सारांश: बिहार सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच सहमति बनने के बाद आज शाम 4 बजे कैबिनेट विस्तार हो सकता है। इस दौरान 7 नए मंत्रियों को शामिल किए जाने की संभावना है। संभावित नामों में संजय सरावगी, राजू सिंह, अवधेश पटेल, जीवेश मिश्रा और अनिल शर्मा का जिक्र हो रहा है। जातीय संतुलन साधने के लिए इस विस्तार को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए।


बिहार में जल्द होगा कैबिनेट विस्तार, 7 नए मंत्रियों को मिल सकती है जगह


बिहार में आज हो सकता है कैबिनेट विस्तार

बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल बढ़ गई है। राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार जल्द ही कैबिनेट विस्तार कर सकती है। इस विस्तार को लेकर कई दिनों से चर्चा चल रही थी, और अब सूत्रों के अनुसार, आज शाम 4 बजे इस पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।


बताया जा रहा है कि इस विस्तार में 7 नए चेहरों को कैबिनेट में जगह दी जा सकती है। इन नए मंत्रियों के नामों को लेकर सत्ताधारी दलों में चर्चा तेज है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल की जगह किसी अन्य नेता को मंत्री पद दिया जा सकता है। संभावित मंत्रियों में संजय सरावगी, राजू सिंह, अवधेश पटेल, जीवेश मिश्रा और अनिल शर्मा के नाम प्रमुखता से उभरकर सामने आए हैं।


जेपी नड्डा और नीतीश कुमार के बीच बनी सहमति

सूत्रों की मानें तो बिहार के कैबिनेट विस्तार पर अंतिम निर्णय बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच हुई मुलाकात के दौरान लिया गया। दोनों नेताओं के बीच विस्तार को लेकर विस्तृत चर्चा हुई, जिसके बाद इसकी रूपरेखा तैयार की गई। बताया जा रहा है कि बिहार बीजेपी के प्रभारी विनोद तावड़े भी इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा रहे हैं।


विनोद तावड़े आज दिल्ली के लिए रवाना हो सकते हैं, जहां वे केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष संभावित मंत्रियों की सूची पेश करेंगे। इस सूची को अंतिम मंजूरी मिलने के बाद ही कैबिनेट विस्तार की घोषणा की जाएगी।


जातीय समीकरण साधने की कोशिश

बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए कैबिनेट विस्तार में जातीय संतुलन बनाए रखने पर खास ध्यान दिया जा रहा है। बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं, और यही कारण है कि इस बार के कैबिनेट विस्तार में हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की जा रही है।


सूत्रों के अनुसार, पिछली बार भी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा जोरों पर थी, लेकिन विभिन्न कारणों से इसे टाल दिया गया था। अब चुनावी समीकरण को साधने के लिए इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जा रहा है।


बिहार बीजेपी में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा

इस कैबिनेट विस्तार के साथ ही बिहार बीजेपी में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल की जगह किसी नए चेहरे को मौका दिया जा सकता है। पार्टी के अंदर भी इसको लेकर गहन विचार-विमर्श चल रहा है।


विश्लेषकों का मानना है कि यदि नेतृत्व परिवर्तन होता है तो इसका असर आगामी चुनावों में देखने को मिल सकता है। बीजेपी अपने संगठन को और मजबूत करने के लिए इस फैसले पर गंभीरता से विचार कर रही है।


नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी की बैठक

कैबिनेट विस्तार से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के बीच बैठक हुई। इस बैठक में संभावित मंत्रियों के नामों पर चर्चा की गई। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब बिहार में राजनीतिक माहौल गर्माया हुआ है और सभी दल चुनावी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं।


सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में सरकार की आगामी योजनाओं और बजट सत्र से जुड़ी रणनीतियों पर भी चर्चा की गई। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा का बजट सत्र 28 फरवरी से शुरू होने जा रहा है, जो 28 मार्च तक चलेगा।


28 फरवरी से शुरू होगा बिहार विधानसभा का बजट सत्र

बिहार विधानमंडल का बजट सत्र 28 फरवरी से शुरू होगा और 28 मार्च तक चलेगा। इस दौरान राज्य सरकार आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेगी और वित्तीय वर्ष 2025-26 का वार्षिक बजट पेश किया जाएगा।


बिहार में एनडीए गठबंधन की सरकार है, जिसमें बीजेपी, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) (LJP-R) शामिल हैं। कैबिनेट विस्तार के जरिए सभी सहयोगी दलों को उचित प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की जा रही है।


कैबिनेट विस्तार के राजनीतिक मायने

बिहार का कैबिनेट विस्तार सिर्फ प्रशासनिक फैसला नहीं बल्कि राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है। यह फैसला आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए लिया जा रहा है, ताकि एनडीए सरकार अपनी स्थिति को और मजबूत कर सके।

  • जातीय संतुलन: बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और इस विस्तार के जरिए विभिन्न जातियों को संतुलित तरीके से प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की जा रही है।
  • बीजेपी का दबदबा: बीजेपी बिहार में अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहती है, इसलिए वह अपने मंत्रियों को सही तरीके से चुनने में कोई जल्दबाजी नहीं कर रही है।
  • नीतीश कुमार की भूमिका: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस विस्तार के जरिए यह संदेश देना चाहते हैं कि सरकार में उनकी भूमिका अब भी सबसे महत्वपूर्ण है।
  • विपक्ष पर दबाव: विपक्षी दलों को यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि एनडीए सरकार स्थिर है और चुनावों के लिए पूरी तरह तैयार है।

Post a Comment

और नया पुराने