सारांश : महाराष्ट्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) तेजी से फैल रहा है। मुंबई के नायर अस्पताल में भर्ती एक 53 वर्षीय मरीज की इस बीमारी से मौत हो गई है। इससे पहले पुणे में भी एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की मौत जीबीएस से हो चुकी है। यह एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसके लक्षण स्वाइन फ्लू से मिलते-जुलते हैं। मरीजों में बुखार, सर्दी, जुकाम और मांसपेशियों की कमजोरी देखी गई है। अब तक राज्य में 167 मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जिसमें 7 मौतें हुई हैं। राज्य सरकार ने इससे निपटने के लिए विशेष कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
जीबीएस का महाराष्ट्र में बढ़ता खतरा
महाराष्ट्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) तेजी से फैल रहा है और इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। हाल ही में मुंबई के नायर अस्पताल में भर्ती 53 वर्षीय एक मरीज की इस बीमारी से मौत हो गई। मरीज वडाला इलाके का निवासी था और बीएमसी के बीएन देसाई अस्पताल में वार्ड बॉय के रूप में कार्यरत था। वह कई दिनों से बीमार था और नायर अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था।
इसी अस्पताल में पालघर की रहने वाली 10वीं कक्षा की एक छात्रा भी भर्ती है, जिसे जीबीएस वायरस का संक्रमण हुआ है। इससे पहले 6 फरवरी को भी इस बीमारी के कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
क्या है गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस)?
जीबीएस एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमें व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक प्रणाली उसकी तंत्रिकाओं पर हमला करने लगती है। इससे शरीर में कमजोरी और सुन्नता आने लगती है। यह बीमारी स्वाइन फ्लू के समान लक्षण दिखाती है, जिसमें बुखार, सर्दी और जुकाम होता है।
इस बीमारी में पैर से शुरू होकर पूरे शरीर में कमजोरी फैल सकती है और मरीज को सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। कुछ मरीजों को वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ सकती है।
जीबीएस के लक्षण:
बुखार, सर्दी और जुकाम
हाथ-पैरों में कमजोरी और झनझनाहट
शरीर के अंगों का सुन्न होना
मांसपेशियों में कमजोरी
सांस लेने में तकलीफ
गंभीर मामलों में लकवा या मौत की संभावना
महाराष्ट्र में बढ़ते मामले और सरकारी कदम
राज्य में अब तक 167 लोगों में जीबीएस की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से 7 की मौत हो चुकी है। हालांकि, इनमें से केवल 1 मौत जीबीएस से पुष्टि की गई है, जबकि 6 मौतें संदिग्ध मानी जा रही हैं।
पिछले महीने 26 जनवरी को पुणे में जीबीएस से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की भी मौत हो गई थी। इस घटना के बाद 29 जनवरी को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सरकारी अस्पतालों में विशेष प्रबंध करने के निर्देश दिए थे, ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके।
केंद्र सरकार भी इस बीमारी को लेकर सतर्क हो गई है। 27 जनवरी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र में जीबीएस के बढ़ते मामलों को देखते हुए सात सदस्यीय विशेषज्ञ टीम तैनात की थी। इस टीम का उद्देश्य राज्य सरकार को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन और हस्तक्षेप में सहायता प्रदान करना था।
जीबीएस से बचाव के उपाय:
राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को इस बीमारी से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी है:
उबला हुआ या बोतलबंद पानी पीएं।
खाने से पहले फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर खाएं।
चिकन और मांस को अच्छे से पकाएं।
कच्चे या अधपके भोजन, विशेष रूप से सलाद, अंडे, कबाब और समुद्री भोजन से बचें।
स्वच्छता का ध्यान रखें और नियमित रूप से हाथ धोएं।
निष्कर्ष:
महाराष्ट्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम का खतरा बढ़ता जा रहा है, जिससे सरकार और स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस बीमारी से बचाव के लिए साफ-सफाई और खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। सरकार ने विशेष चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन लोगों को भी सतर्क रहना आवश्यक है।
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