सारांश : महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन (शिवसेना-उद्धव, कांग्रेस, एनसीपी-शरद) के सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस के भीतर असंतोष की खबरें आ रही हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुंबई और विदर्भ की कुछ मजबूत सीटें शिवसेना (उद्धव) को दिए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। राहुल का मानना है कि कांग्रेस की मजबूत सीटें गठबंधन के लिए छोड़ दी गईं, जबकि इन सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा था। इसके अलावा कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा परिवारजनों के लिए टिकट मांगने से भी असंतोष बढ़ा है।
महाराष्ट्र में 2024 के विधानसभा चुनावों के लिए महाविकास अघाड़ी के बीच सीट बंटवारे पर एक ओर समझौता हुआ है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में आंतरिक कलह की खबरें सामने आई हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुंबई और विदर्भ की कुछ महत्वपूर्ण सीटें शिवसेना (उद्धव) को दिए जाने पर गहरी नाराजगी जताई है। शुक्रवार (25 अक्टूबर) को कांग्रेस इलेक्शन कमेटी की बैठक के दौरान राहुल ने अपनी नाराजगी स्पष्ट करते हुए कहा कि उन सीटों को छोड़ दिया गया जहां कांग्रेस का आधार मजबूत है, और इस निर्णय से पार्टी को नुकसान हो सकता है।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, राहुल का मानना है कि मुंबई की बांद्रा-पूर्व, नासिक-मध्य, रामटेक और अमरावती जैसी प्रमुख सीटों को शिवसेना (उद्धव) को देने से पार्टी को नुकसान होगा। 2019 में इन सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन प्रभावी था, लेकिन इस बार गठबंधन के चलते इन्हें शिवसेना (उद्धव) के हवाले कर दिया गया। बांद्रा पूर्व सीट पर कांग्रेस ने पिछली बार जीत दर्ज की थी, नासिक मध्य में पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी, जबकि रामटेक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी। इन सीटों को छोड़ना कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों के लिए निराशाजनक साबित हो सकता है।
कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच सीटों को लेकर 20-25 सीटों पर पहले से ही असहमति चल रही थी। पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि शिवसेना को मजबूत सीटें छोड़ने से पार्टी को आने वाले चुनावों में प्रभावी तरीके से मुकाबला करने में कठिनाई होगी। खासकर तब, जब गठबंधन की तीसरी प्रमुख पार्टी एनसीपी (शरद) भी बराबरी के बंटवारे पर सहमत थी।
कांग्रेस के उच्च नेतृत्व के अनुसार, शुरुआत में कांग्रेस को अधिक सीटें देने पर सहमति बन रही थी, लेकिन बाद में बराबरी का बंटवारा होने से पार्टी के नेताओं में असंतोष बढ़ा। राहुल गांधी का कहना था कि यह फैसला पार्टी की संभावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, खासकर जब नेताओं ने अपने परिवार के लोगों के लिए टिकट मांगने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र में कांग्रेस के कई प्रमुख नेता अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। पूर्व अध्यक्ष बाला साहेब थोराट अपनी बेटी जयश्री के लिए टिकट चाहते हैं, वहीं नेता प्रतिपक्ष विजय वट्टेविडर और मुंबई कांग्रेस की अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ अपने रिश्तेदारों को टिकट दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में पार्टी के भीतर परिवारवाद की राजनीति भी एक विवाद का विषय बन गई है।
इस बार शिवसेना (उद्धव), कांग्रेस, और एनसीपी (शरद) के बीच सीटों का बंटवारा बराबर-बराबर का हुआ है, और इस गठबंधन में शेतकारी संगठन, समाजवादी पार्टी और सीपीएम को भी शामिल किया गया है। हालांकि, इन छोटी पार्टियों को कितनी सीटें दी जाएंगी, इसका फैसला अभी तक नहीं किया गया है।
महाराष्ट्र में 29 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है, जिसके बाद 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे। राज्य में सरकार बनाने के लिए 145 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी। वर्तमान में महायुति (शिवसेना-शिंदे, बीजेपी और एनसीपी-अजित) का सामना महाविकास अघाड़ी से है।
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