सारांश: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल की शाही जामा मस्जिद में रंगाई-पुताई की इजाजत देने से इनकार कर दिया है। एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने मस्जिद में केवल साफ-सफाई की अनुमति दी है। मुस्लिम पक्ष इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकता है। वहीं, हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद नहीं बल्कि हरि हर मंदिर है, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। इस मामले को लेकर पहले भी हिंसक झड़पें हो चुकी हैं, जिसमें कई लोग घायल हुए थे।


संभल शाही जामा मस्जिद मामले में हाईकोर्ट का फैसला: रंगाई-पुताई नहीं, सिर्फ सफाई की अनुमति


इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला: सिर्फ सफाई की अनुमति

संभल की शाही जामा म

स्जिद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मस्जिद की रंगाई-पुताई की अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा है कि अभी इसकी जरूरत नहीं है। अदालत ने निर्देश दिया कि फिलहाल सिर्फ साफ-सफाई की जाए, वह भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की निगरानी में। यह फैसला एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद में फिलहाल सफेदी की आवश्यकता नहीं है।


मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है। जामा मस्जिद कमेटी ने इस फैसले को चुनौती देने की संभावना जताई है। चूंकि रमजान का महीना शुरू होने वाला है, ऐसे में मुस्लिम पक्ष के पास कोर्ट में अपील करने के लिए बहुत कम समय बचा है। अगर आज रात चांद दिख जाता है तो रमजान शुरू हो जाएगा, जिससे धार्मिक भावनाओं को लेकर विवाद और बढ़ सकता है।


एएसआई की रिपोर्ट के बाद आया कोर्ट का फैसला

इस मामले में गुरुवार को भी कोर्ट में सुनवाई हुई थी। अदालत ने एएसआई को आदेश दिया था कि वह मस्जिद का निरीक्षण करे और यह जांच करे कि रंगाई-पुताई की जरूरत है या नहीं। इसके बाद एएसआई की तीन सदस्यीय टीम ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी, जिसमें साफ तौर पर कहा गया कि मस्जिद की वर्तमान स्थिति में सफेदी की कोई आवश्यकता नहीं है। रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने मस्जिद की पुताई की अनुमति नहीं दी, बल्कि केवल साफ-सफाई की मंजूरी दी।


डीएम ने बिना अनुमति पुताई से किया इनकार

इससे पहले मस्जिद कमेटी ने जिला प्रशासन से मस्जिद की पुताई की अनुमति मांगी थी, लेकिन जिला मजिस्ट्रेट (DM) ने बिना एएसआई की मंजूरी के इसे खारिज कर दिया था। इसके बाद मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अदालत ने भी एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर सिर्फ सफाई करने की इजाजत दी।


हिंदू पक्ष का दावा: यह मस्जिद नहीं, हरि हर मंदिर है

इस मस्जिद को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद नहीं बल्कि हरि हर मंदिर है, जिसे मुगल काल में तोड़कर शाही जामा मस्जिद बना दिया गया था। इस दावे को लेकर पहले भी कोर्ट में कई बार बहस हो चुकी है।


मस्जिद सर्वे के दौरान हिंसा और झड़प

पिछले दिनों मस्जिद में एएसआई के सर्वे को लेकर भारी बवाल हुआ था। स्थानीय कोर्ट ने मस्जिद के ऐतिहासिक तथ्यों की जांच के लिए सर्वे की इजाजत दी थी। पहले दिन यह सर्वे शांतिपूर्ण तरीके से पूरा हुआ, लेकिन दूसरे दिन माहौल तनावपूर्ण हो गया। इस दौरान हिंसक झड़पें हुईं, जिनमें चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए थे।


कोर्ट में अगली सुनवाई मंगलवार को

मस्जिद कमेटी को एएसआई की रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए कोर्ट ने मंगलवार तक का समय दिया है। इस दिन फिर से मामले की सुनवाई होगी, जिसमें कोर्ट आगे की कार्रवाई पर निर्णय ले सकता है। इस बीच, मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की तैयारी कर रहा है, जिससे यह मामला और जटिल हो सकता है।

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