सारांश: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों को राहत देते हुए बैंक फाइनेंस पर जोखिम भारांश को कम कर दिया है। इस निर्णय से बैंकों की उधार देने की क्षमता बढ़ेगी और आम आदमी को कर्ज मिलने में आसानी होगी।
आरबीआई के फैसले से एनबीएफसी को मिली राहत
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने NBFCs और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों को बड़ी राहत देते हुए उनके लिए बैंकिंग वित्तपोषण पर लागू जोखिम भारांश को कम करने का फैसला लिया है। इससे बैंकों के पास अधिक धन उपलब्ध होगा और वे ज्यादा कर्ज देने की स्थिति में होंगे। इस कदम से कर्ज वितरण की प्रक्रिया सरल होगी और छोटे व्यवसायों से लेकर आम आदमी तक को वित्तीय लाभ मिलेगा।
कैसे मिलेगा बैंकों को फायदा?
जोखिम भारांश कम होने से बैंकों को उपभोक्ता ऋण देने के लिए कम पूंजी आरक्षित रखनी होगी, जिससे उनकी उधार देने की क्षमता में वृद्धि होगी। यह न केवल एनबीएफसी के लिए बल्कि सूक्ष्म वित्त संस्थानों (MFI) के लिए भी राहत लेकर आया है। इससे बाजार में धन प्रवाह बढ़ेगा और लघु उद्योगों को विकास में मदद मिलेगी।
पिछले फैसले और मौजूदा बदलाव
- नवंबर 2023 में, आरबीआई ने कर्ज देने के मानकों को कड़ा करते हुए एनबीएफसी और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों पर लागू जोखिम भारांश को बढ़ाया था। इससे इन संस्थानों की कर्ज देने की गति धीमी हो गई थी।
- अब, RBI ने इन बदलावों की समीक्षा के बाद निर्णय लिया है कि जिन कर्जों पर पूर्व में जोखिम भारांश बढ़ाया गया था, उन्हें पुनः सामान्य स्थिति में लाया जाएगा। विशेष रूप से, माइक्रोफाइनेंस ऋण और उपभोक्ता ऋण को उच्च जोखिम भार से मुक्त किया जाएगा।
एनबीएफसी के लिए जोखिम भारांश में बदलाव
पूर्व में, जिन मामलों में एनबीएफसी की बाहरी रेटिंग के अनुसार जोखिम भार 100% से कम था, वहां बैंकों के लिए एनबीएफसी को दिए गए कर्ज पर जोखिम भार 25% अधिक कर दिया गया था। अब, आरबीआई ने समीक्षा के बाद इसे वापस पहले की स्थिति में बहाल करने का निर्णय लिया है।
माइक्रोफाइनेंस कर्ज पर असर
- माइक्रोफाइनेंस कर्ज पर भी आरबीआई ने राहत दी है। नवंबर 2023 में, व्यक्तिगत ऋण और उपभोक्ता कर्ज पर जोखिम भारांश 125% तक बढ़ा दिया गया था। इसमें गृह ऋण, शिक्षा ऋण, वाहन ऋण और सोने के बदले लिए गए कर्ज को शामिल नहीं किया गया था।
- अब, समीक्षा के बाद माइक्रोफाइनेंस कर्ज को भी इस उच्च जोखिम भार से बाहर रखा जाएगा और यह केवल 100% के जोखिम भार के अधीन होगा।
नए दिशानिर्देश और शर्तें
आरबीआई ने स्पष्ट किया कि केवल उन्हीं माइक्रोफाइनेंस ऋणों को नियामकीय खुदरा पोर्टफोलियो (RRP) के तहत वर्गीकृत किया जाएगा, जो उपभोक्ता ऋण की श्रेणी में नहीं आते और कुछ विशेष मानकों को पूरा करते हैं। साथ ही, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) और स्थानीय क्षेत्रीय बैंक (LAB) द्वारा दिए गए माइक्रोफाइनेंस कर्ज पर भी 100% का जोखिम भार लागू होगा।
आम आदमी को कैसे मिलेगा फायदा?
- कर्ज लेना होगा आसान: एनबीएफसी और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों की उधार देने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे आम लोगों को आसानी से लोन मिल सकेगा।
- ब्याज दरों में कमी की संभावना: जोखिम भारांश कम होने से बैंक और वित्तीय संस्थाएं कर्ज देने में अधिक सहज होंगी, जिससे ब्याज दरों में कमी आ सकती है।
- छोटे कारोबारियों को राहत: माइक्रोफाइनेंस संस्थान छोटे व्यापारियों और स्टार्टअप्स को आसानी से कर्ज दे पाएंगे।
- आर्थिक विकास को बढ़ावा: बाजार में धन प्रवाह बढ़ने से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
एक टिप्पणी भेजें