सारांश: कोविड-19 महामारी के प्रभावों की चर्चा आज भी जारी है। हाल ही में हुए एक शोध में यह सामने आया है कि SARS-CoV-2 वायरस, जो कोविड-19 के लिए जिम्मेदार है, मस्तिष्क में संक्रमण पैदा कर सकता है। शोध में पाया गया कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन में हुए म्यूटेशन के कारण यह दिमाग की नसों में फैल सकता है और संक्रमण को बढ़ावा दे सकता है। हालांकि यह शोध चूहों पर किया गया है, फिर भी इसका प्रभाव इंसानों पर भी संभावित हो सकता है।
कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। इस वायरस ने न केवल लाखों लोगों की जान ली, बल्कि इससे उभरने के बाद भी इसके प्रभाव समाप्त नहीं हुए हैं। हाल ही में किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि कोविड-19 का खतरनाक वायरस केवल श्वसन तंत्र ही नहीं, बल्कि मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है। SARS-CoV-2 वायरस के म्यूटेशन के कारण यह दिमाग की नसों में इन्फेक्शन पैदा कर सकता है, जिससे गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
नेचर माइक्रोबायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में स्पाइक प्रोटीन के एक महत्वपूर्ण हिस्से, जिसे फ्यूरिन क्लीवेज साइट कहा जाता है, पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह हिस्सा वायरस को नसों की सतह पर स्थित ACE2 रिसेप्टर से जुड़ने और मस्तिष्क में प्रवेश करने में मदद करता है। हालांकि, जब इस साइट को हटा दिया जाता है, तो वायरस को मस्तिष्क में पहुंचने के लिए अन्य रास्ते तलाशने पड़ते हैं। ये वैकल्पिक रास्ते दिमाग में संक्रमण को और तेजी से फैलाने में सक्षम हो सकते हैं।
शोधकर्ताओं का यह दावा है कि कोविड-19 से संक्रमित कुछ लोगों में चक्कर आना, याददाश्त कमजोर होना और अन्य न्यूरोलॉजिकल लक्षण दिखाई देते हैं। यह दर्शाता है कि वायरस का मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ सकता है। चूहों पर किए गए इस शोध में यह भी सामने आया कि फ्यूरिन क्लीवेज साइट म्यूटेशन वाला वायरस दिमाग की नसों को सीधे प्रभावित करता है, जिससे यह संक्रमण का कारण बन सकता है।
शोधकर्ताओं ने इस रिसर्च में चूहों को SARS-CoV-2 से संक्रमित किया और फिर उनके फेफड़े और मस्तिष्क के ऊतकों का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि वायरस के म्यूटेशन के कारण यह दिमाग की नसों में प्रवेश करता है और संक्रमण फैलाता है। इससे यह निष्कर्ष निकला कि कोविड-19 का वायरस मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है, खासकर जब इसमें स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन हो जाता है।
यह रिसर्च खासतौर पर लोगों के स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया था। हालांकि, यह चूहों पर आधारित था, इसलिए इसके परिणाम इंसानों पर भी लागू होंगे या नहीं, यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। वैज्ञानिक इस बात की जांच कर रहे हैं कि वायरस का म्यूटेशन दिमाग में प्रवेश करने की संभावना को कैसे बढ़ाता है। इस दिशा में आगे के शोध से हमें अधिक जानकारी मिल सकेगी और कोविड-19 के संभावित दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में बेहतर समझ विकसित हो सकेगी।
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