सारांश : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को खत्म करने के लिए ब्रिक्स समूह के साथ मिलकर एक वैकल्पिक वैश्विक भुगतान प्रणाली और राष्ट्रीय डिजिटल मुद्राओं के उपयोग पर जोर दिया। उनका लक्ष्य पश्चिमी प्रतिबंधों से मुक्त एक नई वित्तीय प्रणाली स्थापित करना है, जिसमें डिजिटल मुद्राओं का अहम योगदान होगा। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भाग लेंगे, जहां इन मुद्दों पर चर्चा होगी।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में ब्रिक्स समूह के माध्यम से अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने की अपनी मंशा जाहिर की है। पुतिन ने स्पष्ट किया कि रूस, अमेरिका और उसके सहयोगी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के बाद एक नई वित्तीय व्यवस्था की दिशा में काम कर रहा है। इस नई व्यवस्था का उद्देश्य पश्चिमी देशों के नियंत्रण से स्वतंत्र होकर अपनी स्वयं की एक मजबूत वैश्विक वित्तीय प्रणाली का निर्माण करना है।
ब्रिक्स समूह (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) की आगामी बैठक से पहले, पुतिन ने इस बात पर जोर दिया कि इस समूह को एक नई सीमा-पार भुगतान प्रणाली विकसित करनी चाहिए, जो स्विफ्ट (SWIFT) जैसी प्रणाली के विपरीत पश्चिमी प्रतिबंधों से मुक्त हो। इसके अलावा, पुतिन ने राष्ट्रीय डिजिटल मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देने की भी बात कही, ताकि अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम की जा सके और वैश्विक व्यापार में इसे एक प्रमुख भूमिका मिल सके।
डिजिटल मुद्रा के प्रति पुतिन का दृष्टिकोण
पुतिन ने ब्रिक्स नेताओं के 16वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के पहले कहा कि भले ही एक साझा ब्रिक्स मुद्रा का समय अभी नहीं आया है, लेकिन यह समूह डिजिटल मुद्राओं के उपयोग पर गंभीरता से विचार कर रहा है। पुतिन ने यह भी बताया कि रूस, भारत और अन्य सहयोगी देशों के साथ मिलकर डिजिटल मुद्रा की संभावना तलाश रहा है, जो भविष्य में अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता को समाप्त कर सकती है।
रूस डिजिटल मुद्रा को वैश्विक व्यापार और लेन-देन के एक सुरक्षित और सशक्त माध्यम के रूप में देख रहा है। पुतिन का मानना है कि डिजिटल मुद्रा न केवल व्यापार को सरल बनाएगी, बल्कि देशों को आर्थिक रूप से स्वतंत्र भी बनाएगी। इससे खासकर उन देशों को फायदा होगा, जो अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं, जैसे कि रूस खुद।
वैश्विक वित्तीय प्रणाली को दरकिनार करने की कोशिश
फरवरी 2022 में यूक्रेन के साथ छिड़े संघर्ष के बाद अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे पश्चिमी देशों ने रूस पर कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाए। इसके चलते रूस वैश्विक वित्तीय प्रणाली से लगभग अलग-थलग हो गया था। इन प्रतिबंधों का असर रूस की अर्थव्यवस्था और उसके अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर पड़ा, लेकिन रूस ने इसे एक अवसर के रूप में देखा। पुतिन ने अपनी नीति बदलते हुए ब्रिक्स के अन्य देशों के साथ मिलकर एक नई भुगतान प्रणाली का विकास करने का विचार रखा, जिससे रूस और उसके सहयोगी देश पश्चिमी वित्तीय सिस्टम पर निर्भर नहीं रहेंगे।
ब्रिक्स केंद्रीय बैंकों के बीच एक नया नेटवर्क स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है, जिससे इन देशों के बीच व्यापार में स्वतंत्रता और पारदर्शिता आएगी। यह प्रणाली स्विफ्ट जैसी प्रणाली का विकल्प बन सकती है, जो कि मुख्य रूप से पश्चिमी देशों के नियंत्रण में है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और पीएम मोदी की भूमिका
22-23 अक्टूबर को रूस के कजान शहर में आयोजित होने वाले 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भाग लेंगे। यह शिखर सम्मेलन रूस की अध्यक्षता में हो रहा है, जिसमें मिस्त्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और यूएई जैसे नए सदस्य भी शामिल होंगे। इस सम्मेलन में ब्रिक्स के मूल सदस्य देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के नेता वैश्विक आर्थिक स्थिति और नए व्यापारिक मॉडलों पर चर्चा करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के दौरान, पुतिन और अन्य ब्रिक्स नेताओं के साथ उनकी द्विपक्षीय बैठकें भी होंगी, जिसमें आर्थिक सहयोग और डिजिटल मुद्राओं के संभावित उपयोग पर विचार-विमर्श होगा।
पुतिन का भारतीय सिनेमा के प्रति प्रेम
रूस और भारत के बीच के आर्थिक और राजनीतिक संबंधों के अलावा, सांस्कृतिक संबंध भी काफी मजबूत हैं। हाल ही में, व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय फिल्मों की प्रशंसा करते हुए कहा कि रूस में भारतीय सिनेमा बहुत लोकप्रिय है। उन्होंने यह भी बताया कि रूस में एक टीवी चैनल चौबीसों घंटे भारतीय फिल्में प्रसारित करता है। पुतिन के इस बयान ने भारतीय और रूसी सांस्कृतिक संबंधों को और भी मजबूत किया है।
पुतिन की रणनीति: अमेरिकी प्रभुत्व का अंत?
पुतिन का यह प्रयास न केवल रूस को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने की दिशा में है, बल्कि वह अमेरिका और पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रभुत्व को भी चुनौती देने का प्रयास कर रहे हैं। डिजिटल मुद्रा और एक स्वतंत्र वैश्विक भुगतान प्रणाली से पुतिन का उद्देश्य अमेरिकी डॉलर की मजबूत पकड़ को तोड़ना है, जो कि आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रमुख मुद्रा है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में इस मुद्दे पर कितनी प्रगति होती है और क्या रूस वाकई अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने में सफल हो पाता है या नहीं। पुतिन का यह कदम न केवल रूस के लिए, बल्कि ब्रिक्स के अन्य देशों के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इससे इन देशों की आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलेगा।
निष्कर्ष
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा डिजिटल मुद्रा और एक नई भुगतान प्रणाली का समर्थन न केवल उनके देश को आर्थिक प्रतिबंधों से मुक्ति दिलाने की कोशिश है, बल्कि यह वैश्विक वित्तीय प्रणाली में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। पुतिन के इस दृष्टिकोण से स्पष्ट है कि वह अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को समाप्त करने और वैश्विक आर्थिक शक्ति संतुलन को बदलने के लिए तैयार हैं।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद डिजिटल मुद्रा और नई वित्तीय प्रणाली पर क्या कदम उठाए जाते हैं और इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है।
एक टिप्पणी भेजें