सारांश : भारतीय शेयर बाजार में वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और निवेशकों की नकारात्मक धारणा के कारण भारी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी गिरावट के साथ मिडकैप और बैंकिंग शेयरों पर भी दबाव रहा। विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली ने बाजार को और कमजोर कर दिया।
भारतीय शेयर बाजार की कमजोर शुरुआत
भारतीय शेयर बाजार ने आज कमजोर शुरुआत की, जहां वैश्विक बाजारों के उतार-चढ़ाव और आर्थिक अनिश्चितताओं का दबाव स्पष्ट दिखा। आज प्री-ओपनिंग सत्र में ही निवेशकों का सेंटिमेंट कमजोर नजर आया, जिससे बाजार में भारी गिरावट का दौर शुरू हो गया। बीएसई सेंसेक्स 749.01 अंकों की गिरावट के साथ 76,629.90 पर खुला। वहीं, निफ्टी 50 में 236.10 अंकों की गिरावट दर्ज की गई और यह 23,195.40 पर पहुंच गया।
शुरुआती कारोबार में गिरावट का असर
सुबह 9:31 बजे के करीब, बाजार में गिरावट और तेज हो गई। सेंसेक्स 652.43 अंक (0.84%) टूटकर 76,726.48 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 201.60 अंक (0.86%) की गिरावट के साथ 23,229.90 पर कारोबार कर रहा था। बैंकिंग, मिडकैप और आईटी सेक्टर के शेयरों में गिरावट से बाजार की स्थिति और बिगड़ गई।
वैश्विक बाजारों का प्रभाव
भारतीय शेयर बाजार की इस गिरावट के पीछे वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और विदेशी बाजारों में उतार-चढ़ाव का मुख्य योगदान है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्याज दरों में वृद्धि की संभावनाएं और मंदी की आशंका ने निवेशकों की धारणा को नकारात्मक बना दिया है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा कठोर मौद्रिक नीतियों के संकेत ने भी बाजार पर दबाव बढ़ाया है।
साप्ताहिक गिरावट के आंकड़े
6 जनवरी से 10 जनवरी के बीच भारतीय बाजार ने बड़ी गिरावट दर्ज की। निफ्टी 573 अंकों (2.39%) की गिरावट के साथ 23,431 पर बंद हुआ। इसी दौरान, सेंसेक्स में 1,844 अंकों (2.33%) की गिरावट हुई और यह 77,378 पर बंद हुआ। बैंक निफ्टी पर इस दौरान सबसे अधिक दबाव देखा गया, जो 2,254 अंकों (4.42%) की गिरावट के साथ 48,734 पर बंद हुआ।
मिडकैप शेयरों पर दबाव
इस गिरावट का सबसे ज्यादा असर मिडकैप शेयरों पर देखने को मिला। पिछले सप्ताह, मिडकैप इंडेक्स में करीब 6% की गिरावट दर्ज की गई। छोटे और मझोले स्तर की कंपनियों के शेयर निवेशकों के लिए अधिक जोखिमभरे साबित हुए।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली की। एफआईआई ने पिछले सप्ताह 16,854 करोड़ रुपये की निकासी की, जबकि एफपीआई ने जनवरी के पहले सप्ताह में ही 22,194 करोड़ रुपये का निवेश वापस लिया। इन भारी बिकवालियों ने बाजार को और कमजोर कर दिया।
बैंकिंग और आईटी सेक्टर पर असर
बैंकिंग और आईटी सेक्टर पर गिरावट का गहरा असर पड़ा। बैंक निफ्टी ने भारी गिरावट दर्ज की, जिससे निवेशकों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। आईटी कंपनियों के शेयर भी गिरावट का शिकार हुए, क्योंकि वैश्विक मांग में कमी और डॉलर की मजबूती ने इन पर नकारात्मक प्रभाव डाला।
आगे की संभावनाएं
विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में सुधार तभी संभव है जब वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों में स्थिरता आए। घरेलू मोर्चे पर, सरकार की ओर से नीतिगत स्थिरता और आर्थिक सुधारों की उम्मीद की जा रही है। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे सतर्क रहें और दीर्घकालिक निवेश पर ध्यान केंद्रित करें।
निवेशकों के लिए सुझाव
मौजूदा बाजार स्थिति को देखते हुए, विशेषज्ञ निवेशकों को अत्यधिक सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं। जोखिम भरे मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में निवेश से बचने की सलाह दी जा रही है। लंबी अवधि के लिए मजबूत कंपनियों के शेयरों में निवेश करना अधिक सुरक्षित हो सकता है।
निष्कर्ष
भारतीय शेयर बाजार में हालिया गिरावट ने निवेशकों को भारी नुकसान झेलने पर मजबूर किया है। वैश्विक बाजारों का प्रभाव और विदेशी निवेशकों की बिकवाली मुख्य कारण रहे हैं। हालांकि, लंबे समय में बाजार में स्थिरता और सुधार की संभावनाएं बनी हुई हैं।
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