता के विस्तार का विरोध करते हैं। UFC का गठन 1990 के दशक में हुआ, जब UNSC में स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव आया था। UFC का तर्क है कि अगर भारत, जापान, जर्मनी या दक्षिण अफ्रीका को स्थाई सदस्यता मिलती है, तो वैश्विक शक्ति संतुलन बिगड़ जाएगा। उनका मानना है कि केवल अस्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, जिनके पास वीटो पावर नहीं होती।
UFC का कहना है कि अगर अधिक देशों को स्थाई सदस्यता दी गई, तो वैश्विक मुद्दों पर सहमति बनाना और कठिन हो जाएगा। वे मांग करते हैं कि वीटो पावर में भी बदलाव होना चाहिए या उसे पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए, ताकि सभी सदस्य एकमत से निर्णय ले सकें। लेकिन सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य इस प्रस्ताव का विरोध करते हैं क्योंकि इससे उनकी विशेष शक्तियों में कमी आ जाएगी और UNSC का प्रभाव कम हो जाएगा।
UFC के भारत विरोधी सदस्य कौन हैं?
UFC में शामिल देशों में से कई भारत के साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से विरोधी रहे हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश, तुर्की और कुछ अन्य देश भारत को UNSC में स्थाई सदस्यता मिलने से रोकने के प्रयासों में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। इनके अलावा, इटली, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, अर्जेंटीना, स्पेन, कनाडा और सिंगापुर भी इस समूह का हिस्सा हैं। यह लगभग 50 देशों का समूह है, जो UNSC में स्थाई सदस्यता के विस्तार का विरोध कर रहा है।
UFC का विरोध का प्रभाव
UFC का लगातार विरोध UNSC में सुधारों को धीमा कर रहा है। नब्बे के दशक से ही जब सुरक्षा परिषद में सुधारों की बात शुरू हुई थी, तभी से UFC का गठन किया गया और तब से यह समूह UNSC में स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने के विरोध में जुटा है। इसका सीधा असर यह है कि आज तक कोई भी ठोस सुधार नहीं हो पाया है।
भारत की स्थाई सदस्यता के रास्ते में क्या मुश्किलें हैं?
UNSC की स्थाई सदस्यता के लिए भारत को अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन का समर्थन मिला है, लेकिन चीन ने हर बार भारत के प्रयासों को वीटो कर दिया है। चीन को डर है कि भारत की स्थाई सदस्यता से उसकी ताकत कम हो जाएगी और वैश्विक मंच पर भारत का प्रभाव बढ़ जाएगा। इसके अलावा, UFC में शामिल देशों का भी मानना है कि भारत और अन्य देशों को स्थाई सदस्यता मिलने से वैश्विक राजनीति में असंतुलन पैदा होगा और कुछ देशों को अधिक शक्तियां मिल जाएंगी।
समाप्ति: भारत की सदस्यता के समर्थन और विरोध की ताकतें
हालांकि भारत की स्थाई सदस्यता का विरोध करने वाले देश संगठित हैं, फिर भी भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर व्यापक समर्थन मिल रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस जैसे बड़े देशों के साथ भारत के मजबूत संबंध हैं, जिससे उसकी दावेदारी को मजबूती मिलती है। भारत का बढ़ता वैश्विक प्रभाव और ताकत इसे एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बना रहे हैं, और ऐसे में UNSC में उसकी स्थाई सदस्यता सिर्फ समय की बात है।
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