सारांश : महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर महायुति में घमासान मचा हुआ है। शिवसेना ने स्पष्ट कर दिया है कि एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार नहीं करेंगे। शिवसेना के प्रवक्ता ने शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए योग्य बताया, जबकि भाजपा ने इस पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।

Maharashtra में सत्ता संघर्ष : Shiv Sena ने खारिज किया Deputy  CM पद, Eknath Shinde को Chief Minister बनाने पर जोर


राजनीतिक घमासान का केंद्र बना महाराष्ट्र:

महाराष्ट्र में इन दिनों राजनीतिक हलचल चरम पर है। मुख्यमंत्री पद को लेकर महायुति में विवाद गहराता जा रहा है। मंगलवार को एकनाथ शिंदे ने अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर इस विवाद को और बढ़ा दिया। अब यह सवाल उठ रहा है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।


शिवसेना का सीधा संदेश:

शिवसेना ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए जाने की अपनी मांग दोहराई है। पार्टी के प्रवक्ता संजय शिरसाट ने कहा, "एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महायुति ने विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की है। वे मुख्यमंत्री बनने के सबसे योग्य उम्मीदवार हैं।"


उन्होंने भाजपा पर जोर देते हुए कहा कि अगर पार्टी शिंदे को मुख्यमंत्री बनाती है, तो इससे जनता में सकारात्मक संदेश जाएगा और आने वाले चुनावों में महायुति को इसका फायदा मिलेगा।


डिप्टी सीएम पद पर असहमति:

शिवसेना ने दो टूक कहा है कि एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार नहीं करेंगे। शिरसाट ने कहा, "चुनाव शिंदे के चेहरे पर लड़ा गया था, इसलिए उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए।"


रामदास अठावले के बयान पर प्रतिक्रिया:

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने शिंदे को डिप्टी सीएम बनाए जाने की संभावना पर बयान दिया, जिसे शिवसेना ने खारिज कर दिया। शिरसाट ने कहा, "हम रामदास अठावले को गंभीरता से नहीं लेते। वे केंद्र के नेता हैं और केंद्र की राजनीति करें। महाराष्ट्र की राजनीति हम अच्छे से जानते हैं।"


शिवसेना ने यह भी कहा कि जो लोग उन्हें "गद्दार" कहते हैं, वे अब खुद घर बैठने वाले हैं। शिंदे के उपमुख्यमंत्री बनने की संभावना को पार्टी ने पूरी तरह नकार दिया।


शिंदे का इस्तीफा:

मंगलवार को एकनाथ शिंदे ने राजभवन पहुंचकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार भी मौजूद थे। शिंदे ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिससे महायुति में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान और तेज हो गई।


महायुति की बड़ी जीत:

2024 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने 288 सीटों में से 230 पर जीत दर्ज की। यह जीत भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना, और अजित पवार की एनसीपी के मजबूत गठबंधन का परिणाम थी। इसके विपरीत, एमवीए गठबंधन (कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना-उद्धव गुट) केवल 46 सीटों पर सिमट गया।


शिवसेना की मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी:

शिवसेना ने अपने दावे को मजबूत करते हुए कहा कि शिंदे का चेहरा ही महायुति की जीत का आधार था। पार्टी ने भाजपा से आग्रह किया कि शिंदे को मुख्यमंत्री पद सौंपने से महायुति की एकता और मजबूती बनी रहेगी।


भाजपा की चुप्पी:

भाजपा ने अभी तक इस विवाद पर कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि नेतृत्व के फैसले के लिए गठबंधन के सभी पक्षों से विचार-विमर्श किया जा रहा है।


विपक्ष का रुख:

एमवीए गठबंधन को इस बार के चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा। शिवसेना (उद्धव गुट) और कांग्रेस ने महायुति को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन चुनावी नतीजों ने उनकी रणनीतियों को विफल कर दिया। अब विपक्ष महायुति के भीतर के इस विवाद को राजनीतिक लाभ के रूप में देख रहा है।


आने वाली चुनौतियां:

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर महायुति इस विवाद को जल्दी सुलझा लेती है, तो गठबंधन अपनी स्थिरता बनाए रख सकेगा। हालांकि, यदि यह खींचतान लंबी चलती है, तो इससे गठबंधन में दरारें पड़ने का खतरा है।


निष्कर्ष:

महाराष्ट्र की राजनीति इस समय बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। शिवसेना और भाजपा के बीच सत्ता के बंटवारे को लेकर खींचतान ने राज्य की राजनीति में अस्थिरता पैदा कर दी है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि महायुति इस विवाद को कैसे सुलझाती है और मुख्यमंत्री पद का ताज किसके सिर सजेगा।

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