सारांश : झारखंड विधानसभा चुनावों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व में इंडिया ब्लॉक ने शानदार जीत हासिल की है। हेमंत सोरेन को विधायक दल का नेता चुना गया है और वे दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हैं। 26 नवंबर को उनके शपथ ग्रहण समारोह में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता शामिल हो सकते हैं। कांग्रेस ने 4 कैबिनेट पदों की मांग की है, जबकि एनडीए गठबंधन मात्र 24 सीटों पर सिमट गया।
हेमंत सोरेन के नेतृत्व में दूसरी बार बनेगी सरकार
झारखंड विधानसभा चुनावों के परिणाम ने झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन को ऐतिहासिक जीत दिलाई। 81 सदस्यीय विधानसभा में इंडिया ब्लॉक को 56 सीटें मिलीं, जिसमें झामुमो ने अकेले 34, कांग्रेस ने 16, आरजेडी ने 4, और सीपीआईएमएल ने 2 सीटें जीतीं। वहीं, एनडीए गठबंधन जिसमें भाजपा, आजसू, जदयू और लोजपा शामिल थे, केवल 24 सीटों पर सिमट गया। यह पहली बार है जब झारखंड के गठन के बाद कोई सरकार लगातार दूसरी बार सत्ता में आएगी।
इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करेंगे हेमंत सोरेन
रांची में आयोजित इंडिया ब्लॉक की बैठक में सर्वसम्मति से हेमंत सोरेन को विधायक दल का नेता चुना गया। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल संतोष गंगवार से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। इस मौके पर हेमंत ने जनता का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह जनादेश झारखंड के विकास और समृद्धि के लिए एक नया अध्याय लिखेगा।
शपथ ग्रहण की तैयारियां
सूत्रों के मुताबिक, हेमंत सोरेन 26 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। उनके शपथ ग्रहण समारोह में विभिन्न विपक्षी दलों के बड़े नेता शामिल होंगे। इनमें तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी, कांग्रेस के राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और लेफ्ट नेता दीपांकर भट्टाचार्य का नाम प्रमुख है। इस समारोह को विपक्षी एकता के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।
कांग्रेस की 4 कैबिनेट पदों की मांग
इंडिया ब्लॉक में प्रमुख साझेदार कांग्रेस ने झामुमो से 4 कैबिनेट पदों की मांग की है। कांग्रेस ने 4:1 फॉर्मूला अपनाते हुए प्रत्येक चार विधायकों पर एक मंत्री पद की मांग रखी है। झारखंड में कांग्रेस के 16 विधायक हैं, और इस हिसाब से उन्हें चार कैबिनेट पद मिलने की उम्मीद है।
एनडीए की हार और बीजेपी की गिरावट
एनडीए गठबंधन, जिसमें भाजपा, आजसू, जदयू और लोजपा शामिल थे, इस बार के चुनाव में बुरी तरह पिछड़ गया। बीजेपी ने जहां 21 सीटें हासिल कीं, वहीं जदयू, लोजपा और आजसू को मात्र 1-1 सीटें मिलीं। विशेषज्ञों का मानना है कि एनडीए की हार के पीछे जनता के बीच विश्वास की कमी और गठबंधन के भीतर समन्वय की कमी प्रमुख कारण हैं।
हेमंत सोरेन की अगली चुनौतियां
हेमंत सोरेन के लिए यह जीत जितनी बड़ी है, उतनी ही बड़ी चुनौतियां भी सामने हैं। राज्य में बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। साथ ही, पिछड़े क्षेत्रों के विकास और आदिवासी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। दूसरी बार सरकार बनाना जितना गर्व का विषय है, उतना ही जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना चुनौतीपूर्ण होगा।
इंडिया ब्लॉक की एकजुटता का उदाहरण
झारखंड में इंडिया ब्लॉक की जीत को विपक्षी एकता का बड़ा उदाहरण माना जा रहा है। झामुमो, कांग्रेस, आरजेडी और सीपीआईएमएल का यह गठबंधन न केवल चुनावी सफलता का कारण बना, बल्कि यह संकेत भी देता है कि सही नेतृत्व और रणनीति से विपक्ष एनडीए का मुकाबला कर सकता है।
आम जनता का रुख
इस चुनाव में जनता ने स्पष्ट रूप से विकास और स्थिरता को प्राथमिकता दी। झामुमो गठबंधन की योजनाओं और हेमंत सोरेन के पिछले कार्यकाल की नीतियों ने जनता का विश्वास जीतने में अहम भूमिका निभाई। वहीं, एनडीए गठबंधन की अंदरूनी खींचतान और मुद्दों पर स्पष्टता की कमी ने जनता को निराश किया।
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