सारांश: एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि 80% हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होल्डर्स को क्लेम सेटलमेंट में जानबूझकर देरी का सामना करना पड़ता है। नियमों के तहत कैशलेस क्लेम 1 घंटे में निपटाना चाहिए, लेकिन अधिकांश मामलों में देरी 6 से 48 घंटे तक होती है। IRDAI के निर्देशों के बावजूद, पॉलिसी होल्डर्स को बार-बार दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
क्लेम सेटलमेंट में देरी बनी बड़ी समस्या:
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वाले ग्राहकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है क्लेम सेटलमेंट। एक हालिया सर्वे में पाया गया है कि 10 में से 6 पॉलिसी होल्डर्स को उनके क्लेम सेटलमेंट में 6 से 48 घंटे तक इंतजार करना पड़ा। यह देरी न केवल असुविधाजनक है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रक्रिया को भी बाधित करती है।
जानबूझकर देरी के आरोप:
Local Circles द्वारा किए गए इस सर्वे में 80% प्रतिभागियों ने कहा कि हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां जानबूझकर क्लेम सेटलमेंट में देरी करती हैं। इसका उद्देश्य कम भुगतान करना और ग्राहकों को हतोत्साहित करना है। कई बार कंपनियां बिना किसी ठोस कारण के क्लेम को खारिज कर देती हैं या फिर कम राशि का भुगतान करती हैं।
क्लेम सेटलमेंट में देरी के प्रभाव:
सर्वे में यह भी पाया गया कि देरी के कारण अस्पताल से डिस्चार्ज में भी बाधा आती है। 21% पॉलिसी होल्डर्स ने कहा कि उन्हें डिस्चार्ज होने में 1 से 2 दिन का अतिरिक्त समय लग गया। स्वस्थ होने के बावजूद, मरीजों को सिर्फ क्लेम प्रोसेसिंग के इंतजार में अस्पताल में रहना पड़ा।
IRDAI के निर्देशों की अनदेखी:
केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन रेगुलेटरी बॉडी IRDAI ने जून 2024 में सभी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को निर्देश दिया था कि कैशलेस क्लेम 1 घंटे के भीतर निपटाए जाएं। अगर ऐसा नहीं होता, तो अतिरिक्त खर्च कंपनियों को ही वहन करना होगा। बावजूद इसके, पॉलिसी होल्डर्स को समय पर क्लेम सेटलमेंट नहीं मिल रहा है।
ग्राहकों का अनुभव:
पिछले 3 वर्षों में क्लेम करने वाले ग्राहकों से उनके अनुभवों पर सवाल पूछे गए। इसमें 50% लोगों ने कहा कि उनके क्लेम को बिना किसी उचित कारण के खारिज कर दिया गया या फिर उन्हें कम भुगतान किया गया। यह समस्या ग्राहकों के लिए मानसिक और आर्थिक दोनों रूप से तनावपूर्ण है।
समस्या का समाधान जरूरी:
हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की इस प्रक्रिया से लोगों का भरोसा कमजोर हो रहा है। सरकार और IRDAI को मिलकर इस दिशा में कठोर कदम उठाने की जरूरत है ताकि कंपनियां नियमों का पालन करें और ग्राहकों को समय पर राहत मिल सके।
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