परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) भारत सरकार की एक प्रमुख संस्था है, जो देश में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों और नीतियों का प्रबंधन और निर्देशन करती है। इसका गठन 10 अगस्त 1948 को हुआ था, और यह सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन कार्य करता है। आयोग का मुख्य उद्देश्य भारत में परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना और इसकी सुरक्षा, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है।
स्थापना और उद्देश्य
परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को दिशा देने के लिए की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा का विकास और अनुसंधान करना है। यह आयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए जिम्मेदार है:
- परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए नीतियां तैयार करना।
- अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना।
- परमाणु ऊर्जा से जुड़े सुरक्षा मानकों और विनियमों का निर्धारण करना।
- अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौतों पर भारत का प्रतिनिधित्व करना।
संगठनात्मक संरचना
परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के सचिव होते हैं। आयोग में प्रमुख वैज्ञानिक, प्रशासनिक अधिकारी, और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े उच्च पदाधिकारी शामिल होते हैं।
वर्तमान संरचना (2025 तक):
अध्यक्ष: अजीत कुमार मोहंती (परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव)
पदेन सदस्य:
- अजीत डोभाल (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार)
- प्रमोद कुमार मिश्रा (प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव)
- विक्रम मिस्री (विदेश सचिव)
- टीवी सोमनाथन (वित्त सचिव)
- मनोज गोविल (व्यय सचिव)
इसके अतिरिक्त, वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ जैसे एम.आर. श्रीनिवासन, अनिल काकोदकर और के. कस्तूरीरंगन आयोग के महत्वपूर्ण सदस्य हैं।
मुख्यालय
परमाणु ऊर्जा आयोग का मुख्यालय मुंबई में है। यह भारत के प्रमुख परमाणु अनुसंधान केंद्र भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के साथ मिलकर काम करता है।
उपलब्धियां और योगदान
परमाणु ऊर्जा आयोग ने भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसकी प्रमुख उपलब्धियां हैं:
- परमाणु ऊर्जा संयंत्र: भारत में कई सक्रिय परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं, जैसे कि तारापुर, काक्रापार, रावतभाटा और कुडनकुलम।
- शांतिपूर्ण उपयोग: परमाणु ऊर्जा का उपयोग बिजली उत्पादन, चिकित्सा, कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों में किया गया है।
- परमाणु परीक्षण: 1974 और 1998 में भारत ने सफल परमाणु परीक्षण किए, जिससे भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बना।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत ने अमेरिका, रूस, जापान और फ्रांस जैसे देशों के साथ परमाणु समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
भविष्य की योजनाएं
परमाणु ऊर्जा आयोग का लक्ष्य 2030 तक भारत की बिजली आपूर्ति में परमाणु ऊर्जा का योगदान बढ़ाकर 20% करना है। इसके लिए भारत में नए परमाणु संयंत्रों की स्थापना की योजना बनाई गई है।
इसके अतिरिक्त, आयोग का ध्यान सुरक्षित और टिकाऊ ऊर्जा समाधान विकसित करने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- परमाणु ऊर्जा आयोग भारत के ऊर्जा उत्पादन का एक प्रमुख स्रोत है और इसे पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित माना जाता है।
- आयोग का मिशन विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को विश्व स्तर पर अग्रणी बनाना है।
- भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम तीन चरणों में विभाजित है, जिसमें थोरियम आधारित रिएक्टर का विकास प्रमुख लक्ष्य है।