सारांश : केंद्रीय बजट 2025 के ठीक अगले दिन भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 700 अंक टूट गया, जबकि निफ्टी 23,300 के स्तर से नीचे चला गया। इस गिरावट के तीन मुख्य कारण सामने आए—अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए नए टैरिफ, कमजोर होता रुपया, और बजट में बुनियादी ढांचे पर अपेक्षाकृत कम खर्च। इस आर्थिक अस्थिरता ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया और बाजार में मंदी का माहौल बना दिया।
बजट के बाद शेयर बाजार को बड़ा झटका
केंद्रीय बजट 2025 के ठीक अगले दिन भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 700 अंक से अधिक गिरकर 76,774.05 के स्तर पर आ गया, जबकि निफ्टी 23,300 के महत्वपूर्ण स्तर से नीचे गिरकर 23,239.15 पर बंद हुआ। यह गिरावट कई प्रमुख कारणों से हुई, जिसमें वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, अमेरिकी व्यापार नीति में अचानक आए बदलाव और घरेलू बजट से जुड़ी कुछ घोषणाएँ शामिल हैं।
ट्रम्प के नए टैरिफ ने बढ़ाई वैश्विक व्यापार की चिंता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में कनाडा, मैक्सिको और चीन पर नए टैरिफ लगा दिए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में तनाव बढ़ गया है। ट्रम्प ने कनाडा और मैक्सिको से आयातित वस्तुओं पर 25% और चीन से आने वाले सामानों पर 10% का शुल्क लगाने की घोषणा की है। इस कदम से वैश्विक बाजारों में हलचल मच गई है, और कई देशों ने इस फैसले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की धमकी दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति के कारण विश्व व्यापार संगठन (WTO) में विवाद बढ़ सकता है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी.के. विजयकुमार के अनुसार, "ट्रम्प का यह कदम केवल आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।" अगर व्यापार युद्ध बढ़ता है, तो इसका प्रभाव भारत सहित कई देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
बजट में बुनियादी ढांचे पर मामूली खर्च ने किया निराश
केंद्रीय बजट में बुनियादी ढांचे पर अपेक्षाकृत कम खर्च की घोषणा से निवेशक निराश हुए हैं। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली। प्रमुख कंपनियों में एलएंडटी के शेयर 4.42% टूट गए, जबकि अल्ट्राटेक सीमेंट और इरकॉन इंटरनेशनल के शेयर भी क्रमशः 2% और 5% से अधिक गिर गए।
बजट से बाजार को उम्मीद थी कि सरकार बड़े स्तर पर पूंजीगत व्यय बढ़ाएगी, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, अपेक्षा के विपरीत, पूंजीगत व्यय में केवल मामूली वृद्धि की गई, जिससे इस क्षेत्र में निवेशकों का विश्वास कमजोर हुआ।
रुपया डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर
अमेरिकी व्यापार नीति में बदलाव और निवेशकों की अनिश्चितता के कारण भारतीय रुपया भी दबाव में आ गया। रुपया डॉलर के मुकाबले 87.07 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया, जो अब तक का सबसे कमजोर स्तर है।
ट्रम्प के नए टैरिफ की घोषणा के बाद एशियाई करेंसीज़ में भारी गिरावट आई, और इसका असर भारतीय रुपये पर भी पड़ा। विश्लेषकों का मानना है कि यदि अमेरिकी डॉलर की मांग बनी रहती है, तो रुपया और गिर सकता है। कमजोर रुपया आम जनता के लिए भी चिंता का विषय है, क्योंकि इससे आयात महंगा हो जाएगा, जिससे महंगाई दर बढ़ सकती है।
निवेशकों के लिए चुनौतीपूर्ण समय
इन सभी कारकों के कारण भारतीय शेयर बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई है। वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका, रुपये की कमजोरी और घरेलू बजट की कुछ नीतियों ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है।
शेयर बाजार के जानकारों का मानना है कि अगले कुछ दिनों में भी बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे बाजार की स्थितियों का आकलन करें और जल्दबाजी में कोई भी निर्णय न लें।
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