सारांश : भारत निर्वाचन आयोग (ECI) 15 अक्टूबर 2024 को महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान करेगा। इन चुनावों के अलावा, कुछ लोकसभा और विधानसभा सीटों पर उपचुनावों की भी घोषणा की जा सकती है। महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों में राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं, जिनमें कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। दीपावली और छठ पूजा को ध्यान में रखते हुए चुनाव की तारीखें तय की जा रही हैं, ताकि प्रवासी मतदाता भी हिस्सा ले सकें।
चुनाव आयोग आज करेगा तारीखों का ऐलान
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) 15 अक्टूबर 2024 को महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा करने के लिए तैयार है। चुनाव आयोग दोपहर 3.30 बजे विज्ञान भवन, नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करेगा, जहां विस्तृत कार्यक्रम का ऐलान किया जाएगा। महाराष्ट्र की 288 सीटों वाली विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर 2024 को समाप्त हो रहा है, जबकि झारखंड की 81 सीटों वाली विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को समाप्त हो रहा है। इन दो राज्यों के अलावा, कुछ लोकसभा और विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव की तारीखों की घोषणा की जा सकती है।
उपचुनावों की भी घोषणा की उम्मीद
चुनाव आयोग केवल महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों की घोषणा ही नहीं करेगा, बल्कि तीन लोकसभा सीटों और कम से कम 47 विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव की तारीखें बताई जा सकती हैं। लोकसभा की जो तीन सीटें खाली हैं उनमें वायनाड (केरल), नांदेड़ (महाराष्ट्र), और बशीरहाट (पश्चिम बंगाल) शामिल हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वायनाड सीट खाली कर दी थी, जबकि नांदेड़ और बशीरहाट सीटें हाल ही में सांसदों के निधन के बाद खाली हो गई थीं।
चुनावी तैयारियों का जायजा
महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव संबंधी तैयारियों को लेकर चुनाव आयोग ने अपनी टीमों को पहले ही इन राज्यों में भेजा था। टीमों ने वहां जाकर चुनावी तैयारियों का निरीक्षण किया और संबंधित अधिकारियों से चर्चा की। चुनाव आयोग ने पहले ही संकेत दिए हैं कि दीपावली और छठ पूजा जैसे त्योहारों को ध्यान में रखते हुए चुनाव की तारीखें तय की जाएंगी। इसका उद्देश्य यह है कि प्रवासी मतदाता, जो त्योहारों के दौरान अपने घर जाते हैं, चुनावों में भाग ले सकें। चुनाव आयोग नवंबर के दूसरे हफ्ते के अंत तक चुनाव कराने की योजना बना रहा है, जिससे प्रवासी मतदाता त्योहारों के बाद मतदान में हिस्सा ले सकें।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं
महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों की घोषणा को लेकर राजनीतिक दलों में सक्रियता बढ़ गई है। कांग्रेस नेता उदित राज ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस तरह हरियाणा में चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए, वैसा झारखंड और महाराष्ट्र में न हो। उन्होंने आरोप लगाया कि हरियाणा के चुनाव में लोकतंत्र की हत्या हुई थी और ऐसी स्थिति इन राज्यों में नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से निभाएगा।
झारखंड कांग्रेस प्रमुख राजेश ठाकुर ने भी चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि झारखंड का चुनाव महाराष्ट्र के साथ क्यों कराया जा रहा है। उनका कहना है कि जब झारखंड की विधानसभा का कार्यकाल 6 जनवरी 2025 को समाप्त हो रहा है, तो इतनी जल्दी चुनाव की घोषणा क्यों की जा रही है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग पर यह आरोप लगता रहा है कि वह राजनीतिक दबाव में काम कर रहा है और इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। ठाकुर ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम चुनाव के लिए तैयार हैं, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोकतंत्र को सुरक्षित रखा जाए।
JMM का आरोप: चुनाव की जानकारी पहले ही लीक हुई
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता मनोज पांडे ने भी चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी नेताओं को चुनाव की घोषणा की जानकारी पहले ही मिल चुकी थी। पांडे ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है कि बीजेपी नेताओं ने पहले ही चुनाव की घोषणा की जानकारी प्राप्त कर ली थी, जबकि चुनाव आयोग को इस तरह से एक पार्टी के इशारों पर काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने हिमंत बिस्वा सरमा के बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि चुनाव की घोषणा 15 अक्टूबर को होगी। पांडे ने चुनाव आयोग से सवाल किया कि क्या वह एक राजनीतिक दल की कठपुतली बन चुका है?
चुनाव आयोग की भूमिका और प्रक्रिया
चुनाव आयोग की भूमिका देश में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने में महत्वपूर्ण है। इस चुनावी प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण तत्व होते हैं, जैसे मतदान की प्रक्रिया, सुरक्षा व्यवस्था, और मतदाताओं की सुविधा सुनिश्चित करना। चुनाव आयोग के पास इस बात की जिम्मेदारी होती है कि सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर मिले और चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो।
इस बार के चुनाव में विशेष रूप से सुरक्षा पर ध्यान दिया जाएगा, क्योंकि पिछले चुनावों में कुछ क्षेत्रों में हिंसा और असुरक्षा की घटनाएं देखी गई थीं। चुनाव आयोग ने सुरक्षा बलों की पर्याप्त तैनाती की योजना बनाई है ताकि मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से पूरी हो सके।
निष्पक्ष चुनाव की आवश्यकता
झारखंड और महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों में निष्पक्षता की मांग तेज होती जा रही है। विपक्षी दलों का आरोप है कि सत्ताधारी दल बीजेपी चुनाव आयोग पर दबाव डालकर चुनावों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा है। विपक्षी नेताओं ने इस बार के चुनाव को लोकतंत्र की सच्ची परीक्षा बताया है और कहा है कि जनता को अपने अधिकारों का सही इस्तेमाल करने का मौका मिलना चाहिए।
उपसंहार
महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा के बाद चुनावी सरगर्मियां और भी तेज हो जाएंगी। राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने और चुनाव प्रचार की रणनीति बनाने में जुट जाएंगे। इस बीच, चुनाव आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर उठ रहे सवालों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है।
एक टिप्पणी भेजें