सारांश : जेपी जयंती पर माल्यार्पण की अनुमति न मिलने से सपा प्रमुख अखिलेश यादव का विरोध सामने आया। इस कदम के पीछे की सियासी रणनीति और JPNIC पर रोके जाने के कारणों पर विस्तार से जानकारी।


अखिलेश यादव का जेपी जयंती पर हंगामा: JPNIC पर रोक के बाद योगी सरकार से क्यों टकराव?


उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जयप्रकाश नारायण की जयंती पर सियासी माहौल गरमा गया। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने जेपी इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) पर माल्यार्पण करने की अनुमति न मिलने पर योगी सरकार के खिलाफ विरोध जताया। अखिलेश ने इसे एक बड़ा मुद्दा बना दिया, जहां उन्होंने साफ तौर पर ऐलान किया कि उन्हें जेपी की जयंती पर श्रद्धांजलि देने से कोई नहीं रोक सकता।


इस विरोध में, सपा कार्यकर्ताओं की भीड़ उनके घर के बाहर एकत्र हो गई। पुलिस की मौजूदगी के बावजूद, अखिलेश और उनके सहयोगियों ने जेपी की जयंती पर माल्यार्पण करने के लिए एक प्रतिमा मंगवाई और अपने घर के बाहर ही श्रद्धांजलि अर्पित की। इस घटनाक्रम ने राज्य में नई सियासी हलचल पैदा की है, जहां पहली बार किसी महापुरुष की जयंती पर ऐसा विरोध और टकराव देखने को मिला है।


लोकसभा में सपा की ऐतिहासिक जीत के बाद यह पहला अवसर है जब अखिलेश ने सीधे सरकार से टकराव का मौका उठाया है। 2024 के चुनावों में सपा ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 37 सीटें जीतीं, जिसने कार्यकर्ताओं और पार्टी के जोश को नई ऊंचाई दी है। अखिलेश अपने समर्थकों को यह संदेश देना चाहते हैं कि यूपी में विपक्ष अभी भी मजबूत स्थिति में है। अखिलेश का यह कदम यूपी विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों का हिस्सा माना जा सकता है, जहां वे कार्यकर्ताओं में नए उत्साह का संचार करना चाहते हैं।


जेपी की विरासत को सपा अपनी सियासत का हिस्सा मानती है। संपूर्ण क्रांति के अग्रदूत के तौर पर जेपी की भूमिका के महत्व को देखते हुए, अखिलेश चाहते हैं कि उनकी विरासत पर समाजवादी पार्टी का दावा मजबूती से बरकरार रहे। उन्होंने सरकार पर JPNIC को जनता से दूर रखने का आरोप लगाया और नीतीश कुमार से भी अपील की कि बीजेपी का विरोध करते हुए केंद्र से समर्थन पर पुनर्विचार करें।


लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा जारी एक पत्र में कहा गया है कि JPNIC का निर्माण कार्य अभी अधूरा है और बारिश के कारण वहां जन-जीवन के लिए खतरा हो सकता है, इसलिए सुरक्षा के लिहाज से प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है। वहीं अखिलेश का कहना है कि सरकार जानबूझकर इसे बंद रखना चाहती है ताकि इसे बाद में बेचने का रास्ता साफ हो सके।


यह विरोध न केवल अखिलेश की समाजवादी राजनीति को जनता तक पहुंचाने का प्रयास है, बल्कि यह बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की मजबूती का संदेश भी देता है। अखिलेश ने JPNIC पर विरोध कर अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश की है, जिससे वे आगामी चुनावों में पार्टी की ओर से मजबूती से खड़े हो सकें।

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