सारांश: केंद्र सरकार ने परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) का पुनर्गठन करते हुए टी.वी. सोमनाथन और मनोज गोविल को शामिल किया है। यह कदम भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में नीतिगत सुधार और रणनीतिक मजबूती की दिशा में उठाया गया है। इसके साथ ही, अमेरिका ने भारतीय परमाणु संस्थानों पर लगे पुराने प्रतिबंध हटाने की प्रक्रिया शुरू की है, जिससे भारत-अमेरिका संबंध और गहरे होंगे।


परमाणु ऊर्जा में भारत का बड़ा कदम: AEC पुनर्गठन, चीन-पाकिस्तान चौंके, अमेरिका ने हटाए प्रतिबंध

भारत ने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया है, जिसने न केवल देश के ऊर्जा क्षेत्र को नया दृष्टिकोण दिया है, बल्कि चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों को भी चौंका दिया है। केंद्र सरकार ने हाल ही में परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) का पुनर्गठन किया है, जिसमें कई नई और अनुभवी हस्तियों को शामिल किया गया है।


AEC में नई नियुक्तियां

पुनर्गठित एईसी का नेतृत्व परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव अजीत कुमार मोहंती कर रहे हैं, जो इसके अध्यक्ष हैं। साथ ही, आयोग में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव प्रमोद कुमार मिश्रा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव विक्रम मिस्री, व्यय सचिव टी.वी. सोमनाथन और वित्त सचिव मनोज गोविल को पदेन सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।


इसके अलावा, परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में अहम योगदान देने वाले पूर्व अध्यक्ष एम.आर. श्रीनिवासन और अनिल काकोदकर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव पी. रामाराव, और अंतरिक्ष आयोग के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन जैसे विशेषज्ञों को भी सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के निदेशक विवेक भसीन को भी आयोग का हिस्सा बनाया गया है।


AEC का महत्व

परमाणु ऊर्जा आयोग का प्रमुख कार्य देश में परमाणु ऊर्जा नीतियों को तैयार करना और उन्हें लागू करना है। यह आयोग भारत के ऊर्जा क्षेत्र में तकनीकी प्रगति, अनुसंधान और विकास को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


अमेरिका ने हटाए प्रतिबंध

भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को नई ऊंचाई देने के लिए अमेरिका ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने नई दिल्ली यात्रा के दौरान घोषणा की कि अमेरिका भारतीय परमाणु संस्थानों पर लगे पुराने प्रतिबंध हटाने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है।


उन्होंने कहा कि ये प्रतिबंध भारत-अमेरिका के बीच नागरिक परमाणु सहयोग में बाधा डाल रहे थे। अब इनके हटने से दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को नया आयाम मिलेगा। यह कदम 20 साल पुराने ऐतिहासिक परमाणु समझौते को नई गति देगा, जिससे ऊर्जा संबंध मजबूत होंगे।


AEC में सुधार का उद्देश्य

एईसी का पुनर्गठन भारत की ऊर्जा नीतियों को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस बदलाव का उद्देश्य न केवल भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना है, बल्कि इसे दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ बनाना भी है।


भारत की रणनीतिक मजबूती

भारत के इस कदम से चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों को स्पष्ट संदेश गया है। यह पहल भारत की तकनीकी और रणनीतिक क्षमता को प्रदर्शित करती है। साथ ही, यह कदम अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा।


परमाणु ऊर्जा: भविष्य की दिशा

भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। यह देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोत विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। पुनर्गठित एईसी इस लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

Post a Comment

और नया पुराने