सारांश : पाकिस्तान में Eye Bleeding Virus (CCHF) का एक नया मामला सामने आया है, जिससे 14 वर्षीय लड़के की आंखों से खून बह रहा है। यह घातक वायरस हायलोमा टिक्स के काटने से फैलता है, और भारत में भी इसके फैलने का खतरा बना हुआ है। WHO के अनुसार, इस वायरस को रोकना और इसका इलाज करना मुश्किल है। जानिए इस वायरस के लक्षण, प्रभाव और इससे बचाव के उपाय।
हाल ही में पाकिस्तान से एक डराने वाली खबर सामने आई है, जहां Eye Bleeding Virus या क्रीमिया कांगो हेमोरेज फीवर (CCHF) के एक मामले ने सभी को चिंतित कर दिया है। इस वायरस से संक्रमित 14 साल के लड़के की आंखों से खून निकलने लगा है, जो इस बीमारी की गंभीरता को दर्शाता है। यह वायरस संक्रमित हायलोमा टिक्स, जो कि जानवरों से चिपकने वाला एक पैरासाइट है, के काटने से फैलता है। इसके अलावा, यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने, अस्पतालों के जरिए, या गर्भवती मां से उसके बच्चे में भी फैल सकता है। इस बीमारी का इलाज बेहद कठिन है और यह तेजी से फैल सकता है, जिससे महामारी का रूप लेने की संभावना बढ़ जाती है।
Eye Bleeding Virus का इतिहास:
Eye Bleeding Virus का जन्म 1944 में क्रीमिया प्रायद्वीप में हुआ था, जिसके बाद 1956 में कांगो बेसिन में इसके अन्य मामले सामने आए। इसे क्रीमिया कांगो हेमोरेज फीवर (CCHF) के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि, यह वायरस पहले से ही मौजूद है, लेकिन हाल के मामलों ने इसे फिर से चर्चा में ला दिया है। 80% मामलों में इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, जो इसे और खतरनाक बनाता है। इस वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता है और इसकी मृत्यु दर भी काफी ऊंची है।
CCHF वायरस के लक्षण:
CCHF वायरस से संक्रमित होने के बाद व्यक्ति में हल्के से लेकर गंभीर लक्षण दिख सकते हैं। इस वायरस से संक्रमित जानवरों में वायरस 12 दिनों तक जीवित रहता है, हालांकि उनमें लक्षण नहीं दिखते। लेकिन अगर कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाता है, तो उसमें निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं:
- तेज बुखार
- मांसपेशियों में दर्द
- पेट में दर्द
- आंखों से खून आना
- अंगों का फेल होना
- रोशनी के प्रति संवेदनशीलता
- चक्कर आना
- उल्टी
इन लक्षणों के कारण व्यक्ति की स्थिति तेजी से बिगड़ सकती है, जिससे उसकी जान को खतरा हो सकता है।
CCHF संक्रमण का इलाज और बचाव:
अब तक CCHF का कोई निश्चित इलाज या टीका विकसित नहीं किया गया है। डॉक्टर केवल संक्रमित व्यक्तियों को आइसोलेट कर उनके लक्षणों का इलाज करते हैं। CCHF से संक्रमित 50% लोगों की मृत्यु हो जाती है, जिससे यह बीमारी अत्यंत खतरनाक मानी जाती है। इसलिए, इस वायरस से बचाव ही सबसे बेहतर तरीका है।
बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें: CCHF से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
- संक्रमित क्षेत्रों से दूर रहें: जिन क्षेत्रों में इस वायरस का प्रसार हो रहा है, वहां जाने से बचें।
- संक्रमण के स्रोत को पहचानें: जानवरों और उनके संपर्क में आने वाले क्षेत्रों में सतर्कता बरतें।
- सुरक्षा उपाय अपनाएं: अगर किसी संक्रमित क्षेत्र में जाना आवश्यक हो, तो सुरक्षा के सभी आवश्यक उपाय अपनाएं, जैसे कि उचित कपड़े पहनना, कीटाणुनाशक का उपयोग करना आदि।
भारत के लिए खतरा:
पाकिस्तान में फैल रहे इस वायरस से भारत को भी खतरा है, खासकर जब वायरस महामारी का रूप ले सकता है। दोनों देशों के बीच निकटता के कारण इस वायरस का भारत में प्रवेश करना संभावित है। इसलिए, भारतीय स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क रहना चाहिए और इस वायरस के संभावित प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। सीमाओं पर कड़ी निगरानी, संक्रमित व्यक्तियों की पहचान और तुरंत इलाज की व्यवस्था बेहद महत्वपूर्ण होगी।
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