भारत की तकनीकी छलांग या पर्यावरणीय संकट की शुरुआत? सोशल मीडिया पर मिली मिली-जुली प्रतिक्रिया।
गौतम अडाणी ने ट्विटर (एक्स) पर घोषणा की कि अडाणी ग्रुप और गूगल मिलकर भारत का सबसे बड़ा एआई डेटा सेंटर कैंपस बनाएंगे — जो विशाखापट्टनम में स्थापित होगा।
यह केंद्र TPU और GPU आधारित सुपरकंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर से लैस होगा, जो भारत के हेल्थकेयर, कृषि, लॉजिस्टिक्स और वित्तीय क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को नई गति देगा।
अडाणी ने लिखा —
"यह परियोजना भारत की एआई क्रांति को ऊर्जा देने वाला इंजन बनेगी।"
लोगों की राय बंटी दो हिस्सों में
घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं।
कुछ लोगों ने इसे "भारत की तकनीकी आज़ादी की दिशा में बड़ा कदम" बताया, तो कुछ ने इसे "पर्यावरण के लिए खतरा" कहा।
यूजर @Nomadic Musings ने लिखा —
"एआई हब स्थानीय जल संसाधनों पर भारी दबाव डालते हैं। विशाखापट्टनम पहले से ही जल संकट झेल रहा है।"
वहीं @muongas ने कहा कि यह परियोजना "भारत की एआई जरूरतों से ज़्यादा गूगल के ग्लोबल हितों" के लिए है।
दूसरी ओर, @Aadit Sheth ने इसे "सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी का ब्लूप्रिंट" बताया, अगर इसे सोलर और टाइडल एनर्जी के साथ जोड़ा जाए।
कुछ लोगों ने सवाल उठाया – 'स्वदेशी जोहो क्यों नहीं?'
यूजर @Md.Zubair ने लिखा —
"गूगल के साथ क्यों, स्वदेशी Zoho के साथ क्यों नहीं?"
अडाणी की बड़ी चाल या गूगल का स्मार्ट कदम?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रोजेक्ट भारत को वैश्विक एआई मानचित्र पर अग्रणी बना सकता है, जबकि अन्य इसे "पावर हंगरी प्रोजेक्ट" कह रहे हैं जो पानी और बिजली संसाधनों पर बोझ डालेगा।
अब देखने वाली बात यह है कि यह साझेदारी भारत की एआई ताकत का प्रतीक बनती है या नीतिगत बहस का मुद्दा।
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