इंडियन सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG ) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक जीनोमिक निगरानी पहल है, जिसका उद्देश्य कोविड-19 के लिए जिम्मेदार वायरस सार्स-सीओवी-2 के जीनोमिक अनुक्रमण और निगरानी को बढ़ावा देना है। यह पहल देश में कोविड-19 की रोकथाम, नियंत्रण और उपचार रणनीतियों को मजबूत करने के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी प्रदान करती है।
स्थापना और पृष्ठभूमि
इंसाकॉग की स्थापना दिसंबर 2020 में भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य सार्स-सीओवी-2 के विभिन्न वेरिएंट्स की पहचान, निगरानी और समझ को बढ़ावा देना है, ताकि वायरस के प्रसार को रोकने और प्रभावी टीकाकरण कार्यक्रम विकसित करने में मदद मिल सके।
संगठन और संरचना
इंसाकॉग एक कंसोर्टियम के रूप में कार्य करता है, जिसमें भारत के विभिन्न प्रमुख वैज्ञानिक और अनुसंधान संस्थान शामिल हैं। प्रमुख भागीदार संस्थानों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी)
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)
- नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी)
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (एनआईबीएमजी)
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी)
कार्य और उद्देश्य
इंसाकॉग के मुख्य कार्य और उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- जीनोमिक अनुक्रमण: देशभर में सार्स-सीओवी-2 के नमूनों का जीनोमिक अनुक्रमण करना, ताकि विभिन्न वेरिएंट्स की पहचान की जा सके।
- वेरिएंट की निगरानी: नए वेरिएंट्स की निगरानी और उनके प्रसार की दर का पता लगाना।
- वैज्ञानिक अनुसंधान: जीनोमिक डेटा के आधार पर वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना, ताकि वायरस की संरचना, प्रसार और प्रभाव को बेहतर समझा जा सके।
- नीतिगत सलाह: सरकार और स्वास्थ्य संगठनों को सटीक और समय पर वैज्ञानिक सलाह प्रदान करना, ताकि प्रभावी नीतियां और रणनीतियां विकसित की जा सकें।
- वैश्विक सहयोग: अंतर्राष्ट्रीय जीनोमिक निगरानी प्रयासों के साथ सहयोग करना और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करना।
उपलब्धियां और योगदान
इंसाकॉग ने अपनी स्थापना के बाद से कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं:
- वेरिएंट्स की पहचान: विभिन्न सार्स-सीओवी-2 वेरिएंट्स की पहचान और उनके प्रभाव की निगरानी।
- वैज्ञानिक डेटा का संग्रह: जीनोमिक अनुक्रमण के माध्यम से विस्तृत वैज्ञानिक डेटा का संग्रह और विश्लेषण।
- नीतिगत मार्गदर्शन: भारत सरकार को कोविड-19 प्रबंधन के लिए सटीक और समय पर नीतिगत मार्गदर्शन प्रदान करना।
चुनौतियाँ और भविष्य
हालांकि इंसाकॉग ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, फिर भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं:
- नमूनों का संग्रह और प्रसंस्करण: देशभर में जीनोमिक अनुक्रमण के लिए पर्याप्त और विविध नमूनों का संग्रह।
- प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढाँचा: अत्याधुनिक तकनीकी उपकरणों और अनुसंधान सुविधाओं की आवश्यकता।
- मानव संसाधन: पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मचारियों की उपलब्धता।
भविष्य में, इंसाकॉग का उद्देश्य अपनी जीनोमिक निगरानी क्षमताओं को और भी बढ़ाना है, ताकि भारत में कोविड-19 और अन्य संक्रामक रोगों के प्रबंधन में अधिक प्रभावी और विज्ञान-आधारित दृष्टिकोण अपनाया जा सके।
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