सारांश: पश्चिम बंगाल सरकार ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर सख्त नियंत्रण लगाने के लिए अपराजिता महिला और बाल विधेयक 2024 पेश किया है। इस बिल में रेप और हत्या के मामलों में 36 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल कर दोषियों को मौत की सजा देने का प्रावधान है। इसके अलावा, एसिड अटैक जैसे गंभीर अपराधों के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। राज्य के हर जिले में अपराजिता टास्क फोर्स बनाई जाएगी जो महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। यह विधेयक पश्चिम बंगाल के कोलकाता रेप केस के बाद उठी आवाजों के जवाब में लाया गया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कोलकाता में हुए रेप केस के बाद राज्य में जनता का गुस्सा और न्याय की मांग बढ़ गई थी। इसी के परिणामस्वरूप, आज (3 सितंबर) को राज्य विधानसभा में अपराजिता महिला और बाल विधेयक 2024 पेश किया गया है।
अपराजिता महिला और बाल विधेयक 2024: एक नई शुरुआत
इस विधेयक का उद्देश्य राज्य में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकना है। इसमें रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं। सबसे अहम बात यह है कि चार्जशीट दायर करने के 36 दिनों के भीतर दोषियों को मौत की सजा देने का प्रावधान है। इसके साथ ही, एसिड अटैक जैसे अपराधों के लिए भी आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, ताकि अपराधियों में कानून का डर पैदा हो सके।
अपराजिता टास्क फोर्स की स्थापना
इस विधेयक के तहत, हर जिले में एक विशेष टास्क फोर्स बनाई जाएगी, जिसे अपराजिता टास्क फोर्स का नाम दिया गया है। यह टास्क फोर्स रेप, एसिड अटैक और छेड़छाड़ जैसे मामलों की जांच और कार्रवाई करेगी। इस फोर्स की त्वरित कार्रवाई से अपराधियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की जाएगी।
पीड़िताओं की सुरक्षा के लिए कड़े प्रावधान
विधेयक में एक और महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किया गया है, जिसमें पीड़िताओं की पहचान उजागर करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह कदम पीड़िताओं की निजता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, ताकि उन्हें समाज में किसी भी प्रकार की दुर्व्यवहार का सामना न करना पड़े।
अन्य राज्यों के प्रयासों की तुलना
इससे पहले, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र ने भी महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए कड़े कानून बनाने की कोशिश की थी। आंध्र प्रदेश ने 2019 में दिशा बिल पेश किया था और महाराष्ट्र ने 2020 में शक्ति बिल लाने की कोशिश की थी। हालांकि, इन विधेयकों को मंजूरी नहीं मिल सकी। पश्चिम बंगाल का यह कदम अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा हो सकता है।
कोलकाता रेप केस की पृष्ठभूमि
यह विधेयक कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए रेप और हत्या के मामले के बाद लाया गया है। 9 अगस्त को हुए इस जघन्य अपराध ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया था। जूनियर डॉक्टर की हत्या और रेप के बाद, राज्यभर में प्रदर्शन और धरने हुए, जिनमें इंसाफ की मांग की गई। इस केस की जांच सीबीआई कर रही है, और 2 सितंबर को सीबीआई ने इस मामले से जुड़े कई अहम सुराग जुटाए हैं। साथ ही, मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
एक टिप्पणी भेजें