सारांश : महाराष्ट्र चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर तीखे हमले किए। उन्होंने ठाकरे को "सबसे बड़ा गद्दार" बताते हुए कहा कि बालासाहेब ठाकरे होते तो उन्हें चुनते। शिंदे ने शिवसेना के असली नेतृत्व और अजित पवार के महायुति में शामिल होने के कारणों पर अपनी राय रखी।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की गहमा-गहमी चरम पर है। चुनावी प्रचार के आखिरी चरण में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एक इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे पर अब तक का सबसे बड़ा हमला करते हुए उन्हें "सबसे बड़ा गद्दार" करार दिया। इस बयान ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है।
उद्धव ठाकरे पर एकनाथ शिंदे का हमला
एकनाथ शिंदे ने कहा, "अगर आज बालासाहेब ठाकरे होते, तो मुझे और कार्यकर्ताओं को चुनते। उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के आदर्शों से समझौता किया। उन्होंने खुद को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कार्यकर्ताओं और पार्टी की विचारधारा को पीछे छोड़ दिया।"
शिंदे ने बालासाहेब की विचारधारा और उद्धव ठाकरे की नीतियों में बड़ा अंतर बताया। उन्होंने कहा, "बालासाहेब हिंदुत्व और जनता की सेवा के प्रतीक थे, जबकि उद्धव ठाकरे ने सत्ता के लिए समझौते किए। बालासाहेब के आदर्शों को उन्होंने पीछे छोड़ दिया और अपनी नीतियों को बदल दिया।"
शिवसेना के वोट बैंक पर दावा
एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि असली शिवसेना उनके साथ है। "जो वोट बैंक उद्धव ठाकरे के पास है, वह कांग्रेस का है। असली शिवसेना का समर्थन हमें मिला है, और हमने यह साबित कर दिया है।" शिंदे ने यह भी आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे ने बालासाहेब ठाकरे को हिंदू हृदय सम्राट कहने से परहेज किया, क्योंकि उन्हें वोट बैंक खोने का डर है।
अजित पवार और महायुति की मजबूती
महायुति में अजित पवार की भूमिका और एनसीपी से जुड़ी खटपट की खबरों पर भी एकनाथ शिंदे ने सफाई दी। उन्होंने कहा, "हमारे बीच कोई विवाद नहीं है। अजित दादा को पता है कि महाविकास अघाड़ी विकास विरोधी है, और इसलिए वह हमारे साथ आए हैं।" शिंदे ने महायुति को एक मजबूत और स्थिर गठबंधन बताते हुए कहा कि वे विकास के एजेंडे पर आगे बढ़ रहे हैं।
केंद्र और उद्धव ठाकरे के रिश्तों पर टिप्पणी
एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर केंद्र सरकार के साथ टकराव का आरोप लगाया। "उद्धव ने ढाई साल केंद्र से लड़ाई की, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमें दस साल में दस लाख करोड़ का फंड दिया।" शिंदे ने यह भी कहा कि केंद्र के सहयोग से महाराष्ट्र को बड़े पैमाने पर विकास कार्यों का लाभ मिला है।
चुनावी माहौल और आगे की रणनीति
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। इस बार महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी रणनीतियों के तहत चुनाव प्रचार में जुटे हैं।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का यह दौर न केवल राज्य की राजनीति बल्कि गठबंधन की ताकत को भी परखेगा। एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच आरोप-प्रत्यारोप ने इस चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है। यह देखना होगा कि जनता किसे अपना समर्थन देती है और चुनावी परिणाम किसके पक्ष में जाते हैं।
एक टिप्पणी भेजें