सारांश: उत्तराखंड सरकार ने नए भू-कानून को मंजूरी दे दी है, जिसे बजट सत्र में पेश किया जाएगा। इस कानून के तहत बाहरी लोगों की अनियंत्रित भूमि खरीद पर सख्ती बरती जाएगी। स्थानीय निवासियों के हितों की रक्षा के लिए हिमाचल की तर्ज पर नए प्रतिबंध लागू किए जाएंगे। यह कानून राज्य के मूल स्वरूप को बनाए रखने में मदद करेगा।
नया भू-कानून: बाहरी लोगों के लिए सख्त नियम
उत्तराखंड में लंबे समय से भू-कानून में बदलाव की मांग उठ रही थी, जिसे अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इस नए कानून को बजट सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा, जिससे इसे लागू करने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री धामी पहले ही संकेत दे चुके थे कि राज्य में जमीनों की अनियंत्रित खरीद-फरोख्त रोकने के लिए सख्त कानून लाया जाएगा। सरकार का उद्देश्य राज्य के पारंपरिक स्वरूप को बनाए रखना और स्थानीय निवासियों के अधिकारों की रक्षा करना है।
क्यों जरूरी था नया भू-कानून?
उत्तराखंड के मूल निवासी लंबे समय से मांग कर रहे थे कि बाहरी लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन खरीदने पर रोक लगाई जाए। सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों का मानना था कि बाहरी निवेशकों की असीमित भूमि खरीद के कारण राज्य की सांस्कृतिक और भौगोलिक संरचना प्रभावित हो रही है। इसके अलावा, कई मामलों में जमीन खरीद-फरोख्त के कारण पर्यावरणीय समस्याएं भी सामने आई हैं।
कैसा था उत्तराखंड का पुराना भू-कानून?
मौजूदा भू-कानून के अनुसार, कोई भी व्यक्ति नगर निकाय क्षेत्र के बाहर 250 वर्ग मीटर तक की जमीन बिना किसी अनुमति के खरीद सकता था। इसके अलावा, वर्ष 2017 में हुए संशोधनों के तहत बाहरी लोगों के लिए 12.5 एकड़ तक की भूमि खरीद की सीमा हटा दी गई थी, और इसकी परमिशन जिलाधिकारी स्तर से देने का प्रावधान किया गया था।
हालांकि, यह कानून बाहरी निवेशकों को खुली छूट देने जैसा साबित हुआ, जिससे राज्य में भूमि की अनियंत्रित खरीद बढ़ने लगी। स्थानीय लोगों को यह डर सताने लगा कि यदि इसी तरह भूमि बिकती रही, तो आने वाले समय में राज्य के मूल निवासियों के लिए ज़मीन खरीदना और रहना मुश्किल हो जाएगा।
नए भू-कानून की खास बातें
- बाहरी लोगों पर प्रतिबंध: हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी बाहरी लोगों के लिए जमीन खरीदने पर सख्त नियम लागू होंगे।
- स्थानीय हितों की सुरक्षा: राज्य सरकार ने सुनिश्चित किया है कि इस कानून से स्थानीय निवासियों के अधिकार सुरक्षित रहेंगे।
- अनियंत्रित भूमि खरीद पर रोक: अब बाहरी लोगों द्वारा अनियंत्रित भूमि खरीद करना आसान नहीं होगा, जिससे राज्य की पारंपरिक संरचना बनी रहेगी।
- बजट सत्र में पेश होगा कानून: सरकार इस कानून को विधानसभा में पारित कराएगी, जिसके बाद यह पूरे राज्य में लागू हो जाएगा।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
इस नए कानून को लेकर स्थानीय लोगों में खुशी की लहर है। लंबे समय से इस कानून की मांग को लेकर सामाजिक संगठन आंदोलन कर रहे थे, और अब सरकार की इस घोषणा को बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह कानून उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण को भी बचाने में मदद करेगा।
भू-कानून पर राजनीतिक बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार उत्तराखंड की पारंपरिक संस्कृति और लोगों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह कानून बाहरी लोगों के भूमि खरीद पर लगाम लगाएगा और राज्य के मूल स्वरूप को सुरक्षित रखेगा।
भविष्य में क्या बदलाव संभव हैं?
नए भू-कानून के लागू होने के बाद राज्य में बाहरी निवेशकों के लिए भूमि खरीद की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। साथ ही, यह भी संभव है कि सरकार इस कानून में और भी सख्त प्रावधान जोड़े, जिससे स्थानीय लोगों को और अधिक संरक्षण मिल सके।
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