सारांश : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन वापसी की समयसीमा खत्म हो गई है, जिसमें 7078 वैध नामांकन में से 2938 ने नाम वापस ले लिया है। अब 288 सीटों पर 4140 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। कुछ प्रमुख सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले ने चुनावी माहौल और अधिक रोमांचक बना दिया है।

Maharashtra Assembly Election 2024 : 288 सीटों पर 4140 उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला


महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारियां अंतिम चरण में पहुँच चुकी हैं। सोमवार, 4 नवंबर को नामांकन वापस लेने की अंतिम समय सीमा समाप्त हो गई, जिससे अब 288 सीटों पर कुल 4140 उम्मीदवार मैदान में हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इस बार कुल 7078 वैध नामांकन दाखिल हुए, जिनमें से 2938 उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिया है। अब यह 4140 प्रत्याशी 20 नवंबर को होने वाले मतदान में अपनी किस्मत आजमाएंगे।


इस बार का चुनाव विभिन्न राजनीतिक दलों के गठबंधनों, व्यक्तिगत लोकप्रियता और क्षेत्रीय प्रभाव के आधार पर लड़ा जा रहा है। शिवसेना, एनसीपी, भाजपा और अन्य प्रमुख दल अपने-अपने प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार अभियान चला रहे हैं, जिससे मतदाताओं के बीच एक उत्साह का माहौल बन गया है।


त्रिकोणीय मुकाबले वाली सीटें


इस बार कई प्रमुख सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले देखने को मिल रहे हैं, जिनमें माहिम, अणुशक्ति नगर और मानखुर्द शिवाजीनगर शामिल हैं। इन सीटों पर प्रतिद्वंद्विता की स्थिति चुनावी नतीजों को अप्रत्याशित बना रही है, और हर दल अपने-अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहा है।


माहिम सीट : माहिम सीट पर एकनाथ शिंदे गुट के सदा सरवणकर, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के अमित ठाकरे और शिवसेना यूबीटी के महेश सावंत के बीच कड़ा मुकाबला है। इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष ने मतदाताओं के बीच भी चुनावी चर्चा को बढ़ावा दिया है।


अणुशक्ति नगर : अणुशक्ति नगर में एनसीपी के विभाजन के बाद से इस सीट पर प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। यहां अजित पवार गुट से सना मलिक, शरद पवार गुट से फहाद अहमद और शिवसेना के अविनाश राने के बीच चुनावी लड़ाई है। एनसीपी के दो गुटों के बीच की इस लड़ाई से सीट पर मतदाताओं की पसंद का झुकाव बदल सकता है।


मानखुर्द शिवाजीनगर : महाराष्ट्र की सबसे चर्चित सीटों में से एक, मानखुर्द शिवाजीनगर में समाजवादी पार्टी के अबु आजमी, एनसीपी के नवाब मलिक और शिवसेना के सुरेश पाटील के बीच संघर्ष जारी है। यह सीट हमेशा से ही राजनीतिक रूप से सक्रिय रही है, और इस बार का त्रिकोणीय मुकाबला विशेष रूप से ध्यान आकर्षित कर रहा है।


चुनाव प्रचार और दलों की रणनीतियाँ


नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब सभी दल चुनाव प्रचार में जुट चुके हैं। शिवसेना, एनसीपी, भाजपा और अन्य दल अपने-अपने एजेंडे और प्रचार सामग्री के माध्यम से मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। इन प्रमुख दलों के लिए चुनाव में सफलता के लिए सिर्फ व्यक्तिगत लोकप्रियता नहीं, बल्कि मुद्दों और क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों को उठाने की रणनीति भी महत्वपूर्ण है।


शिवसेना और एनसीपी के विभाजन से स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण बन गई है, जिसमें अब मतदाताओं के सामने दो अलग-अलग गुटों के उम्मीदवार हैं। इस चुनाव में हर दल अपनी तरफ से बड़े-बड़े वादे कर रहा है और मतदाताओं को लुभाने के लिए नए-नए मुद्दों को उठाया जा रहा है। राज्य के विकास, रोजगार, सुरक्षा और क्षेत्रीय विकास जैसे मुद्दे इस चुनाव में प्रमुखता से उभरकर आए हैं।


राजनीतिक गठबंधन और उनकी भूमिका


महाराष्ट्र चुनाव में राजनीतिक गठबंधनों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। भाजपा-शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधनों ने चुनाव में एक नया रंग भर दिया है, जिसमें नए समीकरण और गठबंधन जनता के बीच अपनी जगह बना रहे हैं। एमएनएस जैसे क्षेत्रीय दलों का भी मतदाताओं पर प्रभाव बना हुआ है, जिससे चुनावी समीकरण में विविधता आ गई है।


कुछ सीटों पर गठबंधन के बावजूद स्थानीय उम्मीदवारों के आपसी संघर्ष भी देखने को मिल रहे हैं। महत्त्वपूर्ण सीटों पर चुनावी गठबंधनों का प्रभाव मतदाताओं की पसंद और परिणाम पर निर्णायक साबित हो सकता है। विशेषकर माहिम, अणुशक्ति नगर और मानखुर्द जैसी सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले ने चुनावी माहौल को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है।


महाराष्ट्र की राजनीति पर चुनाव का असर


यह चुनाव महाराष्ट्र के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 20 नवंबर को मतदान के बाद 23 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित होंगे, जो राज्य की राजनीतिक दिशा को निर्धारित करेंगे। यह चुनाव केवल उम्मीदवारों की जीत का नहीं, बल्कि राज्य की नीति और विकास की दिशा को तय करेगा।


महाराष्ट्र में हो रहे इस विधानसभा चुनाव का महत्व राजनीतिक पार्टियों के लिए केवल सत्ता की होड़ तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य के मतदाताओं के लिए अपने मुद्दों और विचारधाराओं को सामने रखने का भी एक बड़ा मौका है।

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