सारांश : हफ्ते की शुरुआत शेयर बाजार के लिए नकारात्मक रही। सेंसेक्स 500 अंकों तक लुढ़क गया, जबकि निफ्टी भी गिरावट के साथ कारोबार करता दिखा। विदेशी पूंजी की सतत निकासी, कमजोर आर्थिक प्रदर्शन, और विदेशी मुद्रा बाजार में दबाव ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया। वहीं, रुपया मामूली बढ़त के साथ अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.58 पर पहुंच गया।
शुरुआती कारोबार में बाजार की कमजोरी
सोमवार को भारतीय शेयर बाजार ने गिरावट के साथ शुरुआत की। शुरुआती घंटों में सेंसेक्स 493.84 अंकों की गिरावट के साथ 79,308.95 पर आ गया। निफ्टी ने भी 122.45 अंकों की गिरावट दर्ज की और 24,008.65 पर कारोबार किया। बाजार में यह गिरावट निवेशकों के कमजोर विश्वास और वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण आई।
गिरावट के पीछे मुख्य कारण
विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी और घरेलू आर्थिक आंकड़ों ने बाजार को कमजोर किया। शुक्रवार को जारी आर्थिक रिपोर्ट में बताया गया कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.4 प्रतिशत तक गिर गई, जो दो वर्षों का सबसे निचला स्तर है। विनिर्माण और खनन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन ने इस गिरावट को और बढ़ाया।
एफआईआई की बिकवाली का प्रभाव
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली ने घरेलू बाजार को और दबाव में डाला। शुक्रवार को एफआईआई ने कुल 4,383.55 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जिससे बाजार पर नकारात्मक असर पड़ा। यह लगातार विदेशी पूंजी के बाहर जाने की समस्या को दर्शाता है, जिसने घरेलू बाजार में अस्थिरता बढ़ाई है।
बड़े शेयरों का प्रदर्शन
सेंसेक्स में सूचीबद्ध प्रमुख कंपनियों में से कई ने नुकसान दर्ज किया। इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी बैंक, लार्सन एंड टूब्रो, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई। दूसरी ओर, मारुति सुजुकी, अल्ट्राटेक सीमेंट, अदाणी पोर्ट्स और टाटा मोटर्स जैसे कुछ शेयरों ने मामूली बढ़त दर्ज की।
रुपया : स्थिरता की ओर
हालांकि शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई, लेकिन रुपया थोड़ा संभलता दिखा। सोमवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 84.58 प्रति डॉलर पर पहुंच गया, जो कि शुक्रवार के 84.60 के निचले स्तर से मामूली ऊपर था। हालांकि, विदेशी पूंजी की निकासी और अमेरिकी मुद्रा की मजबूती ने रुपये पर दबाव बनाए रखा।
निवेशकों के लिए सुझाव
बाजार में जारी अस्थिरता को देखते हुए निवेशकों को सतर्कता के साथ निवेश करने की सलाह दी जाती है। छोटे निवेशकों को लॉन्ग-टर्म निवेश पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और वैश्विक और घरेलू आर्थिक रुझानों पर नजर रखनी चाहिए।
आने वाले दिनों में बाजार की संभावनाएं
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों और अमेरिकी डॉलर की मजबूती जैसे कारक घरेलू बाजार को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, आगामी आर्थिक नीतियां और एफआईआई की गतिविधियां भी बाजार की दिशा निर्धारित करेंगी।
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