सारांश: केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राज्य उपभोक्ता कल्याण (कॉर्पस) कोष की स्थापना और विस्तार हेतु 32.68 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह घोषणा उपभोक्ता अधिकारों को मजबूत करने के प्रयासों के तहत की गई है। सरकार का उद्देश्य एक पारदर्शी, उपभोक्ता-अनुकूल अर्थव्यवस्था बनाना है। इस वर्ष विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की थीम 'स्थायी जीवन शैली के लिए एक उचित बदलाव' है, जो सतत उपभोग को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है।


उपभोक्ता अधिकार दिवस से पहले केंद्र ने राज्यों को 32.68 करोड़ रुपये जारी किए



केंद्र सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 32.68 करोड़ रुपये जारी किए

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान विभिन्न राज्यों को उनके उपभोक्ता कल्याण (कॉर्पस) कोष की स्थापना और विस्तार के लिए 32.68 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने यह जानकारी विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस से पहले साझा की।

हर वर्ष 15 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस उपभोक्ताओं के मूल अधिकारों को सुरक्षित करने और उनके हितों की रक्षा करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। इस वर्ष की थीम 'स्थायी जीवन शैली के लिए एक उचित बदलाव' रखी गई है, जो उपभोक्ताओं को सतत और पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करती है।

उपभोक्ता कल्याण कोष की आवश्यकता और सरकार की पहल

उपभोक्ता कल्याण कोष उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने, उनके अधिकारों की रक्षा करने और शिकायत निवारण प्रणाली को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सरकार द्वारा जारी किए गए 32.68 करोड़ रुपये का उपयोग राज्यों में उपभोक्ता संरक्षण से जुड़ी पहलों को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा।

मंत्रालय के अनुसार, इस योजना के तहत 24 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश ने अपने-अपने उपभोक्ता कल्याण (कॉर्पस) कोष की स्थापना कर ली है। यह कोष राज्यों को उपभोक्ताओं की शिकायतों के त्वरित समाधान, उपभोक्ता शिक्षा और जागरूकता अभियानों को लागू करने में मदद करेगा।

उपभोक्ता अधिकार और संरक्षण पर सरकार का फोकस

मंत्रालय ने कहा कि भारत उपभोक्ता अधिकारों को और मजबूत करने के लिए कई नई नीतियों और पहलों पर काम कर रहा है। उपभोक्ताओं को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित व्यापारिक माहौल देने के लिए सरकार द्वारा ई-कॉमर्स रेगुलेशन, डिजिटल उपभोक्ता संरक्षण, उत्पाद सुरक्षा मानकों और सतत उपभोग पहलों में सुधार किए जा रहे हैं।

सरकार का मानना है कि डिजिटल युग में उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना बेहद आवश्यक है। इसलिए, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपभोक्ताओं को सुरक्षित बनाने के लिए कई नियमों को लागू किया गया है।

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का महत्व

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की शुरुआत 1983 में हुई थी, जिसे 15 मार्च, 1962 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के ऐतिहासिक भाषण की याद में मनाया जाता है। कैनेडी पहले वैश्विक नेता थे जिन्होंने उपभोक्ता अधिकारों को आधिकारिक रूप से मान्यता दी थी। इस दिन का उद्देश्य उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा और उन्हें जागरूक करने की दिशा में ठोस कदम उठाना है।

इस वर्ष की थीम 'स्थायी जीवन शैली के लिए एक उचित बदलाव' को लेकर मंत्रालय ने कहा,
"इस थीम का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को ऐसे जीवनशैली विकल्प प्रदान करना है जो न केवल सुलभ और किफायती हों, बल्कि पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचाएं। यह बदलाव सुनिश्चित करेगा कि उपभोक्ताओं के मूल अधिकार और उनकी जरूरतें बनी रहें।"

सतत उपभोग और उपभोक्ता संरक्षण पर जोर

सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं:

  • ई-कॉमर्स नियमन: ऑनलाइन खरीदारी में पारदर्शिता बढ़ाने और धोखाधड़ी रोकने के लिए नए नियम लागू किए गए हैं।
  • डिजिटल उपभोक्ता सुरक्षा: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपभोक्ताओं के डाटा सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए सख्त दिशानिर्देश बनाए गए हैं।
  • उत्पाद सुरक्षा मानक: बाजार में उपलब्ध उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नए मानक तय किए गए हैं।
  • सतत उपभोग पहल: उपभोक्ताओं को पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

उपभोक्ता कल्याण कोष के प्रभाव और आगे की राह

सरकार द्वारा जारी 32.68 करोड़ रुपये का यह अनुदान राज्यों में उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और शिकायत निवारण प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद करेगा। यह कोष राज्यों को उपभोक्ता जागरूकता अभियानों को लागू करने और बाजार में पारदर्शिता लाने में सहायता प्रदान करेगा।

उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी या अनुचित व्यापारिक गतिविधि की शिकायत करने के लिए उपलब्ध सरकारी प्लेटफॉर्म का उपयोग करना चाहिए।

मंत्रालय ने कहा, "एक सुरक्षित, पारदर्शी और उपभोक्ता-अनुकूल अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करने की जरूरत है।"

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