सारांश : हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल नतीजे बीजेपी के लिए बुरी खबर ला सकते हैं। अगर ये नतीजे सही साबित होते हैं, तो यह संकेत मिलेगा कि कांग्रेस की स्थिति मजबूत हो रही है और बीजेपी के चुनावी प्रदर्शन में गिरावट आई है। हरियाणा में कांग्रेस को सत्ता में वापसी का मौका मिल सकता है, जबकि महाराष्ट्र में भी बीजेपी को शिवसेना के साथ सीट बंटवारे में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इससे राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस का प्रभाव बढ़ने और बीजेपी पर आरएसएस का दबाव बढ़ने की संभावना है।

Exit Poll Results : Haryana में BJP की चुनौती बढ़ी, Congress की वापसी से Maharashtra में मुश्किलें बढ़ेंगी


हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ ला सकते हैं। एग्जिट पोल के अनुसार, हरियाणा में कांग्रेस को जीत मिल सकती है, और बीजेपी सत्ता से बाहर हो सकती है। अगर ये पूर्वानुमान सही साबित होते हैं, तो इससे यह संकेत मिलेगा कि कांग्रेस का राजनीतिक चक्र फिर से घूमना शुरू हो चुका है और बीजेपी को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।


हरियाणा में चुनावी परिस्थिति:

हरियाणा में इस बार का चुनाव परिणाम बीजेपी के लिए चिंताजनक हो सकता है। एग्जिट पोल में कांग्रेस को 44 से 65 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है, जबकि बीजेपी को सिर्फ 15 से 28 सीटों पर सिमटने का अंदेशा है। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 40 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को 31 सीटें मिली थीं। ऐसे में अगर इस बार बीजेपी सत्ता से बाहर होती है, तो यह पार्टी के भीतर बड़े बदलावों की ओर संकेत कर सकता है।


2014 में नरेंद्र मोदी की 'मोदी लहर' ने बीजेपी को हरियाणा में पहली बार सत्ता दिलाई थी। उस समय बीजेपी को 33.3% वोट और 47 सीटें मिली थीं, लेकिन 2019 के चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन थोड़ा कमजोर हुआ और सीटें घटकर 40 हो गईं। वहीं कांग्रेस ने अपनी स्थिति सुधारते हुए 31 सीटें जीती थीं और इस बार के एग्जिट पोल में कांग्रेस की और बेहतर प्रदर्शन की संभावना जताई जा रही है।


कांग्रेस की मजबूती और बीजेपी की चुनौती:

अगर एग्जिट पोल सही साबित होते हैं, तो यह बीजेपी के लिए बड़ा झटका होगा, खासकर जब लोकसभा चुनाव में भी पार्टी का प्रदर्शन पिछले चुनाव के मुकाबले कमजोर रहा। हरियाणा में कांग्रेस की वापसी बीजेपी के कमजोर आंतरिक ढांचे और सरकार की लोकप्रियता घटने का संकेत हो सकता है। कांग्रेस के भीतर गुटबाजी के बावजूद पार्टी ने किसान, जवान और पहलवान के मुद्दे को चुनावी मैदान में बेहतर ढंग से भुनाया, जिसका बीजेपी को नुकसान हुआ।


बीजेपी ने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री को बदलकर अपनी रणनीतिक कमजोरी को उजागर किया था, जो यह दर्शाता है कि पार्टी में आत्मविश्वास की कमी थी। इसके अलावा, बागी नेताओं से जूझ रही बीजेपी को हरियाणा और जम्मू-कश्मीर दोनों में अंदरूनी असंतोष का सामना करना पड़ा।


महाराष्ट्र में संभावित मुश्किलें:

हरियाणा में अगर बीजेपी हारती है, तो इसका असर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। शिवसेना (नाथ शिंदे गुट) के साथ सीट बंटवारे में बीजेपी को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। पहले से ही, महाराष्ट्र में बीजेपी को लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी, और अगर हरियाणा में हार होती है, तो महाराष्ट्र में उसकी स्थिति और कमजोर हो सकती है।


2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 164 सीटों में से 105 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार पार्टी 288 सीटों में से 160 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है। हालांकि, हरियाणा में हारने की स्थिति में बीजेपी का आत्मविश्वास डगमगा सकता है, जिससे सीट बंटवारे की बातचीत में शिवसेना का पलड़ा भारी हो सकता है।


कांग्रेस की रणनीति और भविष्य:

हरियाणा में अगर कांग्रेस सत्ता में लौटती है, तो यह पार्टी के लिए टॉनिक का काम करेगा। लेकिन कांग्रेस के सामने भी चुनौतियां कम नहीं होंगी। पार्टी को आंतरिक गुटबाजी से निपटना होगा और मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को सुलझाना भी बड़ी चुनौती होगी। कुमारी शैलजा और भूपिंदर सिंह हुड्डा जैसे नेताओं के बीच सत्ता संघर्ष पार्टी के सामने बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है।


महाराष्ट्र में कांग्रेस ने पहले से ही चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। राहुल गांधी ने संविधान बचाने का मुद्दा उठाकर पार्टी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश की है, जो उन्हें महाराष्ट्र में भी फायदा पहुंचा सकता है। अगर हरियाणा में कांग्रेस की जीत होती है, तो इससे पार्टी को महाराष्ट्र में सीट बंटवारे के दौरान अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी।


आरएसएस का बढ़ता दबाव:

हरियाणा और महाराष्ट्र में अगर बीजेपी का प्रदर्शन कमजोर रहता है, तो पार्टी पर आरएसएस का दबाव बढ़ेगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पहले से ही बीजेपी के कुछ फैसलों से नाखुश नजर आ रहा है, और अगर बीजेपी दोनों राज्यों में हारती है, तो आरएसएस पार्टी पर अपने विचारधारात्मक एजेंडे को और जोर-शोर से लागू करने का दबाव डाल सकता है। इससे बीजेपी और आरएसएस के बीच संबंधों में भी खटास आ सकती है।


निष्कर्ष:

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल नतीजे अगर सही साबित होते हैं, तो यह भारतीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण संकेत होगा। कांग्रेस की बढ़ती ताकत और बीजेपी की कमजोर होती स्थिति ने राष्ट्रीय राजनीति में नई चर्चा शुरू कर दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अंतिम नतीजे क्या आते हैं और इससे भारतीय राजनीति की दिशा किस ओर जाती है।

Post a Comment

أحدث أقدم