सारांश : हफ्ते के पहले कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार में तेज गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स में 1200 अंकों की और निफ्टी में लगभग 400 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। रिलायंस, सन फार्मा, इंफोसिस और टाटा मोटर्स जैसे प्रमुख शेयरों में बड़ी गिरावट हुई, जबकि महिंद्रा एंड महिंद्रा और इंडसइंड बैंक के शेयरों में बढ़त देखने को मिली।
शेयर बाजार के लिए हफ्ते की शुरुआत काफी निराशाजनक रही। सोमवार को भारतीय बाजार में बड़ी गिरावट देखी गई, जिससे निवेशकों में बेचैनी बढ़ गई। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों प्रमुख सूचकांकों में तेज गिरावट दर्ज की गई। सोमवार सुबह जब बाजार खुला, तो सेंसेक्स 79,713 अंकों पर मामूली गिरावट के साथ शुरू हुआ। हालांकि, शुरुआत के एक ही घंटे में इसमें जोरदार गिरावट आई, जिससे यह लगभग 1200 अंक गिरकर 78,527 अंक पर पहुंच गया। इसी तरह, निफ्टी भी लगभग 400 अंक गिरकर 23,913 अंक पर पहुंच गया।
प्रमुख कंपनियों के शेयरों में गिरावट का असर:
इस गिरावट का सबसे ज्यादा असर सेंसेक्स की प्रमुख कंपनियों के शेयरों पर पड़ा। सन फार्मा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंफोसिस, टाटा मोटर्स, टाइटन, मारुति और एनटीपीसी जैसी कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों की सतर्कता और बाज़ार में मुनाफावसूली के कारण इन कंपनियों के शेयर में गिरावट देखी गई। वहीं, कुछ कंपनियों जैसे महिंद्रा एंड महिंद्रा, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और इंडसइंड बैंक के शेयरों में हल्की बढ़त दर्ज की गई, लेकिन यह बढ़त बाजार की कुल गिरावट को रोकने में नाकाम रही।
एशियाई और वैश्विक बाजारों का असर:
एशियाई बाजारों का भी भारतीय बाजार पर असर पड़ा। साउथ कोरिया का कॉस्पी, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग सकारात्मक स्थिति में थे, जो भारतीय बाजार की स्थिति से अलग रहे। वहीं, अमेरिकी बाजार ने शुक्रवार को सकारात्मक रुख दिखाया था, लेकिन इसका भारतीय बाजार पर सकारात्मक असर नहीं दिखा। वैश्विक बाजार में भी मंदी और अस्थिरता का माहौल बना रहा, जिससे भारतीय निवेशकों में भी सतर्कता का भाव देखा गया।
ब्रेंट क्रूड की कीमत और एफआईआई की भूमिका:
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 1.49% की तेजी आई, जिससे कीमतें 74.19 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं। यह वृद्धि ऊर्जा कंपनियों पर दबाव डाल सकती है, जिसका असर अन्य सेक्टर्स पर भी देखा जा सकता है। इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) का रुख भी बाजार के लिए नकारात्मक रहा। पिछले कारोबारी सत्र में एफआईआई ने 211.93 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा।
रुपया और अन्य आर्थिक संकेतक:
सोमवार के शुरुआती कारोबार में रुपया भी हल्की मजबूती के साथ 84.06 प्रति डॉलर पर खुला, हालांकि, बाजार में गिरावट का असर अन्य आर्थिक संकेतकों पर भी देखने को मिला। रुपया विदेशी मुद्राओं के मुकाबले थोड़ा संभला लेकिन निवेशकों की सतर्कता के चलते इसमें भी गिरावट की संभावना बनी रही।
गिरावट के कारण और संभावित भविष्य:
इस गिरावट के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। वैश्विक आर्थिक स्थितियों में अनिश्चितता, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता का असर भारतीय बाजार पर पड़ा है। इसके अलावा, एफआईआई द्वारा की गई भारी बिकवाली और ब्रेंट क्रूड की कीमतों में बढ़ोतरी भी बाजार में नकारात्मकता का प्रमुख कारण बने।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की गिरावट बाजार में अस्थायी हो सकती है, और यह लंबे समय के निवेशकों के लिए अवसर प्रदान कर सकती है। हालांकि, निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सतर्क रहें और जल्दबाजी में फैसले न लें। बाजार में अस्थिरता की स्थिति में विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सुरक्षित सेक्टर्स में निवेश पर ध्यान दें।
आगे की रणनीति और निवेशकों के लिए सलाह:
इस स्थिति में निवेशकों के लिए सतर्कता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। मुनाफावसूली की स्थिति में वे कंपनियां, जो अपने क्षेत्र में मजबूत प्रदर्शन कर रही हैं, निवेश के लिए बेहतर हो सकती हैं। सेंसेक्स और निफ्टी में आने वाले हफ्तों में स्थिरता लौटने की संभावना है, और निवेशकों को बाजार की स्थिति को समझते हुए निवेश करना चाहिए।
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