सारांश : सप्ताह के पहले कारोबारी दिन, शेयर बाजार ने मजबूती दिखाई। सेंसेक्स 300 अंकों से ज्यादा चढ़कर 81,696 पर पहुंचा, जबकि निफ्टी 25,000 के पार हो गया। निवेशकों की निगाहें रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचसीएल टेक जैसी प्रमुख कंपनियों के तिमाही परिणामों पर हैं। साथ ही, वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और तेल की कीमतों पर असर का भी बाजार पर ध्यान है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर दिखा, लेकिन घरेलू निवेशकों की खरीदारी से बाजार संतुलन बनाए रखा।

Stock Market में मजबूत शुरुआत : Sensex 300 अंकों की छलांग, Nifty 25,000 के पार


सप्ताह की शुरुआत में शेयर बाजार ने हरे निशान के साथ कारोबार शुरू किया। सोमवार सुबह के सत्र में सेंसेक्स 300 अंकों से अधिक की बढ़त के साथ 81,696.70 के स्तर पर पहुंच गया। निफ्टी ने भी अच्छी बढ़त दर्ज की और 94 अंक बढ़कर 25,057.95 के स्तर पर कारोबार करता नजर आया। प्रमुख कंपनियों के तिमाही नतीजों से बाजार को दिशा मिल रही है, जिनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचसीएल टेक जैसी कंपनियां शामिल हैं।


निवेशकों की नजर तिमाही नतीजों पर

इस सप्ताह कई बड़ी कंपनियों के तिमाही परिणाम आने वाले हैं, जिनमें रिलायंस, इंफोसिस, एचडीएफसी बैंक, और एक्सिस बैंक प्रमुख हैं। इन कंपनियों के नतीजों का बाजार पर गहरा असर देखने को मिलेगा। इसके अलावा, खुदरा महंगाई के आंकड़े भी जारी होने वाले हैं, जिससे बाजार की आगे की दिशा का अनुमान लगाया जा सकेगा। महंगाई के आंकड़े यह संकेत देंगे कि ब्याज दरों में संभावित कटौती कब शुरू हो सकती है।


वैश्विक परिस्थितियों का असर

शेयर बाजार सिर्फ घरेलू कारकों पर निर्भर नहीं है। वैश्विक बाजार की स्थितियों का भी गहरा असर रहता है। पश्चिम एशिया में चल रहे भू-राजनीतिक तनाव का असर तेल की कीमतों और वैश्विक निवेश के प्रवाह पर दिखाई दे सकता है। इसके साथ ही, आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की अनिश्चितता भी बाजार के मूड को प्रभावित कर सकती है। इस बीच, एशियाई बाजारों में मिलाजुला रुख देखा गया। टोक्यो, शंघाई और सियोल में हरे निशान पर कारोबार हुआ, जबकि हांगकांग लाल निशान में रहा।


बाजार के प्रमुख खिलाड़ी

निफ्टी के शुरुआती सत्र में कुछ प्रमुख शेयरों ने अच्छा प्रदर्शन किया। श्रीराम फाइनेंस, विप्रो, एलएंडटी, एचडीएफसी बैंक, और बीपीसीएल जैसे शेयरों में 2.10% तक की बढ़त दर्ज की गई। दूसरी ओर, मारुति, अल्ट्राटेक सीमेंट, बजाज फाइनेंस, ब्रिटानिया और सिप्ला के शेयरों में गिरावट आई। मारुति में सबसे अधिक 0.83% की गिरावट देखी गई। निफ्टी के 50 में से 36 शेयरों ने बढ़त दर्ज की, जबकि 14 शेयरों में गिरावट देखी गई।


विदेशी और घरेलू निवेशकों का योगदान

पिछले हफ्ते बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली जारी रही। शुक्रवार को एफआईआई ने 4,162.66 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 3,730.87 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जिससे बिकवाली के असर को काफी हद तक संतुलित किया गया। इस महीने, अब तक विदेशी निवेशकों ने 58,710 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है, लेकिन इसका बाजार पर बड़ा असर नहीं पड़ा है क्योंकि डीआईआई की खरीदारी ने इस कमी को पूरा किया है।


भविष्य का अनुमान

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार का कहना है कि एफआईआई की बिकवाली और डीआईआई की खरीदारी का यह रुझान निकट भविष्य में भी जारी रह सकता है। उनका मानना है कि भारतीय बाजार के ऊंचे मूल्यांकन की तुलना में चीनी शेयर अभी भी सस्ते हैं, जिसकी वजह से यह प्रवृत्ति जारी रह सकती है। आईटी और बैंकिंग शेयरों में मजबूती बनी रहने की संभावना है, खासकर दूसरी तिमाही के अच्छे नतीजों की उम्मीद के चलते।


तेल की कीमतों में गिरावट

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 1.09% की गिरावट आई, जिससे यह 78.18 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई। तेल की कीमतों में गिरावट का असर वैश्विक बाजारों पर भी दिखाई दे सकता है, खासकर उन देशों में जो तेल आयात पर निर्भर हैं। इससे भारतीय बाजार को भी फायदा हो सकता है क्योंकि तेल की कम कीमतें महंगाई और उत्पादन लागत को कम करती हैं।


पिछले सत्र का प्रदर्शन

पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन, शुक्रवार को बीएसई सेंसेक्स 230.05 अंक गिरकर 81,381.36 पर बंद हुआ था, जबकि निफ्टी 34.20 अंक गिरकर 24,964.25 के स्तर पर आ गया था। हालांकि, इस गिरावट के बावजूद, सोमवार के सत्र में बाजार ने अच्छी रिकवरी दिखाई और एक बार फिर से तेजी का रुख अपनाया।


सप्ताह की संभावनाएं

आने वाले दिनों में शेयर बाजार की दिशा काफी हद तक कंपनियों के तिमाही नतीजों पर निर्भर करेगी। खासकर रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, और इंफोसिस जैसे बड़े खिलाड़ियों के नतीजे बाजार की गति तय करेंगे। इसके साथ ही, वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी चुनावों से जुड़ी अनिश्चितता भी बाजार के मूड को प्रभावित कर सकती है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर बना रह सकता है, लेकिन घरेलू निवेशकों की खरीदारी से बाजार संतुलन बनाए रख सकता है।

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