सारांश : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए महाविकास अघाड़ी के प्रमुख घटक दल, कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट), के बीच सीट बंटवारे को लेकर टकराव जारी है। कांग्रेस को लगभग 110 सीटों पर चुनाव लड़ने की उम्मीद है, लेकिन विदर्भ की कुछ सीटों को लेकर शिवसेना (यूबीटी) के साथ विवाद बढ़ता जा रहा है। हालांकि, राज्यसभा सदस्य और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख रणनीतिकार संजय राउत ने 210 सीटों पर सहमति बनने की जानकारी दी है, जिससे गठबंधन की एकता का संदेश मिलता है।

Maharashtra Election 2024 : Congress और Shiv Sena (UBT) में सीट बंटवारे पर टकराव, 210 सीटों पर बनी सहमति


महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच सीट बंटवारे पर असहमति

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए महाविकास अघाड़ी में शामिल कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच सीट बंटवारे को लेकर असहमति खुलकर सामने आ गई है। दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है, लेकिन विदर्भ क्षेत्र की कुछ सीटों को लेकर विवाद बना हुआ है। कांग्रेस को इस चुनाव में लगभग 110 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है, जिसमें उसे समाजवादी पार्टी को भी समायोजित करना होगा।


कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि महाविकास अघाड़ी में कोई गंभीर तकरार नहीं है और गठबंधन एकजुट है। लेकिन सूत्रों के अनुसार, विदर्भ की कुछ सीटों को लेकर शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के बीच पेंच फंसा हुआ है। शिवसेना (यूबीटी) का दावा है कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए विदर्भ की सीटें छोड़ी थीं, इसलिए अब कांग्रेस को इन सीटों पर समझौता करना चाहिए।


नाना पटोले को कांग्रेस आलाकमान से निर्देश

कांग्रेस आलाकमान ने महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को निर्देश दिया है कि वह शिवसेना (यूबीटी) और अन्य सहयोगी दलों के साथ तालमेल बिठाकर काम करें। कांग्रेस का रुख इन सीटों को लेकर संतुलित बताया जा रहा है, और पटोले को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह सहयोगी दलों के साथ मिलकर काम करें और चुनावी रणनीति को मजबूती से लागू करें।


विदर्भ की सीटों पर टकराव

विदर्भ क्षेत्र की कुछ सीटें कांग्रेस और उद्धव ठाकरे गुट के बीच विवाद का मुख्य केंद्र बनी हुई हैं। शिवसेना (यूबीटी) का कहना है कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए विदर्भ की कुछ महत्वपूर्ण सीटें छोड़ी थीं, इसलिए अब कांग्रेस को इन सीटों पर अपने दावे को कमज़ोर करना चाहिए। लेकिन कांग्रेस अपने प्रभाव को बनाए रखने की कोशिश कर रही है और इस पर दोनों दलों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है।


210 सीटों पर बनी सहमति

शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख रणनीतिकार और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बताया कि महाविकास अघाड़ी के घटक दलों के बीच 210 सीटों पर सहमति बन गई है। उन्होंने इसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया और कहा कि महाविकास अघाड़ी के घटक दल एकजुट होकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।


राउत ने कहा, "हमारा लक्ष्य महाराष्ट्र में एक संयुक्त ताकत के रूप में चुनाव लड़ना है और उन ताकतों को हराना है जो राज्य को लूटने की कोशिश कर रही हैं।" राउत के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर कुछ मतभेद होने के बावजूद गठबंधन में एकता बनी हुई है।


क्या शिवसेना अकेले चुनाव लड़ेगी?

हालांकि संजय राउत के बयान के बावजूद राजनीतिक गलियारों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि शिवसेना (यूबीटी) अकेले सभी 288 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। इस संदर्भ में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी का रुख स्पष्ट नहीं है, लेकिन इस बात की संभावना कम है कि वह महाविकास अघाड़ी से अलग होकर चुनाव लड़ेगी।


कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी की रणनीति

कांग्रेस का मानना है कि महाविकास अघाड़ी की ताकत गठबंधन में है, और सभी घटक दलों को एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहिए। कांग्रेस आलाकमान ने नाना पटोले को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी है कि शिवसेना (यूबीटी) और अन्य सहयोगी दलों के साथ तालमेल बैठाया जाए और मतभेदों को जल्द सुलझाया जाए।


विदर्भ की कुछ सीटों को लेकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच जो विवाद बना हुआ है, उसे हल करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व सक्रिय है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस इस बात पर विचार कर रही है कि विदर्भ की कुछ सीटों को शिवसेना (यूबीटी) के पक्ष में छोड़ दिया जाए, ताकि गठबंधन की एकता बनी रहे।


महाविकास अघाड़ी की चुनौती

महाविकास अघाड़ी के घटक दलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह भाजपा और महायुति गठबंधन के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ें। महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, और महाविकास अघाड़ी को इसके मुकाबले में अपनी स्थिति को मजबूत करने की आवश्यकता है।


कुल मिलाकर, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच सीट बंटवारे को लेकर जो मतभेद हैं, उन्हें समय रहते सुलझाने की जरूरत है। कांग्रेस को अपने सहयोगी दलों के साथ सामंजस्य बिठाकर चुनावी मैदान में उतरना होगा ताकि महाविकास अघाड़ी की एकजुटता बरकरार रहे।

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