महाराष्ट्र के पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का खतरा बढ़ता जा रहा है। बीते तीन हफ्तों में इस बीमारी से 111 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इसी दौरान 41 वर्षीय एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की मौत की पुष्टि हुई है, जो पुणे में GBS संक्रमण से होने वाली पहली मृत्यु है।
GBS संक्रमण से पुणे में पहली मौत, मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही
महाराष्ट्र के पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। पिछले तीन सप्ताह में इस दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी के 111 मामले सामने आए हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश अबितकर ने पुष्टि की कि 41 वर्षीय एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की इस बीमारी के चलते मौत हो गई। यह पुणे में GBS से होने वाली पहली पुष्टि की गई मृत्यु है।
संक्रमण का तेजी से बढ़ता ग्राफ, 17 मरीज वेंटिलेटर पर
GBS संक्रमण का पहला मामला 9 जनवरी को दर्ज किया गया था। केवल तीन सप्ताह के भीतर, संक्रमितों की संख्या बढ़कर 111 हो गई। बीते रविवार तक यह संख्या 101 थी। फिलहाल, 17 मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है और वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं, जबकि सात मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने दिल्ली और बेंगलुरु से एक विशेषज्ञ टीम पुणे भेजी है, जो स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों की मदद कर रही है।
मृतक को दस्त के बाद हुई थी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
मृतक के परिवार के अनुसार, 9 जनवरी को उन्हें दस्त की शिकायत हुई थी। उन्होंने डॉक्टर की सलाह पर दवा ली और 14 जनवरी को परिवार के साथ सोलापुर गए। 17 जनवरी को उन्हें कमजोरी महसूस हुई, जिसके बाद 18 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में रखा गया। कुछ समय तक सुधार के संकेत मिले और उन्हें सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन अचानक तबीयत फिर बिगड़ गई और 27 जनवरी की रात उनकी मौत हो गई।
डॉक्टरों की राय: स्थिति गंभीर, जांच जारी
सोलापुर के वैशम्पायन मेडिकल कॉलेज के डीन, डॉ. संजीव ठाकुर ने बताया कि मृतक के मस्तिष्कमेरु द्रव, नर्व टिशू और अंगों के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं। इनके परिणाम 7-8 दिनों में आने की संभावना है। अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार, मरीज को कमजोरी और आंशिक लकवे के लक्षणों के साथ भर्ती किया गया था। GBS प्रोटोकॉल के तहत इलाज किया गया, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर उन्हें बचाया नहीं जा सका।
GBS क्या है और क्यों है खतरनाक?
गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से नसों पर हमला करने लगती है। इसका प्रभाव मुख्य रूप से तंत्रिका तंत्र पर पड़ता है और यह लकवे जैसी स्थिति पैदा कर सकता है। यह बीमारी अक्सर किसी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद उभरती है। इसके मुख्य लक्षणों में कमजोरी, झुनझुनी, चलने में कठिनाई और गंभीर मामलों में सांस लेने में दिक्कत शामिल हैं।
GBS के बढ़ते मामलों को लेकर सरकार सतर्क
महाराष्ट्र सरकार और स्वास्थ्य विभाग स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बीमारी का त्वरित निदान और सही इलाज ही इसका सबसे प्रभावी समाधान है। पुणे में बढ़ते मामलों को देखते हुए अस्पतालों में विशेष वार्ड बनाए गए हैं और प्रभावित मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराया जा रहा है।
क्या करें अगर GBS के लक्षण दिखें?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को कमजोरी, हाथ-पैरों में झुनझुनी या लकवे के लक्षण महसूस हों, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सही समय पर उपचार से गंभीर जटिलताओं को रोका जा सकता है।
निष्कर्ष
पुणे में GBS संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और पहली मौत ने इस बीमारी की गंभीरता को उजागर कर दिया है। सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियां स्थिति पर नियंत्रण पाने के प्रयास में जुटी हुई हैं। समय पर जांच और उचित उपचार से इस बीमारी के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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