सारांश :भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने पदभार ग्रहण किया। उन्होंने न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ का स्थान लिया, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए। राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति खन्ना का न्यायिक परिवार से गहरा नाता है, और उनके पूर्व के ऐतिहासिक फैसलों ने उन्हें एक प्रतिष्ठित न्यायाधीश का स्थान दिलाया है। उनका कार्यकाल छोटा होने के बावजूद न्यायपालिका के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनका दृष्टिकोण और नेतृत्व खास रहेगा।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का कार्यभार संभालना
आज सुबह न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला। उन्होंने न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ का स्थान लिया, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण फैसले दिए और न्यायिक प्रक्रिया में सुधार की दिशा में काम किया। न्यायमूर्ति खन्ना का यह कार्यभार भारत की न्यायपालिका के सबसे उच्च पद पर एक नयी शुरुआत है। राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 64 वर्षीय खन्ना को शपथ दिलाई।
प्रारंभिक जीवन और परिवारिक पृष्ठभूमि
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का जन्म दिल्ली में हुआ। उन्होंने मॉडर्न स्कूल, बाराखंभा रोड से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उनकी कानूनी शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से हुई। न्यायमूर्ति खन्ना का परिवार भी न्यायिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। उनके पिता, न्यायमूर्ति देव राज खन्ना, दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायधीश रहे थे, और उनकी मां सरोज खन्ना लेडी श्रीराम कॉलेज में प्राध्यापिका थीं। उनके चाचा, न्यायमूर्ति हंसराज खन्ना, सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश थे और आपातकाल के दौरान अपने ऐतिहासिक अल्पमत फैसले के लिए जाने जाते हैं। इस फैसले में उन्होंने संविधान के उस प्रावधान का विरोध किया था जिसमें गैरकानूनी हिरासत से बचने के अधिकार को राज्य के हित में निलंबित करने की बात कही गई थी।
न्यायिक करियर और महत्वपूर्ण फैसले
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने अपने करियर की शुरुआत वकालत से की थी। 2005 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और उनके उत्कृष्ट निर्णयों के चलते 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उन्होंने अपने करियर में कई ऐतिहासिक फैसलों में योगदान दिया है। इनमें ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की विश्वसनीयता को बरकरार रखना, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से संबंधित मामलों में हिस्सा लेना और चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देना शामिल है। उनके न्यायिक अनुभव ने उन्हें एक दृढ़ और स्पष्ट दृष्टिकोण वाले न्यायाधीश के रूप में प्रतिष्ठा दिलाई है।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में चुनौतियां और उनकी भूमिका
अब मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति खन्ना के समक्ष कई बड़े और संवेदनशील मुद्दों पर फैसला लेने की जिम्मेदारी होगी। उनका कार्यकाल हालांकि छोटा है, लेकिन उनके कुशल नेतृत्व और गहरी न्यायिक समझ के कारण भारतीय न्यायपालिका में उनके कार्यकाल को एक महत्वपूर्ण अध्याय माना जाएगा। वे न्यायपालिका में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। न्यायमूर्ति खन्ना के सामने संविधान की मर्यादा को बनाए रखने और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण दायित्व रहेगा।
समाज और न्यायपालिका में सुधार की अपेक्षाएं
मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने के साथ ही न्यायमूर्ति खन्ना से समाज में न्यायपालिका की भूमिका को और मजबूत बनाने की अपेक्षा है। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की विरासत को आगे बढ़ाते हुए खन्ना सामाजिक और संवैधानिक मुद्दों पर अपने निर्णयों से लोगों में न्याय के प्रति विश्वास को और मजबूत करेंगे। न्यायपालिका में लंबित मामलों का तेजी से निपटारा, नए तकनीकी उपायों का उपयोग, और जनता की न्याय प्रणाली में भागीदारी को बढ़ाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण कार्य होंगे।
न्यायपालिका में उनकी विरासत का प्रभाव
न्यायमूर्ति खन्ना का कार्यकाल भले ही छोटा हो, लेकिन उनके फैसलों का प्रभाव दीर्घकालिक रहेगा। वे हमेशा निष्पक्षता और संविधान के प्रति निष्ठा के साथ काम करते आए हैं। उनके न्यायिक फैसलों की साफगोई और दृढ़ता उन्हें भारतीय न्यायपालिका में एक प्रभावशाली न्यायाधीश के रूप में स्थापित करेगी। उनके परिवार की न्यायपालिका में ऐतिहासिक भूमिका को देखते हुए उनसे न्याय की प्रक्रिया में नवाचार और पारदर्शिता की दिशा में काम करने की अपेक्षा की जाती है।
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