सारांश : शनिवार को झारखंड के कई हिस्सों में 3.6 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। केंद्र खूंटी जिले में था, और झटकों से रांची, जमशेदपुर और चाईबासा में लोग घरों से बाहर आ गए। जान-माल की क्षति की कोई खबर नहीं है। जानिए भूकंप के कारण, तीव्रता का मापन और इसका असर।

Jharkhand में भूकंप के झटके: 3.6 तीव्रता का कंपन, लोगों में दहशत; जानें Earthquake के कारण और प्रभाव


झारखंड में धरती हिली: 3.6 तीव्रता के भूकंप से लोगों में दहशत


शनिवार की सुबह करीब 9:20 बजे झारखंड के खूंटी जिले में भूकंप का झटका महसूस किया गया, जिसकी तीव्रता 3.6 मापी गई। राजधानी रांची, जमशेदपुर, और चाईबासा सहित राज्य के कई क्षेत्रों में यह हलचल दर्ज की गई, जिससे लोग अपने घरों से बाहर निकलने लगे। भले ही भूकंप की तीव्रता इतनी ज्यादा नहीं थी, पर इस अप्रत्याशित घटना से लोग सहम गए। प्रशासन की ओर से राहत की खबर है कि इस भूकंप से किसी भी प्रकार की जान-माल की हानि नहीं हुई है।


भूकंप क्यों आते हैं और इसकी संरचना क्या है?


भूकंप पृथ्वी की आंतरिक संरचना और उसके प्लेटों के टकराने का परिणाम है। पृथ्वी में सात प्रमुख टेक्टोनिक प्लेट्स हैं जो सतत गतिशील रहती हैं। इन प्लेटों के टकराने और दबाव के कारण वे मुड़ जाती हैं, और अत्यधिक दबाव बनने पर ये टूट भी जाती हैं। इस प्रक्रिया में प्लेटों के बीच से ऊर्जा बाहर निकलती है, जिससे धरती में हलचल होती है और भूकंप आता है। टेक्टोनिक प्लेट्स के इस गतिशील क्षेत्र को फॉल्ट लाइन कहा जाता है, जहां भूकंप की संभावना ज्यादा रहती है।


भूकंप का केंद्र और तीव्रता का महत्व


भूकंप का केंद्र वह स्थान होता है, जहां से प्लेटों में टकराव के कारण भूगर्भीय ऊर्जा बाहर निकलती है। इसी स्थान पर भूकंप का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे यह कंपन आसपास के क्षेत्र में फैलता है, उसका असर धीरे-धीरे कम हो जाता है। अगर भूकंप की तीव्रता 7 या उससे अधिक हो तो 40 किलोमीटर के दायरे में उसका असर तीव्र हो सकता है। इसके विपरीत, भूकंप की आवृत्ति और उसका फैलाव क्षेत्र पर निर्भर करता है।


रिक्टर स्केल और भूकंप की तीव्रता का मापन


भूकंप को रिक्टर स्केल पर मापा जाता है, जो भूकंप की तीव्रता को दर्शाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है और यह 1 से 9 तक के स्तर पर भूकंप की तीव्रता को मापता है। भूकंप का मापन उसके केंद्र यानी एपीसेंटर से किया जाता है। जब धरती में ऊर्जा का विस्फोट होता है, तो रिक्टर स्केल से उसकी तीव्रता का अनुमान लगाया जाता है, जिससे झटके की शक्ति और असर का अंदाजा लगता है।


रिक्टर स्केल के स्तर और उनका प्रभाव


नीचे दिए गए विभिन्न स्तरों पर भूकंप के प्रभावों की सूची है, जो यह बताती है कि विभिन्न तीव्रताओं पर भूकंप किस प्रकार का असर डालता है:


0 से 1.9: यह स्तर केवल सीज्मोग्राफ से ही पहचाना जाता है।

2 से 2.9: इसमें हल्का सा कंपन होता है, जिसे शायद ही महसूस किया जाए।

3 से 3.9: इस स्तर पर आसपास से कोई ट्रक गुजरने जैसा असर महसूस होता है।

4 से 4.9: खिड़कियां टूट सकती हैं और दीवारों पर लगी फ्रेम्स गिर सकती हैं।

5 से 5.9: इस तीव्रता पर फर्नीचर हिल सकता है।

6 से 6.9: इमारतों की नींव कमजोर हो सकती है और ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।

7 से 7.9: इस तीव्रता के झटकों से इमारतें गिर सकती हैं, और जमीन के नीचे पाइप फट सकते हैं।

8 से 8.9: यह स्तर इमारतों और बड़े पुलों को गिरा सकता है, और सुनामी का खतरा भी उत्पन्न कर सकता है।

9 और उससे ज्यादा: यह सबसे विनाशकारी स्तर है, जिसमें धरती का पूरा क्षेत्र लहराते हुए दिखता है, और समुद्र के पास सुनामी का खतरा होता है।


सतर्कता और सुरक्षा के उपाय

हालांकि झारखंड में इस बार कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, परंतु भूकंप जैसी घटनाओं में सावधानी बरतना आवश्यक है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि भूकंप आने पर तुरंत खुले स्थान में चले जाना चाहिए और सुरक्षित दूरी बनाए रखना चाहिए। यदि आप किसी इमारत में हैं तो मेज के नीचे छुपने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त, घर में बड़ी और भारी वस्तुओं को सुरक्षित तरीके से रखना चाहिए, ताकि वे झटके के दौरान गिरकर किसी को चोट न पहुंचाएं।


भूकंप की भविष्यवाणी क्यों मुश्किल है?


टेक्नोलॉजी और उपकरणों के विकास के बावजूद भूकंप की भविष्यवाणी करना अभी भी मुश्किल है। भूकंप का समय और तीव्रता सही-सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि यह प्लेटों के टकराव और भूगर्भीय हलचलों पर निर्भर करता है। वैज्ञानिक तकनीकों से भूकंप की आवृत्ति और स्थान का अनुमान लगाया जा सकता है, परंतु सटीक भविष्यवाणी में अभी भी कई चुनौतियाँ हैं।


भारत में भूकंप से प्रभावित क्षेत्र


भारत का एक बड़ा हिस्सा भूकंप के संभावित क्षेत्रों में आता है। हिमालय क्षेत्र, जो कि टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन बिंदु पर स्थित है, भूकंप के जोखिम में सबसे ऊपर है। इसके अलावा, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, गुजरात, और कुछ अन्य भागों में भी उच्च भूकंपीय सक्रियता है। झारखंड जैसे राज्यों में कम तीव्रता के भूकंप समय-समय पर आते हैं, जो कि इन क्षेत्रों में भूगर्भीय हलचल का सूचक है।


निष्कर्ष


झारखंड के खूंटी जिले में 3.6 तीव्रता का यह भूकंप एक छोटी सी घटना थी, परन्तु इसने सभी को भूकंप के प्रभाव और सुरक्षा उपायों के बारे में फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है। भले ही यह झटका बड़े पैमाने पर विनाशकारी नहीं था, परन्तु यह समझना महत्वपूर्ण है कि प्रकृति के ऐसे घटनाक्रमों के प्रति सतर्क रहना चाहिए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस तरह की भूगर्भीय गतिविधियों का अध्ययन आवश्यक है, ताकि भविष्य में सुरक्षा के बेहतर उपाय किए जा सकें।

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