सारांश : इस्राइली साइबर सुरक्षा फर्म विज ने दावा किया है कि चीनी एआई स्टार्टअप डीपसीक का संवेदनशील डेटा अनजाने में इंटरनेट पर लीक हो गया था। इस घटना के बाद, डीपसीक ने तुरंत डेटा सुरक्षित किया। वहीं, अमेरिका ने आरोप लगाया कि डीपसीक का एआई मॉडल अमेरिकी तकनीक की चोरी पर आधारित है।
हाल ही में एक सुरक्षा घटना ने वैश्विक तकनीकी समुदाय को चौका दिया है। इस्राइली साइबर सुरक्षा फर्म "विज" ने दावा किया कि चीनी एआई स्टार्टअप डीपसीक का संवेदनशील डेटा बिना इरादे के इंटरनेट पर लीक हो गया था। इस डेटा में डिजिटल सॉफ़्टवेयर कुंजी और चैट लॉग्स शामिल थे। विज के बुनियादी ढांचे के स्कैन से यह पता चला कि डीपसीक ने गलती से एक मिलियन से अधिक लाइनों का डेटा असुरक्षित छोड़ दिया था। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद, डीपसीक ने अपनी कंपनी के डेटा की सुरक्षा को प्राथमिकता दी और तुरंत इसे सुरक्षित कर लिया।
विज के सह-संस्थापक, अमी लुटवाक ने खुलासा किया कि कंपनी ने एक घंटे से भी कम समय में लीक हुए डेटा को हटा लिया, क्योंकि यह इतना आसान था कि इसे खोजने में किसी को भी कोई कठिनाई नहीं हुई। उन्होंने यह भी कहा कि इस डेटा लीक की जानकारी खोजने में केवल उनकी कंपनी का ही हाथ नहीं था, बल्कि और भी लोग इसे खोज सकते थे। इस घटना ने साबित कर दिया कि संवेदनशील डेटा को उचित सुरक्षा उपायों के बिना खुले इंटरनेट पर छोड़ना कितनी बड़ी समस्या हो सकती है।
इस बीच, अमेरिका ने डीपसीक के एआई मॉडल को लेकर सख्त बयान दिया है। अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि डीपसीक का एआई मॉडल अमेरिकी तकनीक की चोरी पर आधारित है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में वाणिज्य मंत्री नामित हॉवर्ड लुटनिक ने बुधवार को सीनेटरों से कहा कि डीपसीक ने अमेरिकी सेमीकंडक्टर चिप्स और अन्य उन्नत अमेरिकी तकनीकों का उपयोग करके एक सस्ता और शक्तिशाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता मॉडल तैयार किया है।
लुटनिक ने यह भी बताया कि अमेरिका को अपने नेतृत्व को बनाए रखने के लिए वैश्विक मानक स्थापित करने होंगे, खासकर एआई और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में। उन्होंने कहा कि अमेरिका को यह सुनिश्चित करना होगा कि दुनिया इस दिशा में अमेरिकी मानकों का पालन करे, ताकि अमेरिका का तकनीकी नेतृत्व बनाए रखा जा सके। लुटनिक ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि एआई के लिए "लाइट टच मॉडल" की आवश्यकता है, ताकि अमेरिका वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे रहे।
यह मामला दो प्रमुख मुद्दों को उजागर करता है - पहली, संवेदनशील डेटा की सुरक्षा की गंभीरता और दूसरी, वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में अमेरिकी नेतृत्व को बनाए रखने की आवश्यकता। जहां एक ओर इस घटना ने दिखाया कि इंटरनेट पर खुला डेटा कितना खतरनाक हो सकता है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने यह स्पष्ट किया कि उसकी एआई तकनीक और सेमीकंडक्टर चिप्स का उपयोग करने वाली कंपनियां ध्यान में रखे बिना वैश्विक स्तर पर काम नहीं कर सकतीं।
अब यह देखना होगा कि चीन और अमेरिका के बीच यह विवाद और इस तरह की घटनाओं का क्या प्रभाव होगा। क्या एआई और डेटा सुरक्षा के मामलों में नई वैश्विक नीतियाँ बनाई जाएँगी, और क्या चीनी कंपनियाँ अमेरिकी तकनीकों के इस्तेमाल में सावधानी बरतेंगी? यह सवाल अब और भी प्रासंगिक हो गया है क्योंकि एआई और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में देशों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है।
इस बीच, विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर डेटा सुरक्षा और प्रौद्योगिकी के प्रति जिम्मेदारी की ओर गंभीर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। चुराई गई तकनीक और डेटा लीक के मामलों से बचने के लिए, कंपनियों को अपनी सुरक्षा नीतियों को कड़ा करना होगा और सरकारी संस्थाओं को इसके लिए कड़े नियम बनाने होंगे।
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