सारांश : पाकिस्तान के लाहौर में प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य संकट गहराता जा रहा है। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 1900 के पार पहुंच गया है, जिससे हजारों लोग सांस की तकलीफ, अस्थमा और अन्य श्वास संबंधी समस्याओं के चलते अस्पतालों में भर्ती हैं। विशेषज्ञों ने सरकार से प्रदूषण नियंत्रण उपायों पर जोर देने की मांग की है।
लाहौर में बढ़ता प्रदूषण बना संकट का कारण
लाहौर में हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। हाल ही में नासा द्वारा साझा की गई अंतरिक्ष से ली गई एक तस्वीर में लाहौर के ऊपर प्रदूषण की मोटी परत देखी गई। यह धुंध शहर में इतनी घनी हो गई है कि इसके कारण दिन में भी धुंधला दृश्य देखने को मिल रहा है। नवंबर के शुरुआती दिनों में यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है, जो 1900 के पार हो गया। इस कारण लाहौर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है, जिससे लोगों का दैनिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
स्वास्थ्य संकट और अस्पतालों में भीड़
प्रदूषण के इस संकट के चलते लाहौर के अस्पतालों में मरीजों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी हुई है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, लाहौर के सरकारी और निजी अस्पतालों में 15,000 से अधिक लोग अस्थमा, सांस लेने में कठिनाई और अन्य श्वसन रोगों से पीड़ित होकर भर्ती हो चुके हैं। मेयो अस्पताल में 4,000, जिन्ना अस्पताल में 3,500, गंगाराम अस्पताल में 3,000 और चिल्ड्रेन अस्पताल में 2,000 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है। प्रदूषण के प्रभाव से सूखी खांसी, सांस लेने में कठिनाई, निमोनिया, और दिल की बीमारियों के मरीजों में भी बढ़ोतरी देखी गई है।
प्रदूषण के कारण और विशेषज्ञों की चेतावनी
लाहौर के इस संकट का प्रमुख कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण स्थलों से उड़ती धूल और औद्योगिक उत्सर्जन हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह धुंध और प्रदूषण का संकट न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि दीर्घकालिक समस्याओं को जन्म दे सकता है। लाहौर में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार तत्काल प्रभावी कदम नहीं उठाती है, तो हालात और भी गंभीर हो सकते हैं। उन्होंने मास्क पहनने, घर में रहने और एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने की सलाह दी है, खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से ही अस्थमा या दिल की बीमारियों से पीड़ित हैं।
बच्चों और दिल के मरीजों के लिए विशेष खतरा
प्रदूषण का यह असर खासकर बच्चों और दिल के मरीजों के लिए घातक साबित हो सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञ अशरफ जिया का कहना है कि बच्चों को, अस्थमा के मरीजों को, और दिल की बीमारियों से पीड़ित लोगों को इस स्मॉग से बचाना अत्यंत आवश्यक है। बच्चों और वृद्धों पर इस प्रदूषण का गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इन लोगों को सलाह दी जा रही है कि वे अनावश्यक बाहर न जाएं और खुद को इस खतरनाक धुंध से बचाकर रखें।
सरकार के लिए चुनौतियां और विशेषज्ञों की सलाह
इस संकट से निपटने के लिए विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि सरकार को प्रदूषण के मुख्य स्रोतों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और उनके नियंत्रण के लिए कदम उठाने चाहिए। निजी वाहनों की संख्या में कमी लाने के लिए लोगों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है। इसके साथ ही निर्माण स्थलों पर प्रदूषण नियंत्रित करने के उपाय करने चाहिए और औद्योगिक क्षेत्रों में उत्सर्जन पर सख्ती बरतनी चाहिए।
समाधान की दिशा में संभावित कदम
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार और जनता को मिलकर काम करना होगा। वाहनों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना, सख्त नियमों का पालन करना और उद्योगों में फिल्टर लगाने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। इसके अलावा, प्रदूषण के उच्च स्तर के दौरान स्कूलों और ऑफिसों में छुट्टी की सुविधा देना भी एक विकल्प हो सकता है।
एक टिप्पणी भेजें