सारांश:भारत ने आज चेन्नई के थिरुविदंदई से अपना पहला रियूजेबल हाइब्रिड रॉकेट RHUMI 1 लॉन्च किया, जो देश के अंतरिक्ष अनुसंधान के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह रॉकेट स्पेस जोन इंडिया और मार्टिन ग्रुप के सहयोग से बनाया गया है और इसमें कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इस रॉकेट का उपयोग न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए बल्कि कृषि, पर्यावरण निगरानी और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी किया जाएगा।


भारत ने किया अपना पहला रियूजेबल हाइब्रिड रॉकेट RHUMI 1 लॉन्च: क्यों है यह मिशन बेहद खास?


भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। 24 अगस्त को चेन्नई के थिरुविदंदई से देश का पहला रियूजेबल हाइब्रिड रॉकेट RHUMI 1 सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इस मिशन का नेतृत्व तमिलनाडु स्थित स्टार्ट-अप स्पेस जोन इंडिया ने किया, जिसमें मार्टिन ग्रुप ने सहयोग दिया। यह मिशन देश के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है, जो अंतरिक्ष अनुसंधान को नए आयाम तक पहुंचाने में मदद करेगा।


RHUMI 1 को खास तौर पर डिजाइन किया गया है ताकि यह अंतरिक्ष में विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोगी हो सके। इस हाइब्रिड रॉकेट का सबसे प्रमुख पहलू इसका रियूजेबल होना है, यानी इसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। यह तकनीक न केवल मिशन की लागत को कम करती है, बल्कि इसे पर्यावरण के अनुकूल भी बनाती है। RHUMI 1 तीन क्यूब सैटेलाइट और 50 PICO सैटेलाइट को एक सबऑर्बिटल ट्रेजेक्टरी पर लेकर जाएगा, जो अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक बड़ी सफलता है।


अत्याधुनिक तकनीकों से लैस RHUMI 1


RHUMI 1 में कई नई और आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है। सबसे खास इसकी एडजस्टेबल लॉन्च एंगल तकनीक है, जिसके जरिए इसे 0 से 120 डिग्री के बीच किसी भी एंगल पर सेट किया जा सकता है। इससे लॉन्च के दौरान रॉकेट की ट्रेजेक्टरी पर सटीक नियंत्रण संभव हो जाता है। यह तकनीक न केवल मिशन की सटीकता को बढ़ाती है बल्कि इसे और भी सुरक्षित बनाती है।


रॉकेट में एक और विशेषता CO2-ट्रिगर पैराशूट सिस्टम है, जो इसे इको-फ्रेंडली और कॉस्ट-इफेक्टिव बनाता है। इस सिस्टम की मदद से लॉन्च के बाद रॉकेट के सभी घटकों को सुरक्षित रूप से पुनः प्राप्त किया जा सकता है। इस तकनीक का उपयोग न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी किया जा सकता है, जैसे कि कृषि, पर्यावरण निगरानी और आपदा प्रबंधन।


RHUMI सीरीज: भविष्य के लिए तैयार


RHUMI 1 के साथ ही इस सीरीज में दो और रॉकेट शामिल हैं – RHUMI 2 और RHUMI 3। ये सभी हाइब्रिड रॉकेट हैं और इनकी रेंज 1 किमी से लेकर 500 किमी तक हो सकती है। यह सीरीज भविष्य में भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के प्रयासों को और भी आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।


स्पेस जोन इंडिया और मार्टिन ग्रुप की सफल साझेदारी


स्पेस जोन इंडिया और मार्टिन ग्रुप के बीच यह तीसरा सफल प्रोजेक्ट है। इन दोनों के बीच 2021 में साझेदारी हुई थी, जिसके तहत 1,200 छात्रों द्वारा विकसित 100 FEMTO सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण किया गया था। इसके बाद 2023 में, देश के 2,500 से अधिक छात्रों द्वारा विकसित 150 PICO सैटेलाइट रिसर्च एक्सपेरिमेंट क्यूब्स को ले जाने वाले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल के डिजाइन और निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया गया था।


मिशन का भविष्य और योगदान


RHUMI 1 का सफल प्रक्षेपण न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में बल्कि विभिन्न सामाजिक और पर्यावरणीय क्षेत्रों में भी एक बड़ी क्रांति ला सकता है। इसके द्वारा एकत्रित की गई जानकारी का उपयोग कृषि और पर्यावरण की निगरानी में किया जा सकता है, जिससे किसानों और पर्यावरण संरक्षण एजेंसियों को भी लाभ मिलेगा। इसके अलावा, आपदा प्रबंधन में भी इस तकनीक का उपयोग किया जा सकता है, जिससे प्राकृतिक आपदाओं के समय लोगों को सुरक्षित निकालने में मदद मिलेगी।


RHUMI 1 ने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नया रास्ता दिखाया है, और इसके साथ ही देश ने इस दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाया है। भविष्य में, इस तरह के और भी मिशन देखे जा सकते हैं, जो न केवल देश के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे।

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