सारांश : खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने 1-19 नवंबर के बीच एयर इंडिया की उड़ानों पर हमले की धमकी दी है। यह धमकी सिख विरोधी दंगों की 40वीं बरसी के मद्देनजर जारी की गई है। पन्नू ने लोगों से अपील की है कि वे इस दौरान एयर इंडिया की उड़ानों से न जाएं। यह धमकी उस वक्त आई है जब भारत और कनाडा के बीच पहले से ही खालिस्तानी आतंकियों को लेकर कूटनीतिक तनाव चल रहा है। पिछले साल भी पन्नू ने इसी तरह की धमकी दी थी, और वह भारत के खिलाफ लगातार सक्रिय है।
खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक बार फिर से एयर इंडिया की उड़ानों को निशाना बनाने की धमकी दी है। पन्नू ने 1 से 19 नवंबर के बीच एयर इंडिया के विमानों पर हमले का इशारा करते हुए लोगों से कहा है कि वे इस अवधि के दौरान इन उड़ानों का इस्तेमाल न करें। पन्नू का यह बयान सिख विरोधी दंगों की 40वीं बरसी को लेकर आया है। उसने कहा है कि इस अवधि के दौरान एयर इंडिया की उड़ानें असुरक्षित हो सकती हैं, क्योंकि वह 1984 के सिख विरोधी दंगों का बदला लेना चाहता है।
पन्नू का इतिहास और उसकी धमकियों का सिलसिला
गुरपतवंत सिंह पन्नू, जो 'सिख्स फॉर जस्टिस' (SFJ) नाम के प्रतिबंधित संगठन का संस्थापक है, पिछले कुछ वर्षों से लगातार भारत के खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है। उसने पहले भी कई बार भारत के महत्वपूर्ण स्थलों और लोगों को निशाना बनाने की धमकियां दी हैं। पिछले साल भी इसी समय उसने एयर इंडिया पर हमले की धमकी दी थी, और अब फिर से उसने यही बात दोहराई है। पन्नू वर्तमान में कनाडा और अमेरिका में रह रहा है और दोनों देशों की नागरिकता रखता है।
पिछले साल दिसंबर 2023 में पन्नू ने भारतीय संसद पर हमले की धमकी दी थी, जो 2001 के हमले की याद दिलाती है। इसके अलावा उसने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और पुलिस महानिदेशक गौरव यादव को भी जान से मारने की धमकी दी थी।
भारत-कनाडा विवाद और खालिस्तानी आतंकवाद
पन्नू की ताजा धमकी ऐसे समय में आई है जब भारत और कनाडा के बीच खालिस्तानी मुद्दे पर कूटनीतिक तनाव गहराता जा रहा है। भारत का आरोप है कि कनाडा खालिस्तानी आतंकियों को पनाह दे रहा है, जबकि कनाडा का आरोप है कि भारत उसकी जमीन पर खालिस्तानी तत्वों को निशाना बना रहा है। यह मुद्दा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद और भी संवेदनशील हो गया है। पन्नू इसी मुद्दे को हवा देकर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
भारतीय एयरलाइनों को मिल रही बम धमकियों की बाढ़
पन्नू की धमकी के अलावा, हाल ही में भारत की कई एयरलाइनों को भी बम धमाकों की झूठी खबरें मिली हैं। ऐसी धमकियों का असर यह होता है कि सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी हो जाती है, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। पन्नू की धमकी एक नई चुनौती के रूप में सामने आई है, जो पहले से ही बढ़े हुए तनाव को और बढ़ा सकती है।
पन्नू के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
भारत सरकार ने पन्नू के खिलाफ कई कानूनी कदम उठाए हैं। उसे 2020 में देशद्रोही गतिविधियों के चलते आतंकवादी घोषित किया गया था। पन्नू पर भारत में अलगाववादी और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप है। इसके अलावा, 'सिख्स फॉर जस्टिस' संगठन पर भी बैन लगाया गया है, जो भारतीय कानूनों के तहत अवैध और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाया गया है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पन्नू के खिलाफ अपराधी साजिश रचने और विभिन्न समूहों के बीच धर्म के आधार पर दुश्मनी फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया है। पन्नू का उद्देश्य भारत की एकता और अखंडता को कमजोर करना है, लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियां लगातार उसकी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं।
इंदिरा गांधी हवाई अड्डे का नाम बदलने की धमकी
नवंबर 2023 में पन्नू ने एक और विवादास्पद बयान देते हुए कहा था कि दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम बदला जाएगा और 19 नवंबर को इसे बंद कर दिया जाएगा। उसने लोगों से कहा था कि वे इस दिन एयर इंडिया की उड़ान से यात्रा न करें। हालांकि, यह केवल एक अफवाह और धमकी थी, जिसका कोई ठोस आधार नहीं था।
खालिस्तानी आतंकवाद के बढ़ते खतरे
खालिस्तानी आतंकवाद भारत के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। पन्नू जैसे आतंकी इसे बढ़ावा देकर भारत के अंदर और बाहर अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इस चुनौती का मजबूती से सामना कर रही हैं। सरकार ने खालिस्तानी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए कई सख्त कदम उठाए हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस समस्या का समाधान तभी हो सकेगा जब अन्य देश भी आतंकियों को पनाह देना बंद करेंगे।
पन्नू और उसका एजेंडा
पन्नू का एजेंडा स्पष्ट है—वह खालिस्तान के नाम पर भारत में अलगाववादी आंदोलन को बढ़ावा देना चाहता है। उसने खुद को एक आत्म-घोषित नेता के रूप में स्थापित किया है, जो विदेशों से बैठे-बैठे भारत के खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है। हालांकि, उसकी धमकियों और गतिविधियों को अब तक कोई ठोस समर्थन नहीं मिला है, और उसका प्रभाव सीमित है।
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