सारांश : सोमवार को घरेलू शेयर बाजारों में शुरुआती बढ़त जल्दी ही खो दी गई, जिससे सेंसेक्स 402 अंक गिरकर 81,352.48 पर और निफ्टी 24900 से फिसलकर 24,851.70 पर आ गया। वैश्विक बाजारों से मिले सकारात्मक संकेतों के बावजूद भारतीय बाजारों में निवेशकों की सतर्कता और भू-राजनीतिक जोखिम के कारण उतार-चढ़ाव देखने को मिला। विशेषज्ञों का मानना है कि इस हफ्ते बाजार में स्थिरता की उम्मीद तो है, लेकिन मध्य पूर्व के तनाव और आगामी अर्निंग सीजन का असर बाजार के प्रदर्शन पर पड़ेगा।
सोमवार को भारतीय शेयर बाजार ने तेजी के साथ शुरुआत की, लेकिन कुछ ही देर बाद यह बढ़त गंवा दी। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 250 अंक तक बढ़ा था, लेकिन पहले घंटे में ही इसने यह बढ़त खो दी। सुबह 11:10 बजे, सेंसेक्स 416.87 अंक (0.51%) गिरकर 81,352.48 पर आ गया, जबकि निफ्टी 162.90 अंक (0.65%) गिरकर 24,851.70 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। बाजार की इस गिरावट ने निवेशकों की चिंताओं को बढ़ा दिया है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक बाजारों से सकारात्मक संकेत मिल रहे थे।
भारतीय शेयर बाजारों ने पिछले सप्ताह में 4% से अधिक की गिरावट झेली थी। सोमवार को शुरुआती कारोबार में निफ्टी 50 ने 69.50 अंकों की बढ़त के साथ 25,084.10 अंक पर खुला, जबकि बीएसई सेंसेक्स 163.56 अंक बढ़कर 81,852.01 पर खुला था। शुरुआती तेजी से उम्मीद बंधी थी कि इस हफ्ते बाजार में स्थिरता आ सकती है, लेकिन भू-राजनीतिक तनावों और आने वाले अर्निंग सीजन ने इस तेजी को जल्द ही दबा दिया।
भू-राजनीतिक तनाव और बाजार पर प्रभाव:
विशेषज्ञों का मानना है कि इस हफ्ते भारतीय बाजारों में सकारात्मक प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है, बशर्ते कि मध्य पूर्व में जारी संघर्ष और न बढ़े। 7 अक्टूबर, 2023 को इस्राइल पर हमास के हमले के बाद से भू-राजनीतिक जोखिम बढ़ गए हैं, जिसने निवेशकों को सतर्क बना दिया है। बैंकिंग और बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा के अनुसार, "इस हफ्ते के अंत में शुरू होने वाले अर्निंग सीजन से बाजार को दिशा मिलने की संभावना है। इसके साथ ही बाजार भू-राजनीतिक जोखिम से हटकर आर्थिक समाचारों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकता है।"
बाजार में उतार-चढ़ाव का एक बड़ा कारण वैश्विक अस्थिरता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ता है, तो यह बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसके अलावा, आने वाले अर्निंग सीजन से कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर भी ध्यान केंद्रित रहेगा, जिससे बाजार में अस्थिरता रह सकती है।
आईटी और मेटल सेक्टर में बढ़त:
क्षेत्रीय सूचकांकों की बात करें, तो निफ्टी आईटी में एक प्रतिशत से अधिक की बढ़त दर्ज की गई। आईटी सेक्टर की प्रमुख कंपनियों जैसे टीसीएस ने इस सप्ताह अपने तिमाही परिणामों की घोषणा करनी है, जिससे निवेशकों को आईटी सेक्टर से उम्मीदें बढ़ गई हैं। निफ्टी आईटी के बाद निफ्टी मेटल में भी 0.9 प्रतिशत से अधिक की बढ़त दर्ज की गई।
खबर लिखे जाने तक निफ्टी 50 में आईटीसी, ट्रेंट और एचसीएल टेक टॉप गेनर्स रहे, जबकि टाइटन, हिंदुस्तान यूनिलीवर और ब्रिटानिया टॉप लूजर्स की सूची में शामिल रहे। आईटी और मेटल सेक्टर में हो रही इस बढ़त ने कुछ निवेशकों को राहत दी है, जबकि अन्य सेक्टर्स में अस्थिरता बरकरार है।
बाजार में सावधानी की सलाह:
प्रॉफिट आइडिया के एमडी वरुण अग्रवाल ने कहा कि निफ्टी 50 के लिए निकट अवधि का अपट्रेंड तेजी से नीचे की ओर मुड़ रहा है, जिसका सपोर्ट 25,000 के आसपास है। अग्रवाल के मुताबिक, "इस सप्ताह की शुरुआत में मामूली उछाल की संभावना है, लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव के चलते लॉन्ग पोजीशन लेने में सावधानी बरतनी चाहिए। अगर निफ्टी 25,000 के स्तर से नीचे जाता है, तो यह 24,500 तक की गिरावट को बढ़ावा दे सकता है।"
अग्रवाल की इस चेतावनी ने बाजार में जोखिम लेने वाले निवेशकों को सावधान किया है। निवेशकों को इस समय बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच लंबी पोजीशन में प्रवेश करने से पहले सतर्क रहने की जरूरत है, खासकर जब बाजार के समर्थन स्तर के पास हो।
अन्य एशियाई बाजारों में तेजी:
भारत के अलावा, अन्य एशियाई बाजारों में भी सोमवार को तेजी देखने को मिली। जापान के निक्केई 225 इंडेक्स में 1.8 प्रतिशत से अधिक की बढ़त हुई, जबकि हांगकांग के हैंग सेंग में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। दक्षिण कोरिया और ताइवान के बाजारों में भी 1 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखने को मिली।
हालांकि, भारतीय बाजारों ने इन सकारात्मक वैश्विक संकेतों का पूरा लाभ नहीं उठाया और शुरुआती बढ़त गंवा दी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट भू-राजनीतिक और घरेलू आर्थिक चिंताओं का परिणाम है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि बाजार जल्द ही स्थिरता की ओर लौट सकता है।
निष्कर्ष:
भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को उतार-चढ़ाव का माहौल बना रहा। शुरुआती बढ़त के बाद बाजार ने तेजी से गिरावट दर्ज की, जिससे निवेशकों में चिंता का माहौल बना रहा। भू-राजनीतिक जोखिम, खासकर मध्य पूर्व में तनाव, और आगामी अर्निंग सीजन बाजार पर दबाव बनाए हुए हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों जैसे आईटी और मेटल में सकारात्मक संकेत देखने को मिले हैं, जिससे निवेशकों को थोड़ी राहत मिली है। आने वाले दिनों में बाजार की दिशा भू-राजनीतिक घटनाओं और आर्थिक परिणामों पर निर्भर करेगी।
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