सारांश : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखने के फैसले के बाद शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल देखा गया। बीएसई सेंसेक्स 600 अंक से अधिक बढ़कर 82,249.94 के स्तर पर पहुंच गया, जबकि एनएसई निफ्टी ने भी 25,150 का स्तर पार किया। टाटा मोटर्स, टेक महिंद्रा, बजाज फाइनेंस और एचसीएल जैसी कंपनियों के शेयरों में तेजी आई, जबकि आईटीसी, नेस्ले और रिलायंस के शेयरों में बिकवाली देखी गई। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारी बिकवाली की, जबकि घरेलू निवेशकों ने मजबूत खरीदारी की जिससे बाजार में संतुलन बना रहा।
भारतीय शेयर बाजार ने बुधवार को आरबीआई के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसलों का जोरदार स्वागत किया। आरबीआई ने रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया, जो बाजार की अपेक्षाओं के अनुरूप था। इस फैसले से बाजार में सकारात्मक माहौल बना, और निवेशकों के बीच विश्वास बढ़ा, जिससे बीएसई सेंसेक्स में 615.13 अंकों की बढ़त दर्ज की गई और यह 82,249.94 के स्तर पर बंद हुआ। एनएसई निफ्टी भी 197.80 अंक चढ़कर 25,052.80 के स्तर पर पहुंच गया।
प्रमुख कंपनियों के शेयरों में उछाल
सेंसेक्स में शामिल 30 प्रमुख कंपनियों में से कई के शेयरों में शानदार तेजी देखी गई। टाटा मोटर्स, टेक महिंद्रा, बजाज फाइनेंस, मारुति सुजुकी इंडिया, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, भारतीय स्टेट बैंक, भारती एयरटेल, एशियन पेंट्स और एक्सिस बैंक के शेयरों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। ये कंपनियां अपने क्षेत्र में मजबूत प्रदर्शन कर रही हैं, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। इन कंपनियों के अच्छे वित्तीय परिणाम और बाजार की स्थिरता ने उनके शेयरों की कीमतों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण बना।
कमजोर प्रदर्शन करने वाले शेयर
दूसरी ओर, कुछ बड़ी कंपनियों के शेयरों में बिकवाली का दबाव भी देखा गया। आईटीसी, नेस्ले इंडिया, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज और जेएसडब्ल्यू स्टील जैसी कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही। इन कंपनियों के शेयरों में गिरावट के बावजूद, कुल मिलाकर बाजार का प्रदर्शन सकारात्मक रहा, क्योंकि अन्य क्षेत्रों में निवेशकों ने भारी खरीदारी की।
वैश्विक बाजारों का प्रभाव
भारतीय शेयर बाजारों पर वैश्विक बाजारों का भी असर पड़ा। एशियाई बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, हांगकांग का हैंगसेंग और चीन का शंघाई कम्पोजिट लाल निशान में रहे, जबकि जापान का निक्की 225 अंक चढ़ा। अमेरिकी बाजार में मंगलवार को गिरावट के साथ बंद हुए, जिसका प्रभाव भारतीय निवेशकों की मानसिकता पर भी पड़ा। हालांकि, घरेलू बाजार ने वैश्विक अस्थिरता के बावजूद स्थिरता बनाए रखी।
कच्चे तेल की कीमतों में भी उछाल देखा गया। ब्रेंट क्रूड में 0.32% की बढ़ोतरी हुई और यह 77.43 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। ऊर्जा क्षेत्र में इस वृद्धि ने भी बाजार को स्थिर रखने में मदद की। तेल की कीमतों में वृद्धि से ऊर्जा कंपनियों के शेयरों को फायदा हुआ, लेकिन निवेशकों को आने वाले समय में इस मोर्चे पर और भी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।
विदेशी और घरेलू निवेशकों का प्रभाव
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को शुद्ध रूप से 5,729.60 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। एफआईआई की बिकवाली से बाजार में कुछ अस्थिरता आई, लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने इसकी भरपाई की। डीआईआई ने 7,000.68 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जिससे बाजार में मजबूती बनी रही। घरेलू निवेशकों की बढ़ती खरीदारी ने बाजार को स्थिर रखा और विदेशी बिकवाली के असर को कम किया।
रेपो दर पर आरबीआई का फैसला और बाजार की प्रतिक्रिया
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुए एमपीसी के फैसले में रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखा गया। इस फैसले ने बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में सकारात्मक असर डाला, जहां कई बैंकों और वित्तीय कंपनियों के शेयरों में उछाल देखा गया। बजाज फाइनेंस और भारतीय स्टेट बैंक जैसी कंपनियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया, जिससे इन कंपनियों के शेयरों में बढ़त देखी गई।
आरबीआई का यह फैसला बाजार के लिए सकारात्मक साबित हुआ। रेपो दर में कोई बदलाव न होने से यह संकेत मिला कि भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिरता की ओर बढ़ रही है, और यह निर्णय निवेशकों के लिए विश्वास बहाल करने में सहायक रहा। इस स्थिरता से बाजार में आगे भी मजबूती बनी रहने की संभावना है।
भविष्य की संभावनाएं
आरबीआई के इस फैसले के बाद, बाजार में स्थिरता और वृद्धि की उम्मीद बढ़ गई है। हालांकि, वैश्विक बाजारों में चल रही अस्थिरता, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, और विदेशी निवेशकों की बिकवाली जैसी चुनौतियां भी मौजूद हैं। इसके बावजूद, घरेलू निवेशकों की मजबूत स्थिति बाजार को सकारात्मक बनाए रखने में सहायक हो सकती है।
आने वाले दिनों में निवेशकों को वैश्विक और घरेलू कारकों पर नजर बनाए रखने की आवश्यकता होगी। भारतीय शेयर बाजार में यह उछाल जारी रह सकता है, बशर्ते वैश्विक परिस्थितियां अनुकूल रहें और विदेशी निवेशक बाजार में अपनी बिकवाली की प्रवृत्ति को कम करें।
कुल मिलाकर, आरबीआई के रेपो दर पर स्थिरता बनाए रखने के फैसले और घरेलू निवेशकों की खरीदारी ने बाजार को मजबूती प्रदान की है। यदि यह स्थिरता जारी रहती है, तो भारतीय शेयर बाजार और भी ऊंचाइयों को छू सकता है, जिससे निवेशकों को अधिक लाभ प्राप्त होगा।
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