सारांश: दुबई में भारत और अफगानिस्तान के बीच उच्च-स्तरीय वार्ता हुई, जिसमें चाबहार बंदरगाह और मानवीय सहायता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। भारत ने अफगानिस्तान को और अधिक सहायता का आश्वासन दिया। यह वार्ता तालिबान शासन के बाद दोनों देशों के संबंधों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


चाबहार बंदरगाह पर भारत-अफगानिस्तान की वार्ता: संबंधों में नया मोड़?


भारत-अफगानिस्तान के बीच वार्ता


दुबई में बुधवार को भारत और अफगानिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण उच्च स्तरीय वार्ता आयोजित की गई। भारत की ओर से विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस वार्ता में हिस्सा लिया, जबकि अफगानिस्तान की तरफ से तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्तकी उपस्थित रहे।


इस बैठक का उद्देश्य दोनों देशों के बीच लंबे समय से निष्क्रिय पड़े संबंधों को पुनर्जीवित करना था। 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत और अफगानिस्तान के संबंध सीमित हो गए थे। हालांकि, भारत अब अफगानिस्तान को मानवीय और विकास सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।


चाबहार बंदरगाह की रणनीतिक भूमिका


बैठक में चाबहार बंदरगाह की भूमिका पर विशेष चर्चा हुई। ईरान में भारत की मदद से निर्मित इस बंदरगाह को अफगानिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण आपूर्ति मार्ग माना जाता है। यह लैंडलॉक्ड अफगानिस्तान को समुद्री व्यापार के लिए एक प्रमुख विकल्प प्रदान करता है।


बैठक में दोनों पक्षों ने इस बंदरगाह के महत्व को समझते हुए इसे और बेहतर बनाने के उपायों पर विचार किया। यह न केवल अफगानिस्तान को व्यापार के अवसर प्रदान करता है बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और विकास में भी योगदान देता है।


मानवीय सहायता में भारत की भूमिका


भारत ने अफगानिस्तान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए और अधिक मानवीय सहायता प्रदान करने का वादा किया। इसमें दवाओं की आपूर्ति, शरणार्थियों के पुनर्वास, और अन्य आपातकालीन जरूरतें शामिल हैं।


पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अफगानिस्तान को विभिन्न प्रकार की सहायता दी है, जिसमें 50,000 मीट्रिक टन गेहूं, 300 टन दवाइयां, कोविड वैक्सीन की 1.5 मिलियन खुराक, और भूकंप राहत सामग्री शामिल हैं। भारत ने यह स्पष्ट किया है कि अफगानिस्तान के लोगों की जरूरतों को प्राथमिकता दी जाएगी।


अन्य मुद्दों पर चर्चा


बैठक में विकास सहायता, व्यापार, सांस्कृतिक संबंध, और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई। भारत ने अफगानिस्तान को आश्वासन दिया कि वह निकट भविष्य में विकास परियोजनाओं में शामिल होगा।


भारत-अफगानिस्तान संबंधों में सुधार की दिशा


यह वार्ता तालिबान शासन के बाद दोनों देशों के बीच पहला बड़ा संवाद है। इसने यह संकेत दिया है कि भारत अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को फिर से मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।


अफगानिस्तान की प्रतिक्रिया


तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री ने भारत द्वारा दी जा रही सहायता के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत का समर्थन अफगानिस्तान के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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