सारांश : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष और जाने-माने अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय का 1 नवंबर 2024 को निधन हो गया। पीएम मोदी ने उन्हें 'महान विद्वान' की उपाधि देते हुए शोक व्यक्त किया। देबरॉय का योगदान न केवल आर्थिक नीतियों में बल्कि इतिहास, संस्कृति और भारतीय ग्रंथों पर आधारित उनके अनुवाद कार्यों में भी अमूल्य रहा है।
देश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय का 1 नवंबर 2024 को निधन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक जताते हुए कहा कि देबरॉय एक 'महान विद्वान' थे जिनका योगदान अर्थशास्त्र से लेकर संस्कृति, इतिहास, राजनीति और अध्यात्म के क्षेत्र में था। उनकी विद्वता और निष्ठा से देश को गहरा लाभ मिला है, और उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत रहेगा।
नीति आयोग और आर्थिक सुधारों में भूमिका: बिबेक देबरॉय की नियुक्ति सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष के रूप में हुई थी। इसके पहले, वे जनवरी 2015 में नीति आयोग के स्थायी सदस्य नियुक्त हुए थे, जब मोदी सरकार ने योजना आयोग की जगह नीति आयोग की स्थापना की थी। नीति आयोग के सदस्य रहते हुए उन्होंने भारत की आर्थिक नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे राजकोषीय नीति, रोजगार सुधार, और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के प्रबंधन में विशेषज्ञ माने जाते थे। वर्ष 2014-2015 में उन्होंने रेल मंत्रालय के पुनर्गठन पर बनी कमिटी की अध्यक्षता भी की, जिसमें भारतीय रेल में कई सुधार लागू किए गए।
शिक्षा और करियर: बिबेक देबरॉय की शिक्षा रामकृष्ण मिशन विद्यालय, नरेंद्रपुर से शुरू हुई। इसके बाद उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई की। उच्च शिक्षा के लिए वे ट्रिनिटी कॉलेज, यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज गए। शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने लंबे समय तक योगदान दिया। उन्होंने 1979 से 1983 तक प्रेसीडेंसी कॉलेज में अध्यापन किया और 1983 से 1987 तक पुणे स्थित गोखले इंस्टीच्युट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स में बतौर शिक्षक कार्य किया।
प्राचीन ग्रंथों और अनुवाद कार्य: बिबेक देबरॉय को भारत के प्राचीन धर्मग्रंथों और पौराणिक कहानियों का गहरा ज्ञान था। उन्हें महाभारत और अन्य धार्मिक ग्रंथों के अनुवाद में विशेष रुचि थी, और उन्होंने इन ग्रंथों को युवाओं के लिए सुलभ बनाने का प्रयास किया। पीएम मोदी ने भी इस बात का उल्लेख करते हुए कहा कि देबरॉय ने भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है। अपने जीवनकाल में उन्होंने कई धर्मग्रंथों का अनुवाद किया और धार्मिक, सांस्कृतिक विषयों पर कई पुस्तकें भी लिखीं, जिनसे पाठकों को भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपरा को समझने में मदद मिली।
पीएम मोदी का भावुक संदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिबेक देबरॉय के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर उनके साथ अपनी तस्वीर साझा की। उन्होंने कहा कि वे देबरॉय को वर्षों से जानते थे और उनकी विद्वता, जुनून और भारतीय संस्कृति के प्रति उनके समर्पण की सराहना करते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि देश के आर्थिक क्षेत्र में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकेगा। देबरॉय के परिवार और मित्रों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने उनके जीवन और कार्यों को याद किया।
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