सारांश : भारतीय शेयर बाजार में हालिया गिरावट ने निवेशकों को असमंजस में डाल दिया है, जिससे कैश मार्केट टर्नओवर 7 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। ग्लोबल मार्केट में उतार-चढ़ाव और युद्ध जैसी टेंशन के चलते निवेशक सतर्क हो गए हैं। इस स्थिति में निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ रहा है, और बाजार में एक बार फिर करेक्शन की संभावना जताई जा रही है।
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी
पिछले कुछ समय से भारतीय शेयर बाजार में निरंतर गिरावट देखी जा रही है। घरेलू और विदेशी निवेशक इस माहौल में सतर्कता बरतते हुए अपने निवेश को रोक रहे हैं। यही कारण है कि अक्टूबर महीने में बाजार का कैश मार्केट टर्नओवर गिरकर 7 महीने के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। विश्लेषकों के अनुसार, यह संकेत दे रहा है कि निवेशकों का विश्वास कम हो रहा है, जो आने वाले समय में बाजार की अस्थिरता को और बढ़ा सकता है।
ग्लोबल मार्केट टेंशन और विदेशी निवेशकों की निकासी से दबाव
अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार पर ग्लोबल मार्केट में जारी टेंशन और युद्ध के भय का सीधा असर पड़ा है। इस अनिश्चितता के माहौल में निवेशक निवेश से बच रहे हैं। हाल ही में विदेशी निवेशकों ने करीब 87,000 करोड़ रुपये बाजार से निकाले हैं, जिससे कैश मार्केट टर्नओवर 1.15 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले महीनों की तुलना में लगभग 12.5% कम है। इस स्थिति ने बाजार में एक बड़ा बिकवाली दबाव बना दिया है, जिससे शेयरों की कीमतों में और गिरावट आने की संभावना है।
लगातार घटता कैश मार्केट टर्नओवर – खतरे की घंटी?
कैश मार्केट टर्नओवर में लगातार आ रही गिरावट बाजार के स्वास्थ्य पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रही है। मार्च 2024 के बाद से यह टर्नओवर 7 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है। डिस्काउंट ब्रोकिंग फर्म SAS Online के फाउंडर एवं सीईओ श्रेय जैन का मानना है कि निवेशकों में बाजार के अधिक मूल्यांकन को लेकर चिंता बढ़ रही है। इस कारण से अधिकांश निवेशक वेट एंड वॉच की रणनीति अपना रहे हैं और अपने निवेश को रोक रहे हैं।
कैश मार्केट टर्नओवर क्या दर्शाता है?
कैश मार्केट टर्नओवर का अर्थ है कि निवेशक प्रतिदिन बाजार में कितनी खरीदारी और बिक्री कर रहे हैं। अक्टूबर में यह आंकड़ा 1.15 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले कुछ महीनों से काफी कम है। एनालिस्ट का मानना है कि यह कमी निवेशकों के आत्मविश्वास में आई गिरावट और बाजार की अस्थिरता को दर्शाती है। लंबी अवधि के निवेशकों की हिस्सेदारी घटकर मात्र 10% रह गई है, जबकि ज्यादातर हिस्सेदारी अब शॉर्ट टर्म निवेशकों की है।
निवेशकों के लिए क्या संकेत हैं?
इस स्थिति से निवेशकों के सामने बड़ा सवाल यह है कि क्या उन्हें अपने निवेश को बनाए रखना चाहिए या किसी अन्य विकल्प पर विचार करना चाहिए। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों में अस्थिरता बढ़ने की संभावना है, जिससे लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह समय चुनौतिपूर्ण हो सकता है। बाजार अपने 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर से करीब 8% गिर चुका है, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप में भी लगभग 9% की गिरावट आई है।
भविष्य की संभावनाएं और निवेशकों के लिए सुझाव
विश्लेषकों का अनुमान है कि यदि ग्लोबल टेंशन और युद्ध जैसी स्थिति बनी रहती है, तो बाजार में करेक्शन का एक और दौर आ सकता है। इस स्थिति में निवेशकों के लिए बेहतर होगा कि वे सतर्कता बरतें और जोखिम का आंकलन करें। ऐसे समय में लंबी अवधि के निवेश की रणनीति अपनाना उचित हो सकता है, ताकि बाजार की अस्थिरता का सामना किया जा सके।
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