यह ट्रेडिंग की गलती नहीं थी, बल्कि इंसानी स्वभाव का खेल था।

हाल ही में क्रिप्टो मार्केट में आई बड़ी गिरावट ने कई ट्रेडर्स को झटका दिया। करोड़ों रुपए का नुकसान झेलने वाले कई निवेशकों के बारे में लोग कह रहे हैं कि उन्होंने गलत ट्रेड किया या रिस्क मैनेजमेंट नहीं समझा।

लेकिन असली कारण कुछ और है — मनोविज्ञान (Psychology)।


एक वायरल पोस्ट में एक अनाम ट्रेडर ने लिखा कि क्रिप्टो में नुकसान का कारण सिर्फ लीवरेज नहीं, बल्कि इंसानी दिमाग की सोच है। जब पैसा, अहंकार और सोशल मीडिया एक साथ आते हैं, तो सबसे अनुभवी ट्रेडर भी अपने बनाए नियम तोड़ देता है।


एक बड़े "व्हेल" ट्रेडर ने $100 मिलियन (करीब 830 करोड़ रुपये) कमाने का टारगेट रखा था, लेकिन वह $60 मिलियन (करीब 500 करोड़ रुपये) गँवा बैठा। वजह? उसने अपनी सोच को एक 'लक्ष्य' से बाँध लिया — और वही उसकी सबसे बड़ी गलती बनी।


मॉर्गन हाउसल ने अपनी किताब The Psychology of Money में लिखा है,


"वित्तीय सफलता कोई विज्ञान नहीं, एक कला है — जहाँ आपका व्यवहार आपकी जानकारी से ज़्यादा मायने रखता है।"


क्रिप्टो बूम के समय सोशल मीडिया ने इस भावना को और बढ़ा दिया। हर जगह लोग अपने लाखों-करोड़ों के मुनाफ़े दिखा रहे थे। दूसरों को देखकर लालच और ईर्ष्या बढ़ी। और धीरे-धीरे हर कोई ज़रूरत से ज़्यादा रिस्क लेने लगा।


हाउसल का एक और गहरा वाक्य है —


"सबसे कठिन वित्तीय कौशल यह है कि लक्ष्य को आगे बढ़ने से रोकना।"


आख़िर में, मार्केट का गिरना किसी एक व्यक्ति या घटना की वजह से नहीं था। यह तो बस समय की बात थी — जब इंसानी स्वभाव और लीवरेज आपस में टकराए।


जैसा कि कहा गया है, "धन धीरे-धीरे बनता है, लेकिन पलभर में मिट जाता है।"


क्रिप्टो ने यह बात फिर साबित कर दी। असली सबक यही है — अगर आप अपने मनोविज्ञान पर काबू नहीं रखते, तो कोई भी सिस्टम आपको नहीं बचा सकता।



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