सारांश : अल-कादिर ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को 14 साल की जेल और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 7 साल की सजा सुनाई गई है। इस फैसले के तहत दोनों पर भारी जुर्माना भी लगाया गया है। इमरान खान पहले से ही जेल में बंद थे, वहीं बुशरा बीबी को कोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में कई गवाहों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें पूर्व सरकारी अधिकारी और मंत्री शामिल थे।
पाकिस्तान की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है। अल-कादिर ट्रस्ट से जुड़े इस मामले में इमरान खान को 14 साल और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 7 साल जेल की सजा दी गई है। इसके अलावा, अदालत ने इमरान खान पर 10 लाख रुपये और बुशरा बीबी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
कोर्ट में सुनवाई और फैसला
अडियाला जेल में बनाई गई अस्थायी अदालत में न्यायाधीश नासिर जावेद राणा ने इस फैसले की घोषणा की। सुनवाई के दौरान अदालत में नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो (NAB) के अभियोजक और बचाव पक्ष के वकील मौजूद थे।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सुनवाई के बाद बुशरा बीबी को कोर्ट से ही गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि इमरान खान पहले से ही जेल में थे। यह मामला फरवरी 2024 में चुनावों के तुरंत बाद दर्ज किया गया था। सुनवाई से पहले पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के चेयरमैन बैरिस्टर गोहर अली खान ने मीडिया को बताया था कि अगर निष्पक्ष निर्णय हुआ, तो इमरान खान और बुशरा बीबी को बरी किया जाएगा।
अल-कादिर ट्रस्ट मामला क्या है?
यह मामला पाकिस्तान की राजनीति में सबसे चर्चित घोटालों में से एक है। आरोपों के अनुसार, इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी ने बहरिया टाउन लिमिटेड से अरबों रुपये और सैकड़ों कनाल जमीन अवैध रूप से प्राप्त की थी। इस संपत्ति का संबंध यूनाइटेड किंगडम द्वारा पाकिस्तान को लौटाए गए 50 अरब रुपये से था, जिसे कथित रूप से भ्रष्टाचार के जरिए सफेद धन में बदल दिया गया।
भ्रष्टाचार के आरोप और कानूनी प्रक्रिया
दिसंबर 2023 में इस्लामाबाद की जवाबदेही अदालत ने इस मामले की सुनवाई की तारीख 6 जनवरी 2024 तय की थी, लेकिन न्यायाधीश की अनुपस्थिति और अन्य कारणों से यह फैसला देर से सुनाया गया।
नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो (NAB) ने दिसंबर 2023 में इमरान खान और सात अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि इमरान खान ने राज्य की धनराशि को अवैध रूप से बहरिया टाउन के भूमि भुगतान खाते में स्थानांतरित कर दिया। इस मामले में प्रॉपर्टी टायकून मलिक रियाज हुसैन, उनके बेटे और पीटीआई सरकार के कुछ पूर्व अधिकारी भी आरोपी बनाए गए थे।
गवाहों के बयान और अन्य सबूत
मामले में अदालत के सामने कई गवाह पेश हुए। पूर्व मंत्री परवेज खट्टक ने बताया कि 2019 में हुई एक बैठक में एक गुप्त दस्तावेज पेश किया गया था, जो इस घोटाले से जुड़ा हुआ था। इमरान खान के पूर्व प्रधान सचिव आजम खान ने भी अदालत में गवाही दी कि यह दस्तावेज मंत्रिमंडल की बैठक में पेश करने के लिए अनुमति मांगी गई थी।
इसके अलावा, इस मामले में यह भी आरोप लगाया गया कि £190 मिलियन (करीब 50 अरब रुपये) की धनराशि को सही ठहराने के लिए एक ट्रस्ट बनाया गया था, जिसके उद्देश्य और वैधता पर सवाल उठाए गए थे।
इमरान खान और पीटीआई की प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद पीटीआई ने इसे "राजनीतिक प्रतिशोध" करार दिया है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि इमरान खान के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया गया है। वहीं, सरकार का कहना है कि यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का हिस्सा है और न्यायिक प्रक्रिया के तहत सजा दी गई है।
निष्कर्ष
इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को मिली इस सजा से पाकिस्तान की राजनीति में हलचल मच गई है। पीटीआई समर्थकों का मानना है कि यह फैसला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है, जबकि विपक्ष और सरकार इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी जीत बता रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इमरान खान इस फैसले के खिलाफ कोई अपील दायर करेंगे या नहीं।
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