सारांश : अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा बयान दिया है, जिससे 11 देशों में हलचल मच गई है। ट्रंप ने ब्रिक्स देशों और स्पेन पर 100% टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगर ब्रिक्स समूह अपनी खुद की करेंसी बनाने या डॉलर को चुनौती देने की कोशिश करता है, तो उसे भारी आर्थिक कीमत चुकानी होगी। इस धमकी का सीधा असर भारत पर भी पड़ सकता है, जो ब्रिक्स का एक अहम सदस्य है।
ट्रंप का नया कार्यकाल और आक्रामक नीति
डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण कर लिया है। सत्ता में आते ही उन्होंने यह साफ कर दिया कि उनका प्रशासन अंतरराष्ट्रीय व्यापार को लेकर एक सख्त रुख अपनाने वाला है। ट्रंप ने पहले ही दिन कनाडा और मैक्सिको पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया। अब उन्होंने ब्रिक्स देशों के खिलाफ भी कड़ा संदेश दिया है।
ब्रिक्स समूह में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। हाल ही में इन देशों ने डॉलर के विकल्प के रूप में एक नई मुद्रा पर विचार करने की चर्चा की थी। ट्रंप ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर ब्रिक्स देशों ने कोई वैकल्पिक करेंसी बनाई, तो अमेरिका इन पर 100% टैरिफ लगा देगा।
स्पेन भी ट्रंप के निशाने पर क्यों?
ट्रंप ने अपने बयान में स्पेन का भी जिक्र किया, हालांकि यह ब्रिक्स का सदस्य नहीं है। यह समझना दिलचस्प होगा कि ट्रंप स्पेन को भी अपने टैरिफ हमले में क्यों शामिल कर रहे हैं। इसका कारण यह हो सकता है कि स्पेन और लैटिन अमेरिकी देशों के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध हैं। स्पेन का अमेरिका और यूरोप के बाजारों में बड़ा योगदान है, और ट्रंप की रणनीति इसके प्रभाव को कम करने की हो सकती है।
ब्रिक्स देशों के लिए आर्थिक संकट की आहट?
अगर ट्रंप अपने वादे को हकीकत में बदलते हैं, तो ब्रिक्स देशों को बड़े आर्थिक झटके का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इन देशों का एक बड़ा व्यापारिक भागीदार भी है।
ब्रिक्स देशों के लिए यह चुनौती इसलिए भी बड़ी हो सकती है, क्योंकि इनमें से कई देश अमेरिका पर निर्यात के लिए निर्भर हैं। अगर 100% टैरिफ लागू होता है, तो अमेरिका में इन देशों से आने वाले उत्पादों की कीमतें बहुत बढ़ जाएंगी, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता खत्म हो सकती है।
भारत पर ट्रंप की धमकी का असर
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार बेहद मजबूत है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत और अमेरिका के बीच 118.3 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। हालांकि, हाल ही में चीन ने अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
अगर ट्रंप ब्रिक्स देशों पर 100% टैरिफ लागू करते हैं, तो इसका भारत-अमेरिका व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। कई भारतीय कंपनियां अमेरिकी बाजार में बड़े पैमाने पर निर्यात करती हैं, विशेष रूप से आईटी, फार्मा और टेक्सटाइल सेक्टर में। टैरिफ बढ़ने से इन उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं और भारतीय कंपनियों को नुकसान हो सकता है।
डॉलर बनाम ब्रिक्स करेंसी: नई जंग की शुरुआत?
ट्रंप का यह कदम ब्रिक्स देशों की नई मुद्रा पहल को रोकने का प्रयास भी हो सकता है। अगर ब्रिक्स एक अलग मुद्रा बनाता है और इसे डॉलर के विकल्प के रूप में पेश करता है, तो इससे अमेरिका की आर्थिक शक्ति को झटका लग सकता है।
ट्रंप का बयान इस चिंता को दर्शाता है कि अमेरिका अपनी मुद्रा की वैश्विक स्थिति को लेकर सतर्क है। अगर ब्रिक्स देश किसी नई करेंसी का समर्थन करते हैं, तो ट्रंप के अनुसार उन्हें अमेरिका में व्यापार करने से हाथ धोना पड़ेगा।
भारत के लिए अगली रणनीति क्या हो सकती है?
भारत के लिए यह समय कूटनीतिक और आर्थिक दोनों स्तरों पर सतर्क रहने का है।
व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना : भारत को अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाने के लिए नए समझौते करने पड़ सकते हैं।
वैकल्पिक बाजारों की तलाश : अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है, तो भारत को यूरोप, अफ्रीका और एशिया में नए व्यापारिक अवसरों की तलाश करनी होगी।
ब्रिक्स देशों के साथ तालमेल : अगर ब्रिक्स करेंसी का विचार आगे बढ़ता है, तो भारत को अपने आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना होगा।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप के नए कार्यकाल की शुरुआत बेहद आक्रामक रही है। ब्रिक्स देशों और स्पेन पर टैरिफ लगाने की उनकी धमकी ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। भारत के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है, क्योंकि अमेरिका उसके सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में से एक है। अगर ट्रंप अपनी धमकी पर अमल करते हैं, तो भारत को अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए नई रणनीतियां अपनानी होंगी।
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