सारांश : कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या के मामले में दोषी पाए गए संजय रॉय को सजा सुनाने की प्रक्रिया जारी है। सीबीआई ने उसे फांसी की सजा देने की मांग की है, जबकि संजय रॉय और उसकी मां कोर्ट में रहम की गुहार लगा रहे हैं। कोर्ट ने उसे पहले ही दोषी करार दिया है, और अब सजा के संबंध में फैसला लिया जाएगा।
कोलकाता का आरजी कर अस्पताल पिछले साल अगस्त में एक दिल दहला देने वाली घटना का गवाह बना था, जब एक ट्रेनी महिला डॉक्टर को रेप के बाद निर्ममता से हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मुख्य आरोपी संजय रॉय को कोर्ट ने पहले ही दोषी ठहराया था। अब, सजा की सुनवाई के दौरान संजय रॉय ने एक बार फिर अदालत में गिड़गिड़ाते हुए खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश की। उसके साथ-साथ उसकी मां ने भी जज से निवेदन किया कि उसे किसी भी सख्त सजा से बचाया जाए। कोर्ट में इस मामले को लेकर गहरी बहस चल रही है, और सीबीआई ने आरोपी को फांसी की सजा देने की जोरदार मांग की है।
संजय रॉय की दलील थी कि उसे झूठे आरोपों में फंसाया गया है। उसने अपनी बेगुनाही का दावा करते हुए कहा कि अगर वह दोषी होता, तो उसकी गर्दन में पहनी गई रुद्राक्ष माला टूट जाती। उसने कोर्ट में यह भी कहा कि उसे अत्याचार का शिकार बनाया जा रहा है। संजय के इन आरोपों को सुनकर जज साहब ने पूछा कि क्या उसके परिवार से कोई कोर्ट में उसे मिलने आया है, तो उसने जवाब दिया कि सिर्फ उसकी मां ही है। इसके बाद जज ने सीबीआई से पूछा कि वह इस मामले में क्या कहने चाहती है, और सीबीआई के वकील ने जवाब दिया कि यह मामला "रेयर ऑफ द रेयरेस्ट" है और आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, जो समाज के लिए एक उदाहरण बने।
कोर्ट में यह मामला 18 जनवरी को खास अदालत द्वारा शुरु हुआ था, जहां जज ने संजय रॉय को दोषी ठहराया। उस समय यह साफ हो गया था कि इस मामले में सजा-ए-मौत या उम्रकैद का फैसला लिया जाएगा। अदालत ने पहले ही संजय रॉय को दोषी करार देते हुए उसे सजा देने की प्रक्रिया को तेज़ किया है।
मृतक डॉक्टर बिटिया के माता-पिता का दर्द:
मृतक महिला डॉक्टर के माता-पिता के लिए यह समय बेहद कठिन है। उनकी बेटी के साथ हुई इस जघन्य अपराध ने उनके जीवन को चिरकाल के लिए बदल दिया है। इस दर्दनाक घटना के बाद से विभिन्न अदालतों ने कई मामलों में मौत की सजा सुनाई है, जिसमें बलात्कार और हत्या के दोषी अपराधियों को मौत की सजा मिली है। उदाहरण के तौर पर, 21 सितंबर को सिलीगुड़ी की एक अदालत ने माटीगाड़ा में एक 16 वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या के आरोपी को मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद कोलकाता की तिलजला अदालत ने भी सात वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपी को मौत की सजा दी।
इसके बाद, 6 दिसंबर को कुलतली में 9 वर्षीय लड़की के साथ हुई बलात्कार और हत्या के मामले में भी एक आरोपी को मौत की सजा सुनाई गई। और 13 दिसंबर को एक अन्य फैसले में, हुगली पोक्सो कोर्ट ने पांच साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में एक आरोपी को मौत की सजा दी। इन फैसलों ने यह साबित किया कि अदालतें इस प्रकार के जघन्य अपराधों के खिलाफ कड़ी सजा देने में पीछे नहीं हट रही हैं।
सारांश:
कोलकाता में डॉक्टर बिटिया के साथ हुई इस जघन्य रेप और मर्डर केस ने पूरे देश को झकझोर दिया है। दोषी संजय रॉय के खिलाफ सीबीआई द्वारा उठाए गए सख्त कदम और कोर्ट द्वारा दी जा रही सजा के निर्णय ने इस केस को एक मिसाल बना दिया है। यह केवल एक व्यक्तिगत अपराध का मामला नहीं, बल्कि यह समाज में महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के लिए एक सख्त संदेश भी है। अदालत की सजा चाहे जो हो, लेकिन यह बात पूरी तरह स्पष्ट है कि ऐसे अपराधों को कतई सहन नहीं किया जाएगा। इस मामले के परिणामों से समाज में यह संदेश जाएगा कि अपराधियों को सजा दिलवाने के लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, और यह हमारी न्याय प्रणाली की ताकत का भी प्रतीक है।
एक टिप्पणी भेजें