सारांश: भारत सरकार अपनी रक्षा क्षेत्र को और अधिक मजबूत करने के लिए कई बड़ी डीलों पर काम कर रही है। इनमें प्रमुख फ्रांस से राफेल-मारिन लड़ाकू विमानों, पनडुब्बियों, हेलिकॉप्टरों और तोपों की खरीददारी शामिल है। यह डील 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के होंगे, जिससे भारत की सैन्य ताकत में वृद्धि होगी।
भारत सरकार 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के रक्षा सौदों पर अंतिम मुहर लगाने के लिए तैयार है। इन सौदों में प्रमुख रूप से फ्रांस से राफेल-मारिन लड़ाकू विमानों की खरीद, पनडुब्बियों, हेलिकॉप्टरों, और तोपों के अधिग्रहण की योजना शामिल है। इस कदम से भारत की सशस्त्र सेनाओं की फायर पावर और युद्धक्षेत्र में उनकी क्षमता को मजबूत किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष के अंत से पहले 31 मार्च तक इन सौदों को अंतिम रूप देने की योजना बनाई है। इन सौदों के जरिए भारत अपने सैन्य बेड़े में अत्याधुनिक उपकरणों को शामिल करेगा। इससे भारतीय सेना की युद्ध क्षमता और रणनीतिक ताकत में वृद्धि होगी।
फ्रांस के साथ 63,000 करोड़ रुपये की डील:
इस समय भारत और फ्रांस के बीच एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदा होने जा रहा है, जो भारत के रक्षा क्षेत्र को और अधिक सशक्त बनाएगा। भारतीय नेवी के लिए फ्रांस से 26 राफेल-मरीन लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए लगभग 63,000 करोड़ रुपये का समझौता होने वाला है। यह विमानों की तैनाती विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के डेक पर की जाएगी। इस सौदे में 22 सिंगल-सीट मैरीटाइम जेट और 4 ट्विन-सीट ट्रेनर विमानों के साथ-साथ हथियार, सिमुलेटर और प्रशिक्षण के लिए सुविधाएं भी शामिल होंगी।
इसके साथ ही, भारतीय वायुसेना के लिए पहले से खरीदी गई 36 राफेल विमानों के पुर्जों की खरीदारी भी इस सौदे का हिस्सा है। इस डील को लेकर कैबिनेट समिति की अंतिम मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है, और यह सौदा भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए एक बड़ा कदम साबित होगा।
PM मोदी का फ्रांस दौरा और नए समझौते:
प्रधानमंत्री मोदी 11 और 12 फरवरी को फ्रांस का दौरा करने वाले हैं, जहां वह एक और महत्वपूर्ण रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। इस समझौते में भारत को 38,000 करोड़ रुपये का निवेश मिलेगा, जिसके तहत भारत तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां और एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) तकनीक के साथ इन्हें विकसित करने का समझौता करेगा। यह पनडुब्बियां मुंबई स्थित मझगांव डॉक्स में तैयार की जाएंगी, और 2031 तक भारतीय नौसेना में शामिल की जाएंगी।
स्वदेशी हेलिकॉप्टर और तोपों की डील:
इसके अलावा, भारत सरकार ने स्वदेशी सैन्य उपकरणों की खरीद पर भी जोर दिया है। भारत 156 स्वदेशी प्रचंड लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टरों के लिए लगभग 53,000 करोड़ रुपये का सौदा करने जा रही है। ये हेलिकॉप्टर सियाचिन ग्लेशियर और पूर्वी लद्दाख जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किए जाएंगे, जिससे भारतीय सेना की हवा से जमीनी युद्ध क्षमता में वृद्धि होगी। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित ये हेलिकॉप्टर भारतीय सेना के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित होंगे।
इसके साथ ही, 307 स्वदेशी उन्नत तोपों (एटीएजीएस) के लिए 8,500 करोड़ रुपये का समझौता भी किया जा रहा है। यह तोपें भारतीय सेना की जमीनी ताकत को और मजबूती देंगी। इन तोपों को DRDO द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है, और इनकी मारक क्षमता 48 किमी तक है। भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स इस परियोजना पर काम कर रहे हैं।
सैन्य क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम:
इन रक्षा सौदों से स्पष्ट है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए अब विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर नहीं रहना चाहता। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने स्वदेशी उपकरणों और तकनीकों के विकास पर जोर दिया है, जिससे भारतीय सैन्य बलों की क्षमता और आत्मनिर्भरता में वृद्धि हो रही है। यह कदम भारत को अंतरराष्ट्रीय रक्षा क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
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