सारांश : जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आर्टिकल 370 की बहाली की मांग करते हुए लंगेट के विधायक खुर्शीद अहमद शेख ने बैनर दिखाया, जिससे बीजेपी विधायकों ने आक्रोश व्यक्त किया। बैनर दिखाने पर दोनों पक्षों में नारेबाजी और हाथापाई हुई, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई और आखिरकार पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी। बीजेपी ने इस घटना पर विपक्षी दलों नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस पर राज्य में अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाया।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में गुरुवार, 7 नवंबर 2024 को आर्टिकल 370 के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ, जिसने पूरे सदन को स्थगित करवा दिया। लंगेट से विधायक खुर्शीद अहमद शेख ने सदन में आर्टिकल 370 की बहाली की मांग करते हुए एक बैनर दिखाया, जिस पर बीजेपी के विधायकों ने कड़ा विरोध जताया। बीजेपी विधायकों ने आरोप लगाया कि इस तरह का प्रदर्शन राज्य के हालात को और बिगाड़ने का प्रयास है। यह विवाद इतना बढ़ गया कि सदन में हाथापाई की नौबत आ गई और अंततः सदन की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
जब विधायक खुर्शीद अहमद शेख आर्टिकल 370 की बहाली का बैनर लेकर विधानसभा पहुंचे, तो उनके इस कदम ने बीजेपी विधायकों को नाराज कर दिया। उन्होंने शेख से पोस्टर छीनकर उसे फाड़ने का प्रयास किया, जिससे सदन में हंगामा मच गया। पोस्टर को लेकर हुए विवाद में बीजेपी और विपक्षी विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक हुई, और मामला यहां तक बढ़ गया कि सदन में मार्शलों को बुलाना पड़ा। विधानसभा के स्पीकर ने हालात को देखते हुए पहले 20 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित की और फिर स्थिति के काबू में न आने पर कार्यवाही को पूरे दिन के लिए बंद कर दिया।
बीजेपी की ओर से इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए नेता रवींद्र रैना ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। रैना ने कहा कि आर्टिकल 370 अब एक इतिहास का हिस्सा है और इसे वापस लाने की कोशिश करना राज्य के नागरिकों के साथ धोखा है। उन्होंने कहा, “आर्टिकल 370 ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, अलगाववाद और पाकिस्तान की मानसिकता को जन्म दिया है। इसे फिर से बहाल करने की मांग करना राज्य को अस्थिरता की ओर धकेलना है।” बीजेपी ने विपक्ष पर राज्य की शांति को भंग करने का आरोप लगाया और इस घटना को एक गैर-संवैधानिक कदम करार दिया।
बीजेपी विधायक सुनील शर्मा, जो सदन में विपक्ष के नेता भी हैं, ने खुर्शीद अहमद शेख के इस कृत्य पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह विरोध करने का अनुचित तरीका है और विधानसभा की गरिमा के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस जानबूझकर आर्टिकल 370 का मुद्दा उठाकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं। शर्मा ने इसे देश की एकता और अखंडता के खिलाफ बताया और कहा कि इस तरह की घटनाएं राष्ट्र विरोधी मानसिकता को जन्म देती हैं।
लंगेट के विधायक खुर्शीद अहमद शेख का कहना था कि आर्टिकल 370 जम्मू-कश्मीर की पहचान और स्वायत्तता का प्रतीक है, जिसे हटाने से राज्य के अधिकारों का हनन हुआ है। उन्होंने अपनी मांग को जायज ठहराते हुए कहा कि आर्टिकल 370 को पुनः लागू करना राज्य की जनता का अधिकार है। शेख ने इस मुद्दे पर कहा कि "यह हमारी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान है, और इसे बनाए रखना हमारा कर्तव्य है।" उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वे राज्य की पहचान को खत्म कर रहे हैं और यह जम्मू-कश्मीर के भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में इस घटना ने राज्य की राजनीति में आर्टिकल 370 के महत्व को एक बार फिर से उजागर कर दिया है। यह विवाद इस बात का प्रतीक है कि आर्टिकल 370 अभी भी राज्य के लोगों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है। एक ओर बीजेपी इस प्रावधान को हटाने को राज्य की एकता और विकास के लिए आवश्यक मानती है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इसे राज्य की स्वायत्तता और पहचान पर हमला मानते हैं।
यह विवाद आने वाले दिनों में और भी गर्म हो सकता है, क्योंकि दोनों पक्ष अपने-अपने विचारों को लेकर अडिग हैं। बीजेपी का स्पष्ट मानना है कि आर्टिकल 370 की बहाली से राज्य में शांति भंग होगी और लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं विपक्षी दलों का मानना है कि यह मुद्दा राज्य की अस्मिता और संस्कृति से जुड़ा हुआ है, और इसे पुनः स्थापित करना उनके संवैधानिक अधिकारों का सम्मान होगा।
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