सारांश: भारत में डिजिटल लेन-देन का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें UPI और RuPay डेबिट कार्ड का उपयोग बढ़ता जा रहा है। फिलहाल, इन माध्यमों से किए गए भुगतान पर किसी भी प्रकार की मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) फीस नहीं लगती है। लेकिन अब सरकार इसे दोबारा लागू करने पर विचार कर रही है, जिससे कुछ व्यापारियों को अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है।
RuPay डेबिट कार्ड और डिजिटल भुगतान में वृद्धि
भारत में डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई प्रयास कर रही है, जिसके कारण यूपीआई और RuPay डेबिट कार्ड का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। लोग अब कैशलेस पेमेंट को प्राथमिकता दे रहे हैं और डिजिटल इंडिया पहल के तहत अधिकतर लोग ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को सुरक्षित और सुविधाजनक मान रहे हैं।
वर्तमान में, इन माध्यमों से किए गए भुगतान पर किसी प्रकार का अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाया जाता, जिससे दुकानदार और ग्राहक दोनों को ही फायदा होता है। लेकिन सरकार अब इस स्थिति पर पुनर्विचार कर रही है और बड़े व्यापारियों पर MDR लगाने की योजना बना रही है।
क्या है MDR और इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
MDR (Merchant Discount Rate) वह शुल्क होता है जो व्यापारी अपने बैंक को डिजिटल भुगतान स्वीकार करने के लिए देते हैं। जब कोई ग्राहक अपने RuPay डेबिट कार्ड या UPI से भुगतान करता है, तो बैंक और पेमेंट कंपनियां इस सेवा को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का खर्च वहन करती हैं। यही वजह है कि वे व्यापारियों से इस शुल्क की मांग करती हैं।
सरकार ने 2022 में डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए इस शुल्क को हटा दिया था। लेकिन अब यह विचार किया जा रहा है कि इसे दोबारा लागू किया जाए, खासकर उन व्यापारियों के लिए जिनका वार्षिक टर्नओवर 40 लाख रुपये से अधिक है।
बड़े व्यापारियों को देना होगा अतिरिक्त शुल्क?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बैंकिंग उद्योग ने सरकार को यह प्रस्ताव भेजा है कि जिन व्यापारियों की सालाना आय 40 लाख रुपये से अधिक है, उन पर MDR लागू किया जाना चाहिए। सरकार इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है और संभव है कि इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए।
इस प्रणाली के तहत:
- बड़े व्यापारियों पर अधिक MDR शुल्क लगाया जा सकता है।
- छोटे व्यापारियों को या तो पूरी तरह से छूट मिल सकती है या उन पर बहुत कम शुल्क लगाया जाएगा।
बैंकों और पेमेंट कंपनियों का मानना है कि अगर व्यापारी पहले से ही Visa, Mastercard और अन्य क्रेडिट कार्ड पर MDR चुका रहे हैं, तो RuPay और UPI पर इसे हटाने का कोई औचित्य नहीं है।
MDR को फिर से लागू करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
2022 में जब MDR को हटा दिया गया था, तब सरकार का उद्देश्य डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना था। लेकिन अब बैंक और पेमेंट कंपनियां यह तर्क दे रही हैं कि इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाए रखने के लिए शुल्क वसूला जाना जरूरी है।
इसके प्रमुख कारण:
- बैंक और पेमेंट गेटवे कंपनियों को तकनीकी खर्च वहन करना पड़ता है।
- डिजिटल भुगतान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर निगरानी की आवश्यकता होती है।
- भारत में कैशलेस अर्थव्यवस्था को अधिक संगठित और कुशल बनाने के लिए सरकारी वित्तीय योजनाओं में संशोधन किया जा रहा है।
MDR शुल्क किस प्रकार काम करेगा?
यदि सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो व्यापारी वर्ग को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जा सकता है। यह संभव है कि:
- जिनका वार्षिक टर्नओवर 40 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें MDR शुल्क देना होगा।
- छोटे दुकानदारों को इस शुल्क से छूट मिल सकती है।
- व्यापारियों के लिए टियर सिस्टम लागू किया जा सकता है, जिसमें विभिन्न स्तरों पर अलग-अलग शुल्क निर्धारित किए जाएंगे।
ग्राहकों और व्यापारियों पर संभावित प्रभाव
ग्राहकों के लिए:
- संभव है कि बड़े व्यापारी यह अतिरिक्त शुल्क ग्राहकों से वसूल करें, जिससे कुछ उत्पादों और सेवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं।
- डिजिटल भुगतान करने पर ग्राहकों को कुछ अतिरिक्त शुल्क का सामना करना पड़ सकता है।
व्यापारियों के लिए:
- बड़े व्यापारियों को डिजिटल भुगतान स्वीकार करने के बदले अतिरिक्त MDR शुल्क चुकाना पड़ेगा।
- छोटे व्यापारियों को राहत मिल सकती है और उन्हें RuPay व UPI भुगतान जारी रखने में कोई परेशानी नहीं होगी।
सरकार का रुख और संभावित निर्णय
सरकार अभी इस प्रस्ताव का अध्ययन कर रही है और इसे लागू करने से पहले विभिन्न हितधारकों से परामर्श किया जाएगा। संभावना है कि सरकार किसी संतुलित समाधान की ओर बढ़ेगी, जिससे डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की गति बनी रहे और बैंकिंग प्रणाली को आवश्यक संसाधन भी मिलें।
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